कोरोना पॉजिटिव होने के बाद भी पूछ ताछ के लिए क्यों बुलाया गया सोनी सोरी को? जाने क्या है मामला

दंतेवाड़ा : कोरोना पॉसिटिव होने के बाद भी सोनी सोरी को राष्ट्रीय जांच एजेंसी बुलाया गया क्योकि पिछले साल एक कथित नक्सली हमले में भाजपा विधायक भीमा मांडवी और चार पुलिसवालों की हत्या की जांच के संबंध कुछ पूछ ताछ की जानी थी। लेकिन इस बीच उसके स्वस्वास्थ का बिल्कुल भी ख्याल नहीं रखा गया और लगातार 7 घंटे तक पूंछ तांछ चलती रही। दरअसल बीते 24 सितंबर को उन्होंने अपना जाँच कराया जिसमे वे कोविड-19 पॉजिटिव पाई गईं। सोरी ने अधिकारियों को अपनी स्वास्थ्य की स्थिति के बारे में जानकारी दी, लेकिन इसके बावजूद भी उन्हें पेश होने के लिए कहा गया. लेकिन इसके चार दिन बाद ही स्थानीय प्रशासन ने उनके खिलाफ क्वारंटीन नियमों का उल्लंघन करने के आरोप में आईपीसी की धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया.

लॉकडाउन के दौरान छत्तीसगढ़ के आदिवासी जिले दंतेवाड़ा के गांवों का दौरा करने वाली और लोगों की मदद करने में सक्रिय रहने वाली सोरी को सितंबर महीने में लक्षण दिखने शुरू हुए. बुखार होने के बाद उन्होंने अपना कोविड-19 टेस्ट कराया . जिसमें वे कोरोना वायरस से संक्रमित थी. स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारी ने उन्हें उनके घर में कोरंटाइन कर दिया।जब सोरी ने एनआईए के अधिकारियों को अपनी स्वास्थ्य की स्थिति के बारे में सूचित किया, तो अधिकारियों ने उन पर विश्वास करने से इनकार कर दिया.उन्होंने कहा, ‘सोरी को व्यवस्था करके 80 किलोमीटर दूर स्थित एनआईए के दंतेवाड़ा ऑफिस में पेश होने होगा। .’सोरी के भतीजे लिंगराम कोडोपी ने बताया की उन्हें कोई अपना वाहन देने के लिए भी तैयार नहीं था क्योकि ‘सोरी की स्वास्थ्य स्थिति से आस पास के लोग भी डर रहे थे।

’इसके बाद दोनों को भारी बारिश के बीच बाइक पर यात्रा करने के लिए मजबूर होना पड़ा.सोरी ने कहा, ‘मैं तेज बुखार से जल रही थी. मुझे डर था कि वे मुझे मामले में हिरासत में न ले लें। उन्होंने खराब हालत के बावजूद सात घंटे तक पूछताछ की. पॉजिटिव रिपोर्ट के बावजूद एनआईए और दंतेवाड़ा पुलिस ने एक दूसरा टेस्ट करवाने के लिए मजबूर किया

. सोरी ने आरोप लगाया है कि रैपिड टेस्ट किट द्वारा साफ तौर पर उनके पॉजिटिव होने के संकेत दिए जाने के बाद भी पुलिस और स्वास्थ्य अधिकारी प्रताप देवेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि वह निगेटिव हैं और पूछताछ के लिए स्वस्थ हैं.इतना ही नहीं इस घटनाक्रम के बाद स्वास्थ्य अधिकारी ने सोरी के खिलाफ एक लोक सेवक द्वारा विधिवत आदेश की अवज्ञा करने, जीवन के लिए खतरनाक बीमारी के संक्रमण को फैलाने के लिए एक लापरवाही वाले कार्य में लिप्त होने और जीवन के लिए खतरनाक बीमारी के संक्रमण को फैलाने जैसा घातक कार्य करने के आरोप में आईपीसी की धाराओं 188, 269 और 270 के तहत मामला दर्ज कर लिया.

तीनों धाराएं जमानती हैं.अतीत में यौन अत्याचार और लंबे समय तक उत्पीड़न सहित पुलिस अत्याचारों का सामना करने वाली सोरी ने कहा कि राज्य पुलिस और एनआईए की कार्रवाई अमानवीय है. सोरी का कहना है कि, ‘अगर मुझसे पूछताछ करना इतना महत्वपूर्ण था तो एनआईए कुछ हफ्तों तक इंतजार कर सकती थी. जब उन्हें पूरी तरह से पता है कि यह बीमारी तेजी से फैलती है तब भी उन्होंने मुझे यात्रा करने पर मजबूर क्यों किया? यह केवल मेरे स्वास्थ्य के बारे में नहीं था, मैं बहुत से लोगों की जिंदगी को खतरे में डाल सकती थी।


जानते है क्या है मामला ?
भीमा मांडवी हत्या मामला2 अप्रैल, 2019 को भाजपा विधायक भीमा मांडवी और छत्तीसगढ़ सैन्य बल (सीएएफ) के चार जवानों की तब हत्या हो गई थी जब नक्सलियों ने कथित तौर पर आईईडी से उनके वाहन को उड़ा दिया था.यह घटना दंतेवाड़ा के कुआकोंडा थाना क्षेत्र के अंतर्गत श्यामगिरी गांव के पास हुई थी. इसके बाद 2 अक्टूबर को मामला जांच के लिए एनआईए को सौंप दिया गया. एजेंसी ने एक भारी-भरकम चार्जशीट फाइल की और 33 लोगों को आरोपी बनाया.चार्जशीट दाखिल करने से पहले एनआईए सोरी से पूछताछ करने की जल्दबाजी में थी.चार्जशीट में एनआईए ने दावा किया है कि हमलावरों ने घात लगाने के बाद सुरक्षाकर्मियों के हथियार और गोला-बारूद भी लूट लिए थे. सभी आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की कई धाराओं, आर्म्स एक्ट, विस्फोटक पदार्थ अधिनियम और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए), 1967 के तहत मामला दर्ज किया गया है.

जहां एनआईए की जगदलपुर टीम ने सोरी की स्थास्थ्य स्थिति को गंभीरता से लेने से इनकार कर दिया वहीं 2018 के एल्गार परिषद मामले की जांच कर रही उसकी मुंबई टीम ने पिछले सप्ताह पूछताछ की तारीख रद्द कर दी थी.भीमा-कोरेगांव युद्ध की 200वीं वर्षगांठ का जश्न मनाने के लिए पुणे के शनिवारवाड़ा में आयोजित एल्गार परिषद कार्यक्रम में कई गेस्ट स्पीकरों में से सोरी एक थीं और एनआईए को उनसे पूछताछ करनी थी.रिपोर्ट के अनुसार, अधिकारियों की एक टीम ने दंतेवाड़ा की यात्रा की थी, लेकिन उसकी स्वास्थ्य स्थिति के बारे में पता लगने पर वापस लौटने का फैसला किया. टीम ने सोरी से फोन पर बात की और आने वाले हफ्तों में दंतेवाड़ा आने का फैसला लिया।