टोनही प्रताड़ना में अव्वल है जांजगीर जिला…पढ़िए इस ख़ास रिपोर्ट में

तेजी से विकसित हो रहे जिले के माथे पर लगा अंधविश्वास के कलंक का टीका

पांच साल में सामने आए छह जिलो के 1300 प्रकरण में सर्वाधिक 140 मामले जांजगीर चांपा से

जांजगीर चाम्पा (संजय यादव) जिले में टोनही प्रताडऩा के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। राज्य में 2001 से 2016 तक टोनही प्रताडऩा के 1300 से अधिक प्रकरण सामने आए। इनमें सर्वाधिक जांजगीर-चांपा के 140 प्रकरण हैं। प्रदेश के न्यायालयों में 332 मामले लंबित हैं, अब सरकार इन मामलों की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में करवाने की तैयारी में है। जिले के लिए दंश बन चुकी इस प्रताडऩा के लिए सख्त कानून भी है, लेकिन हत्या, प्रताडऩाएं थम नहीं रहीं।

जानकारी के मुताबिक 15 सालों में टोनही प्रताडऩा में 100 से अधिक महिलाओं को जान गंवानी पड़ी है। सर्वाधिक प्रकरण ग्रामीण क्षेत्रों के हैं, जहां बैगा और झाडफ़ूंक करने वाले कथित तांत्रिक और बाबाओं के चक्कर में घटनाएं होती हैं।

नतीजतन गांव के लोग, परिवार के सदस्य अंधविश्वास से ऊबर नहीं पाते। हाल ही आये आंकड़े इस बात का प्रमाण है कि शहरी क्षेत्रों की महिलाएं भी सुरक्षित नहीं हैं। यहां एक बेटे ने अपनी मां को मौत के घाट उतार दिया। ग्रामीण इलाकों में टोनही प्रताडऩा के बढ़ते मामलों को देखते हुए राज्य सरकार ने वर्ष 2005 में नया कानून बनाया, लेकिन टोनही निवारण अधिनियम का असर देखने को नहीं मिल रहा है। पिछले छह महीने  में जिले में दर्जनो के मामले दर्ज हुए। इसमें पांच महिलाओं की हत्या के हैं।

थम नहीं रहा हत्याओं का दौर…..
टोनही प्रताडऩा के खिलाफ सरकार द्वारा जागरूकता अभियान चलाने के बावजूद जिले में टोनही के शक में हत्या का दौर थम नहीं रहा है। लोगों का मानना है कि टोनही प्रताडऩा के मामलों में एकाकी और विधवा महिलाएं ही ज्यादा चपेट में आती हैं। आम तौर पर इनके हिस्से की संपत्ति के लिए ही इन्हें निशाना बनाया जाता है। आरोप लगने के बाद महिला गांव छोड़कर चली जाए तो अच्छा वरना फिर उसकी हत्या तक कर दी जाती है।