अम्बिकापुर..(पारसनाथ सिंह)..जिले में विशेष पिछडी जनजाति कोरवा परिवार के लोग जंगली कंदमूल और साग खाने को मजबूर हो गए हैं. जिले के लखनपुर ब्लाक के लबजी गांव के कोरवा परिवार का राशन कार्ड नहीं होने के कारण जन्मी इस समस्या की खबर अब खाद्य मंत्री तक पहुंच गई है. जिसके बाद खाद्य विभाग में हडकंप मच गया है.
लबजी गांव मे करीब आठ पहाडी कोरवा परिवार के लोग रहते हैं. जिनमे से तीन ऐसे परिवार के लोग हैं. जिनको सरकारी उचित मूल्य दुकान से राशन नहीं मिल पाने के कारण उनको जंगल के कंदमूल औऱ जंगली साग सब्जी खाकर जीवन यापन करना पड रहा है. दरअसल, कुछ महीने पहले उनके गांव में घुसे हाथियो ने इनके घर को तहस नहस कर दिया था. तब से इनका राशन कार्ड नहीं मिल रहा है. लिहाजा जंगली सब्जी और सरपंच की ओर से मिलने महज दो किलो चावल से ही ये तीनो परिवार पिछले तीन महीने से अपना पेट किसी तरह भर रहा है.
ये आरोप राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाने वाले उन्ही कोरवा परिवार के लोगो ने लगाया है. जिनको पेट भरने के लाले पडे हैं. इधर सरंपच कृष्ण नाथ के मुताबिक महज दो किलो चावल देने का आऱोप लगाने वाले दो परिवार को 10 किलो चावल दिया जा रहा है. साथ ही सरंपच के मुताबिक तीसरे कोरवा परिवार दूसरे गांव से यहां बस गया है. इसलिए उसको चावल नहीं दिया जा रहा है. हालांकि सरपंच खुद मानते हैं कि कोरवा परिवार का पुराना राशन कार्ड हाथियो की वजह से गुम गया है. जिसकी वजह से इन परिवार के लोगो को खाने पीने के लिए जंगल पर आश्रित रहना पड रहा है.
सरंपच कह रहे है कि पहाडी कोरवा तो कंदमूल खाते ही है. मतलब सरकारी चावल में गडबडी करने का आऱोप लगने पर सरंपच ऊल जलूल बात करके अपना पलडा झाड रहे हैं. तो वही इस मामले की जानकारी जब मीडिया के माध्यम से खाद्य मंत्री तक पहुंची तो उन्होने मामले की गंभीरता को देखते हुए 1 घंटे के अंदर कोरवा परिवार का राशन कार्ड बनवाकर राशन देने की बात कही है.
सरकारी सिस्टम की अनदेखी और ग्रामीण जनप्रतिनिधियो का मनमानी के कारण आज पहाडी कोरवा परिवार के करीब 15 सदस्य जंगल की साग सब्जी औऱ कंदमूल पर आश्रित हैं. ऐसे में जब खुद खाद्य मंत्री ने गंभीरता दिखाई है. तो फिर इन परिवार के लोगो को उनके हक का अनाज तो मिल जाएगा..पर सिस्टम में दीमक बनके बैठे अधिकारी कर्मचारी और जनप्रतिनिधियो पर कौन कार्यवाही करेगा.?