बिना लाइसेंस बिक रहे करोड़ों के आई लैंस-इंप्लांट

 रायपुर

प्रदेश में आई लैंस और इंप्लांट का करोड़ों का कारोबार ड्रग लाइसेंस के बगैर धडल्ले से चल रहा है। सालाना कई करोड़ के लैंस, इंप्लांट मरीज में प्रत्यारोपित किए जा रहे हैं। लैंस, इंप्लांट दोनों मेडिकल उपकरण की श्रेणी में आते हैं और कंपनियों को प्रदेश में डिपो खोलने, उपकरण सप्लाई के लिए राज्य खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग से ड्रग लाइसेंस लेना अनिवार्य है।

बुधवार, 6 जनवरी को राजस्थान के जयपुर में चेन्नई की एक निजी लैंस निर्माता कंपनी अप्पा सामी ऑक्यूलर डिवाइज (प्रा.) लि. के डिपो में राजस्थान औषधि नियंत्रण संगठन ने छापामार कार्रवाई की। खुलासा हुआ कि डिपो संचालक के पास ड्रग लाइसेंस नहीं है। यहां से ढाई करोड़ के लैंस जब्त किए गए। ‘नईदुनिया’ ने इसी कार्रवाई के आधार पर छत्तीसगढ़ में अप्पा सामी कंपनी को लेकर पड़ताल की। कंपनी का सालों से देवेंद्र नगर में कार्यालय-डिपो दोनों हैं। कंपनी के कर्मचारी नेत्र अस्पतालों के एक फोन कॉल पर लैंस लेकर अस्पताल पहुंच जाते हैं।

अप्पा सामी के लैंस पूरे प्रदेशभर में सप्लाई हो रहे हैं, जबकि राज्य खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग ने कंपनी को प्रदेश में डिपो खोलने, कारोबार के लिए ड्रग लाइसेंस इसी हफ्ते जारी किया है। विभाग के अफसर कंपनी के पूर्व के कारोबार पर जांच की बात कह रहे हैं। यह मात्र एक कंपनी है जिसके विरुद्ध जयपुर में हुई कार्रवाई के बाद देशभर में हल्ला मच गया।

प्रदेश के डॉक्टर्स बताते हैं कि ऐसी दर्जनों कंपनियां हैं, जो लैंस सप्लाई करती हैं। 20 से अधिक कंपनियां अस्पताल पहुंच सेवा में इंप्लांट मुहैया करवाती हैं। विभागीय सूत्रों की मानें तो ऐसी कंपनियों की सूची तैयार की जा रही है, क्योंकि ये न सिर्फ सेल टैक्स, बल्कि ड्रग विभाग को भी धोखे में रखकर कारोबार कर रही हैं।

क्या कहता है एक्ट- ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट के अनुसार लैंस भी दवा की श्रेणी में आता है, जिसके लिए ड्रग लाइसेंस अनिवार्य है। ड्रग विभाग को न सिर्फ लाइसेंस देना है, बल्कि इनकी क्वालिटी की जांच भी समय-समय पर करनी है।

प्रदेश में सालाना 1 लाख होते हैं मोतियाबिंद ऑपरेशन-

इंट्रा-ऑक्यूलर लैंस मोतियाबिंद ऑपरेशन में प्रत्यारोपित किए जाते हैं। राज्य स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में सालाना 90 हजार से 1लाख मोतियाबिंद ऑपरेशन होते हैं। इनमें से 70 फीसदी ऑपरेशन निजी अस्पतालों में किए जा रहे हैं। छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कार्पोरेशन (सीजीएमएससी) सीधे कंपनी से दवा, उपकरण, लैंस खरीदती है टेस्टिंग के बाद। जबकि निजी अस्पतालों को लैंस, इंप्लांट उपलब्ध करवाने बड़ी कंपनियों ने अपने डिपो राजधानी में खोल रखे हैं।

लाइसेंस के लिए आवेदन किया है

हमारे पास लाइसेंस हैं। (बताने पर कि खाद्य एवं औषधि विभाग कह रहा है कि लाइसेंस इश्यू नहीं हुआ है, बोले…) हां, हमारी कंपनी यहां डिपो खोलने की योजना बना रही है, इसलिए ड्रग लाइसेंस के लिए आवेदन किया है।(डॉक्टर्स का कहना है कि आप उन्हें लैंस सप्लाई करते हैं, बोले…) नहीं, मैं तो उपकरण सप्लाई करता हूं, कंपनी का इंजीनियर हूं। लैंस तो चेन्नई से ही आते हैं। (तीन दिन पहले हुई बातचीत के मुताबिक) 

इसी सप्ताह जारी हुआ ड्रग लाइसेंस

अप्पा सामी को इसी सप्ताह ड्रग लाइसेंस जारी किया गया है। हार्ट कॉपी अभी इश्यू नहीं हुई है। वे पहले से लैंस बेच रहे हैं इसकी जानकारी ली जा रही है। इसके साथ-साथ ड्रग लाइसेंस के बगैर कंपनियों द्वारा डिपो खोलकर इंप्लाट बेचे जा रहे हैं, इस पर जरूर कार्रवाई होगी।