‘पेसा’ और वनाधिकार कानून को लागू करने सरकार प्रतिबद्ध- टीएस सिंहदेव … पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री ने सर्व आदिवासी समाज से की चर्चा, आदिम जाति कल्याण मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह भी हुए शामिल

• ‘पेसा’ के लिए नियम बनाने सभी 85 अनुसूचित विकासखंडों के आदिवासी समाज के प्रतिनिधियों से लिए जाएंगे सुझाव

सर्व आदिवासी समाज ने जनजाति समुदायों से सुझाव लेकर ‘पेसा’ लागू करने की पहल के लिए पंचायत मंत्री को दिया धन्यवाद

रायपुर. पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री टी.एस. सिंहदेव ने कहा है कि ‘पेसा’ और वनाधिकार कानून को लागू करने छत्तीसगढ़ सरकार प्रतिबद्ध है। ‘पेसा’ पर प्रभावी अमल के लिए अनुसूचित क्षेत्रों के रहवासियों, समुदायों, जनप्रतिनिधियों और आदिवासी मुद्दों के जानकारों से सुझाव लेकर नियम तैयार किए जाएंगे। इसके लिए आदिवासी समाज के प्रतिनिधियों से लगातार चर्चा जारी है. पंचायत मंत्री श्री सिंहदेव ने आज अपने निवास कार्यालय में सर्व आदिवासी समाज से ‘पेसा’ पर चर्चा के दौरान ये बातें कहीं. आदिम जाति कल्याण मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह भी चर्चा में शामिल हुए.
 
श्री सिंहदेव ने बैठक में कहा कि ‘पेसा’ पर सुझाव प्राप्त करने अनुसूचित क्षेत्रों वाले सभी 85 विकासखंडों के आदिवासी समाज और नागरिक संगठनों के प्रतिनिधियों से चर्चा की जाएगी. ऑनलाइन चर्चा के माध्यम से भी उनके विचार लिए जाएंगे. उनकी कोशिश है कि विधानसभा के शीतकालीन सत्र तक अलग-अलग स्तरों पर चर्चा का दौर पूर्ण कर ‘पेसा’ के लिए नियमों का प्रारूप तैयार कर लिया जाए. इसके लिए ‘पेसा’ के क्रियान्वयन से जुड़े अलग-अलग विभागों राजस्व, वन, खनिज, आदिवासी विकास, संस्कृति और पर्यावरण विभाग से भी चर्चा और समन्वय की जरूरत होगी.

सर्व आदिवासी समाज के प्रतिनिधियों ने चर्चा के दौरान ‘पेसा’ पर अमल के लिए अपने सुझावों से पंचायत मंत्री श्री सिंहदेव और आदिम जाति कल्याण मंत्री डॉ. सिंह को अवगत कराया.. उन्होंने आदिवासी सलाहकार समिति को सशक्त बनाए जाने का सुझाव दिया. उन्होंने ‘पेसा’ पर अमल के लिए आदिवासी समाज को चर्चा में शामिल करने और उनसे सुझाव लेने के लिए पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री सिंहदेव को धन्यवाद दिया. बैठक में सर्व आदिवासी समाज के अध्यक्ष बी.पी.एस. नेताम, कोषाध्यक्ष फूलसिंह नेताम, प्रांतीय सचिव आनंद टोप्पो और महिला प्रभाग की अध्यक्ष कमला देवी नेताम सहित सदस्यगण सर्वश्री जी.एस. धनंजय, बी.एस. ठाकुर, कुंदन सिंह ठाकुर, एम.आर. ठाकुर और एन.एस. ठाकुर मौजूद थे.