Exclusive : जेल में बंद कैदी की मौत मामले में नया मोड़.. परिजनों ने लगाए ये गंभीर आरोप.. सवालों के कटघरे में जेल प्रबंधन!

अम्बिकापुर..(पारसनाथ सिंह)..सेन्ट्रल जेल मे बंदी की मौत मे नया मोड आ गया है। जेल प्रबंधन के द्वारा बंदी की मौत की वजह आत्महत्या बताई जा रही है, तो वही मृत कैदी के परिजन हत्या का आरोप लगा रहे हैं। फिलहाल कैदी के संदेहास्पद मौत के बाद परिजन न्याय की गुहार लगा रहे हैं, तो जेल प्रबंधन कैदी की इस तरह मौत के मामले मे कटघरे मे खडा दिखाई दे रहा है।

अम्बिकापुर केन्द्रीय जेल मे डबल मर्डर के आरोप मे बंद रामायण साहू की संदिग्ध आत्महत्या के मामले ने नया मोड ले लिया है। बलरामपुर जिले के रघुनाथनगर निवासी बंदी रामायण साहू को रामानुजगंज न्यायालय ने 06 अप्रैल 2019 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। जिसके बाद से रामायण को अम्बिकापुर केन्द्रीय जेल मे शिफ्ट किया गया था, लेकिन बीते 6 मार्च की रात उसका शव फांसी मे लटका मिला। जिसके बाद अब रामायण की पत्नी और परिजन उसकी हत्या कर देने का आरोप लगाकर न्याय की गुहार लगा रहे हैं। रामायण की पत्नी के मुताबिक जेल मे उसके साथ बंद उन्ही के गांव के बब्लू नाम कैदी इसका प्रत्यक्ष गवाह है..और वो उसकी हत्या किए जाने की गवाही देने के लिए तैयार है। इतना ही नहीं परिजनो ने मृत बंदी के शरीर मे मारपीट के निशान होने की बात भी कह कर जेल प्रबंधन को कटघरे मे खडा कर दिया है।

अम्बिकापुर केन्द्रीय जेल मे जिस बंदी रामायण साहू की मौत हुई है। उसके पिता और साढू सीधे तौर पर हत्या का आरोप जेल ड्यूटी मे तैनात दो जेल प्रहरियो पर लगा रहे हैं। उनके मुताबिक जेल मे बंदी रामायण के साथ मारपीट कर उसकी हत्या की गई फिर शव को लटका दिया गया है। इधर परिजनो के बयान के आधार पर मामला संदेहास्पद नजर आ रहा है। तो वही बंदी की मौत के बाद जेल अधीक्षक ने मीडिया से मौत की वजह आत्महत्या बता कर अपना पलडा झाड़ लिया था। यहां तक कि जेल अधीक्षक ने मृत कैदी की मानसिक स्थिती भी खराब बताई थी।

वैसे अधीक्षक महोदय के मुताबिक अगर बंदी रामायण की मानसिक स्थिती खराब थी, तो फिर उसके इलाज के लिए क्या व्यवस्था की गई थी, उसको अन्य कैदियो की अपेक्षा क्या अलग सुविधाएं और व्यवस्थाएं दी गई थी ? ये कई सवाल है, जो परिजनो के हत्या वाले आरोप को और ठोस बना रहे है। बहरहाल छत्तीसगढ मे जहां आम इंसान रोज हत्या लूट और चोरी जैसे अपराधो का सामना कर रहा है। तो वहीं न्यायिक अभिरक्षा मे सुरक्षित रहने वाले बंदी भी जेल के अंदर सुरक्षित नहीं है।