अम्बिकापुर: नंगे पांव सत्याग्रह ने सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ पर हुए खुलासे के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय को ज्ञापन प्रेषित कर छत्तीसगढ़ में भी तीस्ता की तर्ज पर काम कर रहे गैर सरकारी संगठनों पर नकेल कसने की मांग की है। ऐसे लोग जनवाद, ग्राम राज व अन्य आकर्षक नारों के साथ के क्षेत्र में प्रवेश करके निर्वाचित सरकारों के विरुद्ध भड़काने का काम करते हैं। जबकि असल जनवाद निर्वाचित सरकारें ही होती हैं।
जिस प्रकार तीस्ता सीतलवाड़ ने पिछले दस बारह सालों में अकूट संपत्तियों का साम्राज्य खड़ा किया था, उसी तर्ज पर छत्तीसगढ़ में भी कुछेक गैर सरकारी संगठनों के कार्यवाहों ने महलनुमा घर और गाड़ियां देशी अनुदान व विदेशी चंदों के दम पर बनाई हैं। उल्लेखित संपत्तियां इन कार्यवाहों की आमदनी के अनुपात से कई गुना ज्यादा हैं। जिनकी जांच व राजसाती की कार्यवाही अत्यंत आवश्यक है। नंगे पांव सत्याग्रह के संयोजक राजेश सिंह सिसोदिया के मुताबिक अन्य राज्यों से रोजी रोटी की तलाश में आए कई ऐसे सामाजिक कार्यकर्ता हैं, जिन्हें ना तो छत्तीसगढ़िया अस्मिता से लगाव है ना ही इन्हें छत्तीसगढ़ की भूमि से लगाव है, इनका लगाव सिर्फ संपत्ति व आय अर्जित करने से है।
ऐसे गैर सरकारी संगठनों को कुछेक नेताओं का संरक्षण मिलना अतिदुर्भाग्यपूर्ण है। बेशक छत्तीसगढ़ आंदोलनों की धरती रही है, जिसकी नब्ज पकड़ कर ये तत्व निर्वाचित केंद्र व राज्य सरकारों के विरुद्ध भड़काने का काम कर रहे हैं, इनका नियंत्रण स्थानीय पुलिस प्रशासन के हाथ में होना चाहिए। क्योंकि केंद्र स्तर पर इनकी निगरानी केंद्रीय गृह मंत्रालय के द्वारा की जाती है।
नंगे पांव सत्याग्रह भी सामाजिक अभियान है, सत्रह सालों के दरमियान हमने अपने शरीर को तकलीफ़ देकर सरकारों को संवेदित किया, कभी किसी प्रकार का सरकारी नुक़सान नहीं किया।हजारों मामलों की सफल पैरवी की लेकिन संपत्ति अर्जित करने के मामले में हम ऋण में हैं। सिर्फ कागजों में अपना काम बताकर बड़ी बड़ी परियोजना संचालित करने वाले गैर सरकारी संगठनों ने कहीं वाटरशैड का काम अधूरा छोड़ा तो कुछेक ने कागजों पर काम दिखाकर सरकारी पैसे को हजम किया।
श्री सिसोदिया ने केंद्रीय गृह मंत्रालय से छत्तीसगढ़ में विदेशी व सरकारी अनुदान से संचालित समस्त गैर शासकीय संगठनों की जांच व स्थानीय पुलिस द्वारा सतत मानिटरिंग की मांग की है।