क्षेत्र में रामनवमी की धूम जगह जगह भव्य आयोजन ।

गायत्री मंदिर, रम्पुरहीन दाई धाम सहित अन्य जगहों पर मनोकामना ज्योति प्रज्जवलित किये गए

अम्बिकापुर

विकास खण्ड उदयपुर में नवरात्र के पहले दिन से पूरा क्षेत्र ईश्वर की भक्ति और शक्ति की देवी मां दुर्गा की भक्ति में लीन है। भक्तिमय वातावरण में लोग अपने आराध्यों की पूजा अर्चना कर रहे है। दर्शनीय स्थल रम्पूरहीन दाई धाम जजगा में श्रद्धालुओं का उत्साह देखते ही बनता है। पहाड़ी पर विराजमान और रम्पूरहीन दाई के नाम से विख्यात इस स्थल पर हर वर्ष की भांति मनोकामना ज्योत प्रज्जवलित कर लोगों के सुख समृद्धि की कामना की जा रही है। मनोकामना पूर्ण होने के बाद लोग यहां कारी पाठी (काले रंग की पठिया) की बली देते है। नवरात्र के अलावा भी इस स्थल पर लोग रोजाना यहां बलि के लिए आते है। मान्यता है कि मन से इस स्थल पर जो कुछ भी आप मांग लो वह अवश्य पूरा होता है।

दूसरी ओर रामगढ़ जो कि हजारों वर्षाें से अपने भीतर सैकड़ों रहस्य समेटे हुये है इसकी भी यात्रा लोगों को रोमांचित करती है। सीताबेंगरा से 4 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद छोटेतुर्रा स्थित है जहां पहाड़ के बीचो बीच बारहों महीने शीतल जल निकलता रहता है और श्रद्धालुओं की प्यास बुझाता है। यहां से कुछ दूर पैदल चलने पर मुर्गी गोड़ारी नामक स्थान है जहां से रामगढ़ की मुख्य मंदिर के लिए सीढि़यां मिलती है। कुल 631 सीढि़यों की कठिन चढ़ाई चढ़ने के बाद हजारों वर्ष पूराने राम जानकी मंदिर के दर्शन होते है। इस मंदिर के भीतर हजारों वर्ष पुराना राम जानकी, लक्ष्मण, हनुमान और विष्णु भगवान की प्रतिमा स्थापित है। मंदिर दर्शन और प्रसाद ग्रहण करने के बाद लोग यहां से पार्वती गुफा और जानकी तालाब के दर्शन को जाते है।

इन सबके अलावा यहां दर्शनीय स्थल चंदन माटी तालाब है जहां उत्साही युवक अंदर जाकर चंदन की मिट्टी लेकर आते है उनका उत्साह देखते ही बनता है। कुछ पुरातत्व के महत्व की चीजें है जो उपेक्षा की शिकार है जिनके संरक्षण की आवश्यक्ता है जिनमें प्रमुख रूप से भगवान आदिनाथ की बाल्यकाल से बोधी प्राप्ति तक की प्रतिमा है जो जीर्ण शीर्ण अवस्था में है संरक्षण के अभाव में अपनी पहचान खो रहा है। थोड़ी पहल से इसकी रंगत और बदल सकती है। आज इस जगह पर रामनवमीें के पहले दिन से ही अच्छी खासी भीड़ श्रद्धालुओं की देखी जा सकती है। सप्तमी से दसमीं तिथि तक यहां पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की संख्या लाखों में पहुंच जाती है। सुरक्षा की दृष्टि से उदयपुर थाना प्रभारी द्वारा मेला स्थल से मंदिर तक जवानों की तैनाती कर सतत निगरानी रखी जा रही है। मेला समितियां भी वाहन पार्किंग, पेयजल, पहुंच मार्ग की जानकारी आदि प्रदान कर सभी श्रद्धालुओं का ध्यान रख रही है।