Chhattisgarh News: तीन दिन में दो कोरवा जनजाति के लोगों की मौत, मौत के आरोप पर प्रबंधन ने दी सफाई

अम्बिकापुर. अम्बिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में पिछले दो दिनो में विशेष संरक्षित कोरवा जनताति के दो लोगो की मौत इलाज के दौरान हो चुकी है. जिसमे एक मौत के बाद परिजनों ने स्टॉफ पर लापरवाही का आरोप भी लगाया था. जिसके बाद आज मेडिकल कॉलेज अस्पताल में कॉलेज के डीन और अस्पताल के अधीक्षक ने नर्सिंग अधिकारियो औऱ प्रशासनिक टीम की एक बैठक आयोजित की गई. जिसमे कोरवा महिला की मौत के मामले मे अस्पताल अधीक्षक ने डीन को अपना जवाब सौंप दिया है. फिलहाल इस मामले मे कोई कार्यवाही नहीं हुई है. गौरतलब है कि कोरवा जाति के लोगो को राष्ट्रपति का दत्तक पुत्र माना जाता है.

तीन-दिन मे दो कोरवा जनजाति के लोगो की मौत

अम्बिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल हमेशा सुर्खियो मे बना रहता है. यहां आए दिन किसी की मौत पर लापरवाही का आरोप लगाकर परिजन हंगामा करते हैं. लेकिन कार्यवाही के नाम पर सिर्फ जांच कार्यवाही का आश्वसन ही मिलता है. लेकिन पिछले दो तीन दिनो मे इस अस्पताल मे जो हुआ. उसको लेकर अस्पताल के लोगो की कार्यशैली और कार्यवाही पर सवाल उठना लाजमी है. दरअसल दो दिन पहले 29 तारिख को रामानुजगंज थाने क्षेत्र की रहने वाले 28 वर्षीय कोरवा जनजाति की महिला को पहले वाड्रफनगर शासकीय अस्पताल मे भर्ती कराया गया. जहां से उसके अम्बिकापुर मेडिकल कॉलेज रिफर कर दिया गया था. यहां इलाज के दौरान 28 मई की रात उसकी तबियत ज्यादा बिगडने लगी.

परिजनों ने लगाया आरोप

जिसके बाद परिजनो का आरोप है कि इस बात की जानकारी उन्होने वार्ड ड्यूटी कर रही नर्स को दिया. लेकिन नर्स ने ध्यान नहीं दिया. और महिला की 29 तारिख की सुबह मौत हो गई. जिसके बाद आज 31 मई को सुबह एक कोरवा जनजाति के एक 28 वर्षीय युवक ने इलाज के दौरान दम तोड दिया. युवक को को जशपुर जिले के बगीचा से रिफर किया गया था. पेट दर्द के पीडित बालसाय नाम के युवक का पहले पेट का आपरेशन हुआ. उसके बाद आज सुबह पहाडी कोरवा युवक ने भी दम तोड दिया.

प्रबंधन ने आयोजित किया बैठक

कोरवा जनजाति के दो लोगों की मौत के बाद आज अस्पताल प्रबंधन ने मीटिंग आयोजित की. जिसके संबंध में अस्पताल अधीक्षक डॉ. लखन सिंह ने बताया कि जनरल मीटिंग थी. मीटिंग में डीन, एमएस और जितने भी वार्ड प्रभारी है सभी शामिल हुए. अस्पताल से संबंधित कुछ शिकायतें आती रहती है. जैसे अच्छे से व्यवहार नहीं करना, डॉक्टर को बुलाया लेकिन देखा नहीं, किसी का जांच नहीं हुआ. इन सब को लेकर समझाइश दिया गया है कि ऐसा नहीं होना चाहिए. वार्ड में ऐसी शिकायतें नहीं आनी चाहिए. मरीजों से अच्छे से व्यवहार करें. परिजनों को अटेंड करें.

प्रबंधन ने दिया जवाब

अस्पताल प्रबंधन की ओर से बताया गया कि महिला मरीज को डॉक्टरों, सिस्टर ने अटेंड किया है. मरीज शाम तक ठीक थी. अर्ली मॉर्निंग सांस लेने में दिक्कत हुई. इसके बाद मौत हो गई. किसी डॉक्टर ने नहीं देखा ऐसी कोई बात नहीं थी. वहीं बगीचा निवासी बालसाय को 28 मई को सर्जरी डिपार्टमेंट में एडमिट किया गया था. पेट की समस्या थी. 30 मई को ऑपरेशन हुआ है. उसे गंभीर हालत में ऑपरेशन थिएटर में लाया गया था. ऑपरेशन के बाद आईसीयू में रखकर समुचित इलाज किया गया है.