पिता की कांधो पर बैठ बच्चे देख रहे सुनहरे भविष्य का सपना..मगर शासन प्रशासन की अनदेखी ने कर रखा है मायूस.. नेताओं पर भी गम्भीर आरोप!..

बलरामपुर..(कृष्णमोहन कुमार)..शिक्षा पाने के लिए स्कूली बच्चों को नदी को पार करके जाना पड़ रहा है.. अभिवावक अपने बच्चों को अपने कंधों में बैठाकर नदी को पार करवाते है..स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षक भी रोजाना नदी पार करके स्कूल पँहुचते है.. वही ग्रामीणों की मांग पर शासन और प्रशासन महज कोरा आश्वासन देकर चले जाते है..और अब ऐसे में कलेक्टर ने जल्द से जल्द पुल निर्माण की बात कह कर ग्रामीणों को थोड़ी राहत जरूर दी है!..

बलरामपुर जिले के शंकरगढ़ ब्लाक मुख्यालय से महज 10 किलोमीटर की दूरी पर बसा जारगिम ग्राम का माधो लोंगरा बस्ती है..जहाँ तक पहुचने के लिये गेऊर नदी को पार करना पड़ता है..और माधो लोंगरा बस्ती में सरकार की प्रॉयमरी और मिडिल स्कूल भी संचालित होते है.. जहाँ पर पढ़ने वाले छोटे – छोटे बच्चों को अपनी जान को जोखिम में डालकर अपने अभिभावकों के कांधो के सहारे नदी को पार करना पड़ता है ..ग्रामीणो के कई बार शिकायत और मांग के बावजूद भी अब तक शासन और प्रशासन ने इस ओर ध्यान नही दिया है..शासन इसलिए भी क्योकि रमन सरकार के दूसरे कार्यकाल  मे तत्कालीन सामरी विधायक सिद्धनाथ पैकरा संसदीय सचिव रहे..यही नही यह इलाका भाजपा के गढ़ के रूप में सुमार हुआ करता था..

माधो लोंगरा बस्ती के लोगो को इलाज के लिए जारगिम या तो शंकरगढ़ जाना पड़ता है लेकिन बीच मे नदी पड़ने के कारण बरसात में ग्रामीणो को काफी परेशानी उठानी पड़ती है,ग्रामीण परिवेश की महिलाओ का कहना है.. कि नेता हमारे गांव में सिर्फ वोट मांगने के लिए ही आते है..और झूठा आस्वासन देकर चले जाते है..चुनाव हो जाने के बाद फिर कभी मुड़कर दुबारा हमारे गांव में नही आते है..हमने अपने वोट के बदले महज एक पुल ही तो मांगा है..फिर भी कोई सुनवाई नही है..

इसके अलावा गांव की स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों की माने तो उनको अपने भविष्य को लेकर चिंता बनी रहती है.. इसलिए स्कूल जाने के लिए अपनी जान को जोखिम में डालकर नदी को पार करके स्कूल जाते है..

वही कलेक्टर संजीव कुमार झा ने इस पूरे मामले को गम्भीरता से लेते हुए..कहा की हमने जिला शिक्षा अधिकारी को सुविधानुसार आसपास के गांवों के स्कूलों में नदी पार कर आने वाले बच्चों का एडमिशन कराने के निर्देश दिए है!..