कागजो में चल रहा आंगनबाड़ी..आंगनबाड़ी केंद्रों में 6 महीनों से लटक रहा ताला..इस पर भी परियोजना अधिकारी का बेतुका बयान..ड्राइव्हर नही तो कैसे जाऊ जांच करने..

बलरामपुर (कृष्णमोहन कुमार ) प्रदेश में एक ओर डॉक्टर रमन सिंह की सरकार जहाँ आंगनबाड़ियों और स्कूलों के संचालन पर जोर दे रही हो..और नए आंगनबाड़ी और स्कूल खोलने की कार्य योजनाओं पर काम कर रही हो..ऐसे में उत्तर छत्तीसगढ़ सरगुजा से बेहद शर्मनाक तस्वीरें और आंकड़े निकलकर आ रही है.. जो महिला बाल विकास के तमाम दावों के पुलिंदों को झुठला कर रख देती है…

सरगुजा के आदिवासी बाहुल्य जिला बलरामपुर के ग्राम जोकपाठ में नौनिहालों के नाम महिला बाल विकास विभाग इस कदर लूट मचाये हुए है..जिसकी कल्पना ना किसी ने की होगी और ना ही कभी कोई कर सकता है..
दरसल जिले के शंकरगढ़ ब्लाक के जोकपाठ में कहने को तीन-तीन आंगनबाड़ी केंद्र है जहाँ गाँव के नौनिहालों को कुपोषित से सुपोषित बनाने की नींव रखी जाती है..और सरकार द्वारा दी जाने वाली रेडी टू इट से लेकर गर्म भोजन ,दूध वगैरह सामग्री कागजो में ही बॉट दी जाती है…कागजो में इन सब खाद्य सामग्रियों की बांटे जाने की वजह भी खास है..क्योकि इन आंगनबाड़ियों के ताले पिछले छः महीने से खुले ही नही है..आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाओं की नियुक्तियां इस गाँव मे हुई है..पर हकीकत वही है “सैय्या भये कोतवाल तो डर काहे का” यह इसलिए की महिला बाल विकास के इन कर्मचारियों को समय पर मेहनताना मिल जाता है..सो वे अपने घर पर ही रहती है…

जिले के सुदूर वनांचल और पहाड़ियों के बीच बसे पंडो कोरवा विशेष जनजाति बाहुल्य जोकपाठ में महिला बाल विकास विभाग के मुताबिक डडीपारा, बगीचा पारा, लालदरा पारा में 3 से 4 साल पहले आंगनबाड़ी खोले गए थे..लेकिन यह आंगनबाड़ी भवन कब खुले और कब बन्द हुए बीते 6 महीनों में किसी ने नही देखा..

अब सेक्टर सुरवाईजर मनोरमा बखला की माने तो उनका सेक्टर काफी बड़ा है..तो मैडम 6 महीनों से वहाँ तक नही पहुँच पाई है!..वे लोगो की शिकायतें दूर कर पाती है या नही ये दूर उनकी विभाग से ही शिकायतें है..जिनका जन सरोकार से कोई लेना देना नही है…

वही ब्लाक परियोजना अधिकारी का इस गम्भीर मसले से निपटने का अलग ही तर्क है..उनकी माने तो उनके पास ड्राइव्हर नही है..तो भला वे कैसे वहाँ जा पाएंगी..कुल मिलाकर यह है की पिछड़ा इलाका है..तो उसके और पिछड़ने में हर्ज ही क्या है..

वैसे कहने को इन सब की परख करने जनप्रतिनिधि भी होते है..जिन्हें जनता का हितैषी कहा जाता है..पर वे भी ऐसे मसलों पर आगे नही आ रहे जो समझ से परे है..
बता दे की यह वही बलरामपुर जिला है जहाँ पिछले बरस तत्कालीन कलेक्टर अवनीश शरण ने ऐसे लापरवाही बरतने वाली लगभग सैकड़ो आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं पर कार्यवाही की थी..कुछ कार्यकर्ताओ को बर्खास्त भी किया गया था…
फिलहाल अब इस मामले में क्या कार्यवाही होगी..और इन सब का ठीकरा किसके सर फूटेगा यह तो देखने वाली बात है..