7629 लोगों ने की आत्महत्या, 233 किसान भी शामिल, आखिर क्या है कारण जिसकी वजह से छत्तीसगढ़ में बढ़ा आत्महत्या का आंकड़ा,?

रायपुर।नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने वर्ष 2019 की नेशनल क्राइम ब्यूरो के जारी रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ में आत्महत्या के बढ़ते मामले चिंता बढ़ाने वाले हैं।आत्महत्या के मामले छत्तीसगढ़ में बढ़े हैं । रिपोर्ट से स्पष्ट है कि 2019 में प्रदेश में आत्महत्या करने वालों की दर में 8.3% की वृद्धि हुई है, जो कि पूरे प्रदेश के लिए अफसोस जनक है। रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2019 में 7629 लोगों ने आत्महत्या की है जो पूरे देश में नौवें नंबर पर है,अर्थात सिर्फ आठ प्रदेश आत्महत्या करने वालों की संख्या में छत्तीसगढ़ से ज्यादा है l
देश में कई प्रदेशों में आत्महत्या की दर पिछले वर्ष के मुकाबले ऋणात्मक है।जिसमें गुजरात हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर, अरुणाचल,प्रदेश कर्नाटक आदि राज्य हैं।जहां पिछले वर्ष के मुकाबले कम लोगों ने आत्महत्या की है। वही हमारे छोटे से प्रदेश में कई बड़े प्रदेशों के मुकाबले आत्महत्या करने वालों की संख्या पिछले वर्ष के मुकाबले व प्रतिशत काफी अधिक है, जो कांग्रेस शासन से बढ़ते निराशा के कारण हैं।
उन्होंने कहा कि पूरे देश के राष्ट्रीय औसत 3.4 प्रतिशत है।जबकी
छत्तीसगढ़ में 8.3% की वृद्धि बहुत अफसोस जनक है।वहीं कृषक व खेतिहर के द्वारा की गई आत्महत्या के मामले में पूरे देश में छत्तीसगढ़ का स्थान छठवां हैं। प्रदेश में 233 कृषक व खेतिहर ने आत्महत्या की है। विडंबना यह है कि 12 राज्य ऐसे हैं जहां पर एक भी कृषक या खेतिहर ने आत्महत्या नही की है यह रिपोर्ट क्राइम ब्यूरो के द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट है, जबकि प्रदेश में सरकार यह कहती है कि किसान खुशहाल है।
रिपोर्ट में बताया है कि दैनिक मजदूरों में 1679 मजदूरों ने आत्महत्या की है जो पूरे देश में आठवें स्थान पर है।
उन्होंने कहा कि बेरोजगारी  झेल रहे प्रदेश के ऐसे कई युवाओं ने अपने जीवन की इहलीला को ही समाप्त कर दी। जिसके लिए सरकार ही जिम्मेदार है। बेरोजगारी भत्ता का वादा करने के बाद बेरोजगारी भत्ता ना देकर बेरोजगारों को छला है। इसके कारण कई युवाओं ने आत्महत्या का रास्ता अख्तियार किया है। पिछले वर्ष 329 बेरोजगारों ने आत्महत्या की है और पूरे देश में प्रदेश बेरोजगारों की आत्महत्या के मामले में 13 वे नंबर पर था।
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार की निरंकुशता और तानाशाही के कारण प्रदेश में शासकीय कर्मचारी अधिकारियों पर कितना दबाव है वह भी इस रिपोर्ट से स्पष्ट दिखता है कि 66 शासकीय कर्मचारी व अधिकारियों के द्वारा पिछले वर्ष आत्महत्या की गई है और इससे स्पष्ट होता है कि कितना दबाव कर्मचारियों पर है। उन्होने कहा कि पिछले वर्ष 503 विद्यार्थियों ने आत्महत्या की है। विद्यार्थियों के मामले में भी जो आत्महत्या हुई है, उसमें भी देश में प्रदेश आठवें नंबर पर है। देश के 19 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में एक भी किसानों ने आत्महत्या नहीं की है।
जबसे प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आई है हर वर्ग असंतुष्ट है। युवा, बेरोजगार, विद्यार्थी ,किसान शासकीय कर्मचारी व अधिकारी महिला,पुरुष हर वर्ग असंतुष्ट है और जबकि देश में कई बड़े राज्यों में आत्महत्या की दर ऋणात्मक हुई है।नेता प्रतिपक्ष कौशिक ने कहा कि रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश में राष्ट्रीय औसत से दुगने से ज्यादा लोगों ने आत्महत्या की है जो यह बताता है कि सरकार ने हर वर्ग को दुखी किया है। किसानों की हितैषी बनने वाली प्रदेश सरकार के गलत नीतियों के कारण 233 किसानों व खेतिहरों ने आत्महत्या की है जो बहुत ही दुख का विषय है।