कम्बल उद्योग में भी बन रही है छत्तीसगढ़ की पहचान

  • प्रदेश में 3.67 करोड़ रूपए की 83 हजार नग से ज्यादा कंबल उत्पादन
  • बुनकरों को 41.19 लाख रूपए का पारिश्रमिक भुगतान
  • रायपुर

    कम्बल उद्योग में भी छत्तीसगढ़ राज्य की तेजी से पहचान बन रही है। राज्य सरकार के ग्रामोद्योग विभाग द्वारा बुनकरों के आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए अनेक योजनाएं शुरू की गई है। शासकीय वस्त्र प्रदाय योजना के तहत यहां के बुनकारों को नियमित रूप से रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा हैै। राजनांदगांव जिले की ग्यारह बुनकर सहकारी समितियों में चालू वित्तीय वर्ष 2015-16 में जनवरी तक लगभग तीन करोड़ 67 लाख रूपए की 83 हजार 211 नग कंबलों का उत्पादन किया गया। इसके लिए बुनकरों को सहकारी समितियों के माध्यम से 41 लाख 19 हजार रूपए की पारिश्रमिक भुगतान किया जा चुका है। कंबल उत्पादन में जिले के सभी बुनकर सहकारी समितियों से सम्बद्ध 21 परिवारों के 657 लोगों को रोजगार मिल रहा है। बुनकारों को प्रति कंबल 49 रूपए 50 पैसे की दर से पारिश्रमिक भुगतान किया जा रहा है। कंबल का मूल्य 441 रूपए प्रति नग निर्धारित किया गया है। राजनांदगांव जिले के बुनकरों द्वारा निर्मित कंबलों की मांग पूरे प्रदेश में है।

  • प्रदेश के सभी आश्रमों-छात्रावासों, सरकारी अस्पतालों, पुलिस एवं होमगार्ड प्रशिक्षण संस्थाओं सहित मांग के अनुसार सभी शासकीय विभागों में कंबल की आपूर्ति की जा रही है।
  •  चालू वित्तीय वर्ष 2015-16 में जनवरी माह तक आशा बुनकर सहकारी समिति राजनांदगांव में चार हजार 445 नग कंबल, आदिशक्ति बुनकर सहकारी समिति कन्हारपुरी विकासखण्ड छुरिया में सात हजार 759 नग, जय मां दुर्गा बुनकर सहकारी समिति ढाढूटोला विकासखण्ड अम्बागढ़ चौकी में दो हजार 739 नग, मां दुर्गा बुनकार सहकारी समिति बघेराभांठा विकासखण्ड डोंगरगढ़ में सात हजार 616 नग और ज्योति आदिवासी बुनकर सहकारी समिति कुर्मदा विकासखण्ड छुरिया में चार हजार 052 नग कंबल का उत्पादन किया गया। इसी तरह बम्लेश्वरी बुनकर सहकारी समिति रामटोला विकासखण्ड डोंगरगढ़ में आठ हजार 954 नग, आदिशक्ति बुनकर सहकारी समिति बूचाटोला विकासखण्ड छुरिया में 20 हजार 434 नग, आदर्श बुनकर सहकारी समिति सोमाझिटिया विकासखण्ड छुरिया में 24 हजार 105 नग, लक्ष्मी बुनकर सहकारी समिति मेढ़ा विकासखण्ड डोंगरगढ़ में 692 नग और शक्ति आदिवासी बुनकर सहकारी समिति खुर्सीटिकुल विकासखण्ड छुरिया में दो हजार 415 नग कंबल का उप्पादन किया गया।