अम्बिकापुर
छत्तीसगढ़ सरकार एक तरफ तो किसानो को समृद्ध करने के लिए नयी नयी योजनाएँ शुरु कर रही है ….लेकिन जमीनी हकीकत देखी जाए तो किसान और आदिवासी इन योजनाओं का कोई लाभ ले ही नहीं पा रहे हैं । इसी व्यवस्था से तंग होकर सरगुजा जिले के एक किसान ने आत्महत्या कर ली । इस गरीब किसान ने बैंक से लोन लिया था, लेकिन बैंक प्रबंधन की बातों ने किसान को इतना परेशान किया कि उसने जिंदगी से ही नाता तोड़ लिया ।
सरगुजा जिले के खजुरी गांव के एक प्रतिष्ठित किसान ठाकुर राम के घर में कल के पहले थोड़ी बहुत खुशियां बची हुयी थीं…लेकिन रविवार को वो थोड़ी सी खुशी भी तब छिन गई… जब घर के सत्तर साल के मुखिया ठाकुर राम नें बैंक । ठाकुर राम के पास लगभग ढाई एकड़ जमीन थी जिसे उसने बैंक में गिरवी रखकर लोन लिया था । शासन की योजनाओं का लाभ लेने के लिए किसान ने बैंक से लोन में अठतालिस हजार रुपए निकाले और बैंक से उधार में खाद भी लिया……तीन पिछले तीन साल से ठाकुर राम इन्हीं पैंसों से खेती करके अपने परिवार का भरण पोषण कर रहा था…लेकिन समय पर बैंक में लोन की किस्त ना जमा कर पाने के कारण ठाकुर राम पर बैंक का दवाब आने लगा था…इस बीच कर्रा कोआपरेटिव बैंक प्रबंधन ने ठाकुर राम को धमकी भी दी कि अगर उसने जल्द ही पैसा नहीं जमा किया तो उसका घर बार नीलाम कर दिया जाएगा…ये बात ठाकुर राम को नागवार गुजरी और उसने आत्महत्या कर ली….
ठाकुर राम की लाश उसके गांव खजुरी से लगभग एक किमी दूर भेलवा गांव के जंगल मे पेड़ से लटकी मिली…..ग्रामीणों ने इसकी सूचना पुलिस को दी और पुलिस ने मौके पर आकर मर्ग कायम किया….एक किसान की कर्ज के कारण खुदकुशी के मामले की गंभीरता से देखते हुए अंबिकापुर के एसडीएम ने गांव जाकर मौके का मुआयना किया और हालात का जायजा लिया….इधर पुलिस ने मृत किसान के परिजनों के बयान के आधार पर ये रिपोर्ट तैयार की कि किसान कर्ज में डूबा था और बैंक के द्वारा दबाव दिए जाने पर उसने ये कदम उठाया…
कर्ज में डूबे एक किसान की मौत अब कई सारे सवाल खड़े कर रही है……सवाल ये है कि क्या इसमें सरकारी व्यवस्था का दोष है या फिर बैंक प्रबंधन का जो किसान की हालत जानते हुए भी उसके घर को नीलाम करने की बात कर रही थी….बहरहाल सवाल जो भी हो, लेकिन ये जरुर है की एक किसान के द्वारा आत्महत्या करना बड़ी बात है और अगर इसके लिए कोई जिम्मेदार है तो उसके खिलाफ कार्रवाई जरुर होनी चाहिए…..