अम्बिकापुर. प्रतिभा किसी की मोहताज़ नहीं होती, उसे आवश्यकता होती है बस सही प्रशिक्षण और अवसर की. छत्तीसगढ़ के सरगुजा ज़िले में युवाओं को इन्ही प्रशिक्षण और अवसर से लैस करने का ज़िम्मा उठाया है आरआरवीयूऐनएल और अडाणी फाउंडेशन ने. इनके योगदान के अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है की अडाणी फाउंडेशन द्वारा चलाये जा रहे कौशल विकास केंद्र से प्रशिक्षित युवक और युवतियां अब देश के दूर दराज़ के इलाकों तक जा कर नौकरी कर पा रहे हैं. उल्लेखनीय है की जो लोग सरगुजा से बाहर जा कर नौकरी कर रहे हैं, उन में अधिकतर का चयन कंपनियों ने खुद ही कौशल विकास केंद्र द्वारा लगाए गए विशेष कैंपस सिलेक्शन प्रोग्राम में किया गया था.
सरगुजा में 2017 से चल रहे कौशल विकास केंद्र में अब तक 200 से भी ज्यादा स्थानीय निवासियों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है और केंद्र की अपार सफलता को देखते हुए अब पड़ोसी राज्यों तक के बच्चे यहाँ प्रशिक्षण के लिए आने लगे हैं. कौशल विकास केंद्र के एक अधिकारी ने बताया कि “पुरे छत्तीसगढ़ में हमने अब तक 2000 से भी ज्यादा प्रशिक्षुओं को ट्रेनिंग दी है. सरगुजा स्तिथ हमारे संस्थान से ट्रेनिंग प्राप्त किये हुए युवक और युवतियां आज कल पुणे, चेन्नई, तिरुपुर (तमिलनाडु) में चल रहे फैक्ट्रियों और उद्योगों में अपने कौशल का प्रदर्शन कर रहे हैं. कुछ ही दिन पहले एक और बैच की ट्रेनिंग संपन्न हुई थी. जिसमे से अधिकतर विद्यार्थियों का चयन कैंपस सिलेक्शन के दौरान पुणे की फैक्ट्रियों में हुआ.”
उन्होंने ये भी जानकारी दी कि अगले बैच की तैयारी करीब-करीब पूरी हो चुकी है. और उम्मीद है की जून के आखिरी सप्ताह तक नए बैच की ट्रेनिंग भी शुरू हो जाएगी. अडाणी फाउंडेशन द्वारा कौशल विकास केंद्र में असिस्टेंट इलेक्ट्रीशियन, माइनिंग मैकेनिक, फिटर, सिलाई मशीन इत्यादि की ट्रेनिंग दी जाती है. केंद्र से प्रशिक्षित हो कर अपने पैरों पर खड़ी होने वाली रत्ना सिंह ने बताया की किस तरह से आरआरवीयूऐनएल और अडाणी फाउंडेशन द्वारा चलाये जा रहे CSR प्रोग्राम ने उनकी ज़िन्दगी में एक सकारात्मक परिवर्तन की राह प्रश्स्त की. रत्ना के पिता अपनी खेती के बलबूते पांच लोगों के परिवार की जिम्मेदारी मुश्किल से पूरी कर पा रहे थे. लेकिन कौशल विकास केंद्र सिलाई मशीन ऑपरेटर की ट्रेनिंग लेने के बाद रत्ना अब चेन्नई-स्तिथ स्टेटस नीट यूनिट में कार्यरत हैं और परिवार की जरूरतों को पूरा करने में अपने पिता के साथ कदम से कदम मिला कर चल रही हैं. नौकरी के साथ साथ रत्ना आज कल एमए की पढ़ाई भी पूरी करने में लगी हुई है।
गौरतलब है की कौशल विकास केंद्र की स्थापना सारे सरकारी नियम-कानून मापदंडो को ध्यान में रख कर किया गया है. और यहाँ भिन्न-भिन्न ट्रेड की क्लासरूम के साथ साथ 120 प्रशिक्षुओं के लिए हॉस्टल की व्यवस्था भी है.
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