● 12 साल बाद दो आरोपी जेल दाख़िल…
● तत्कालीन अपर कलेक्टर समेत 5 आरोपी फरार…
अम्बिकापुर। छत्तीसगढ़ के अम्बिकापुर में वर्ष 2010 में वीआईपी पर्सन को लक्जरी गाडियां उपलब्ध कराने और पेट्रोल-डीजल के नाम पर लाखों रुपए का फर्जीवाड़ा करने का मामला उजागर हुआ था। तब ईओडब्ल्यू ने इस फर्जीवाड़ा में संलिप्त तत्कालीन अपर कलेक्टर के अलावा 7 अन्य लोगों के खिलाफ अपराध दर्ज किया था। अब 12 साल बाद ईओडब्ल्यू ने 2 आरोपियों को गिरफ्तार कर विशेष न्यायालय में पेश किया। जहां उनकी जमानत याचिका ख़ारिज होने पर जेल दाखिल किया गया। वहीं तत्कालीन अपर कलेक्टर समेत 5 आरोपी अब भी फरार हैं।
दरअसल, 12 साल पहले 2010 में अम्बिकापुर के आरटीआई कार्यकर्ता व अधिवक्ता डीके सोनी ने सूचना के अधिकार के तहत जो जानकारी मांगी थी। उसके तहत प्रोटोकाल विभाग में वीआईपी व्यक्तियों को दी जाने वाली वाहन सुविधा के नाम पर एक बड़ा फर्जीवाडा करने का खुलासा हुआ था। सूचना के अधिकार के तहत जो जानकारी सामने आई थी। उसके मुताबिक वीआईपी व्यक्तियों को प्रोटोकाल विभाग द्वारा दी जाने वाली लक्जरी वाहनों के नंबर बाइक, पिकअप व प्राइवेट कार के मिले थे। और उन्हें किराए में लिए गए वाहनों का नम्बर बताकर भुगतान भी कर दिया गया था।
साल 2010 के अक्टूबर माह में जब इस मामले का सच सामने आया। तो अधिवक्ता डीके सोनी ने इस गड़बड़ी की शिकायत राज्यपाल व मुख्यमंत्री से करते हुए उचित कार्रवाई की मांग की थी। अधिवक्ता डीके सोनी ने बताया था कि वर्ष 2007 से 2009 तक के दौरान प्रोटोकाल विभाग से वीआईपी को उपलब्ध कराए गए वाहनों के प्रकार, उसकी सूची, किराया भुगतान व डीजल पेट्रोल खर्चे का विवरण आरटीआई के माध्यम से मांगा गया था। और स्थानीय स्तर पर हीला हवाली के बाद राज्य सूचना आयुक्त के निर्देश के बाद प्रोटोकॉल विभाग द्वारा 562 वाहनों की जानकारी दी गई थी।
वहीं जांच पड़ताल के बाद 2012 में आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) ने तत्कालीन अपर कलेक्टर वीके धुर्वे सहित 7 आरोपियों के खिलाफ अपराध दर्ज किया था। वहीं मामला उजागर होने के 12 साल बाद ईओडब्ल्यू ने शुक्रवार को इस फर्जीवाड़ा में शामिल उमेश चंद श्रीवास्तव व बैजनाथ विश्वकर्मा को गिरफ्तार कर स्पेशल भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम कोर्ट में पेश किया। जहां सुनवाई के बाद विशेष न्यायालय ने दोनों आरोपियों की जमानत याचिका खारिज कर दिया। इसके बाद दोनों आरोपियों को जेल दाखिल कराया गया। इस मामले में 5 आरोपी तत्कालीन अपर कलेक्टर वीके धुर्वे, अजय मिश्रा, अखिलेश कुमार गुप्ता, विजय गुप्ता, दिलीप विश्वकर्मा अभी फ़रार है।