आदिवासी युवती के साथ गैंगरेप की घटना पर महीनों पुलिस की रहस्यमयी चुप्पी पर खड़े किये सवाल..प्रदेश में बच्चियां सुरक्षित नहीं है..बृजमोहन अग्रवाल ने प्रदेश सरकार पर लगाया आरोप

रायपुर: पूर्व मंत्री एवं भाजपा विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने कोण्डागांव जिले के धनोरा थाना क्षेत्र के कानागांव में छोटे ओडागांव के नाबालिग आदिवासी युवती के साथ सामूहिक बलात्कार की घटना व महीनों पुलिस की रहस्यमयी चुप्पी पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि इस प्रदेश में बच्चियां सुरक्षित नहीं है। इस प्रकरण को सरकार दफन करने में लगी हुई है। पुलिस प्रशासन पीड़िता को न्याय दिलाने के बजाय आरोपियों से सौदेबाजी में व्यस्त है। बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि कानागांव की इस घटना से पूरे प्रदेश का सिर शर्मशार हो गया है। यह घटना कांग्रेस सरकार के चेहरे व निकम्मेपन पर करारा तमाचा है।

बृजमोहन अग्रवाल ने एक बयान जारी कर घटना को वीभत्स बताते हुए कहा कि भूपेश बघेल की सरकार पूरे प्रकरण को दबाने में लगी हुई है। घटना की रिपोर्ट संबंधित थाने में नहीं लिखी गई। थानेदार ने आरोपियों से सांठगांठ की। लड़की के आत्महत्या के बाद प्रशासन ने जानबूझकर आंख मूंद ली। बच्ची का पोस्टमार्टम नहीं कराया गया, आत्महत्या की रिपोर्ट भी दर्ज नहीं की गई, धनोरा के तत्कालीन थाना प्रभारी ने आत्महत्या के कुछ दिन बात उनके परिजनों को बुलाकर कहा कि दुष्कर्म व आत्महत्या की पूरी जानकारी है तथा वे इसमें केस दर्ज कर रहे हैं परंतु उसके बाद भी कोई कार्यवाही नहीं की गई। घटना से दुखी पिता ने जब कीटनाशक दवा पीकर जान देने की कोशिश की तब प्रशासन में हड़कंप मचा। पग-पग में आरोपियों को बचाने पुलिस प्रशासन ने लापरवाही की और अब अपने को पाक साफ बताने नई नई कहानी गढ़ रहे हैं।

श्री अग्रवाल ने कहा कि हाथरस यू.पी. के घटना के लिए छत्तीसगढ़ में रैली और प्रदर्शन करने वाले छत्तीसगढ़ सरकार के मंत्रीगण कांग्रेस पार्टी व उनके नेता राहुल और प्रियंका अब कहां है। एक निरीह आदिवासी नाबालिग बच्ची के गैंग रेप पर उनके जुबान अब क्यों बंद है। राहुल-प्रियंका क्यों केसकाल नहीं आ रहे हैं। मंत्रीगण न्याय दिलाने रैली क्यों नहीं निकाल रहे? छत्तीसगढ़ के आदिवासी नवयुवती से बलात्कार पर कांग्रेस की चुप्पी अनेक संदेहो को जन्म दे रही है।श्री अग्रवाल ने कहा कि राज्य सरकार एवं छत्तीसगढ़ पुलिस पूरे मामले में लिपापोती में लगी हुई है। पीड़ित के माता, पिता, चाचा व सहेली का गांव में बयान लेने के बजाय पुलिस अधीक्षक द्वारा उन्हें कोण्डागांव ले जाना इसी दिशा में संकेत भी कर रहे हैं। इस सरकार में निष्पक्ष जांच व पीड़ित परिवार को न्याय मिल पाना संभव नहीं है। अतः मुख्यमंत्री इस पूरे प्रकरण की सी.बी.आई. जांच की घोषणा करें।