12 की उम्र में 85 किलो का हो गया भंवर सिंह… गंभीर बिमारी का संकेत

कोरिया
(बैंकुण्ठपुर से J.S.ग्रेवाल की रिपोर्ट)
हम कोरिया जिले के एक ऐसे बच्चे के दर्द की दास्तां बंया करने का प्रयास कर रहे है … जिसको देख कर आप हैरत में पड़ जायेगे खासकर तब जब आप को इस बच्चे के उम्र पता चलेगी ।  कोरिया जिले के खड़गवां विकासखण्ड के ग्राम गिध्दमुड़ी में एक आदिवासी परिवार का 12 वर्षीय बच्चा जिसका वजन 80 से 85 किलो है। उम्र के इस पड़ाव में आने के बाद 80-85 किलो वजन होना असमान्य बात है जो गंभीर बीमारी होने का प्रमाण माना जा सकता है।
यकीन मानिये देखने में अजीबों गरीब लगेगा कितु इंसानी जीवन में आज भी कई बच्चे कुपोषण और गंभीर बीमारी की चपेट में आने से खुद को असहज और असमान्य समझने के लिएं मजबूर है। इस युवा दिखने वाले बच्चे की उम्र महज 12 साल है और कक्षा छठवी में पड़ता है। खुराक की बात करे तो शारीरिक बनावट के आधार पर सामान्य बच्चों से ज्यादा है ।  भवर सिंह नाम का यह बच्चा अपने माता पिता का लाडला है चाहे दुनिया उसे किसी भी नजरिये से देखे। भवर सिंह के माता पीता का कहना है एक बार में आधा किलो चावल खा जाता है दिन भर में KORIA KA BOYतीन चार बार खाना खाता है लेकिन इसके बाद भी परिवार के सदस्यों को अपने लाड़ले से कोई शिकायत नही है।    भवर सिंह नाम के बच्चा अपनी उम्र के साथ असमान्य नही था जन्म के दौरान आम बच्चों की तरह ही इसका वनज और शरीर की बनावट थी पर जैसे ही उम्र की दहलीज लाघना प्रारंभ किया वैसे ही अकस्मात शरीर में काफी बृद्धि होने लगी और 12 साल की उम्र आते आते 80 से 85 किलों वनज हो गया जो कि असामान्य बच्चा होने की ओर इशारा करता है। एक बात खास है जो सामान्य बच्चो की तरह ही है कि यदि भूख लगी और समय से खाना नही मिला तो रोना शुरू कर देता है । इस मोटापे के साथ भवर सिंह को काफी तकलीफ उठानी पड़ती है। भवर सिंह ना तो ठीक से चल पाता है ना ही अपने षरीर को साफ सुथरा कर पाता है और तो और खाना खाने में भी तकलीफ उठानी पड़ती है कुछ दूर चलने से ही उसका सांस फूलने लगता है और बात करने में भी उसे परेषानी होती है। भवर सिंह की परेशानी यही खत्म नही होती स्कूल में भी उसके साथ स्कूल के बच्चे मोटा बोलकर तंग करते रहते है और अपने पास बैठने में भी इंकार करते है।
सरकार गरीब और असहाय लोगों के ईलाज हेतु कई योजनाएं संचालित कर रही है जिससे गरीब और असहाय लोगों का ईलाज किया जा सकता है इसी क्रम में सरकार ने गरीब किसान के पास पैसे नही होने पर स्मार्ट कार्ड की सहायता दी है जो सभी प्रदेश के निवासियों के लिएं लागू है और संजीवनी कोष भी गरीब के मदद के लिएं खुला है इस लिहाज से ईलाज संभव है कितु इसके बाद अभी तक इस असमान्य बच्चे का ईलाज क्यू नही हो पाया यह एक बड़ा प्रशन है खैर जो भी हो अब यही कहा जा सकता है कि आखिर कब तक बच्चे का ईलाज करा पाने में परिवार और शासन कामयाब हो पाता है यह देखना अभी बाकी रहेगा।
पिता का दर्द ———-           वही भवर सिंह के पिता का कहना है कि बचपन से इसका मोटापा बढ़ता जा रहा है खड़गवा के अस्पताल में डाक्टरो को दिखाया था कितु कोई भी ईलाज नही कर सका। डाक्टर का कहना है की रायपुर में जाकर दिखाओ लेकिन भवर सिंह का पिता कल्यान सिंह एक छोटे से किसान है थोेड़े से जमीन पर खेती करता है बाकी समय मजदूरी करता है जिससे बड़ी मुष्किल में अपना और परिवार का भरण पोषण कर पाता है इसके पास इतना पैसे नही है की रायपुर जाकर इसका ईलाज करा सके । वही भवर सिंह का पीता कल्यान सिंह का कहना है कभी कभी तो खुद को भी भुखा रहकर अपने बेटे भवर सिंह का पेट भरना पड़ता है।
क्या कहते है डॉक्टर ——    डाक्टर की माने तो 12 वर्ष के बच्चे का वजन अधिकतम 30 किलो तक होना सामान्य बात है कितु अगर 85 किलो का वजन है तो असामान्य बात है आम तौर 12  वर्षीय बालक की उग्र से इस बच्चे का वनज तीन गुना ज्यादा है। विज्ञान एैसी नौबत में हरमोन संबंधित बिमारी होने के लक्षण की ओर इशारा करता है और एैसी परिस्थिति में कोरिया जिला में इसका ईलाज नही है । बच्चे का लक्षण बताता है कि अधिक खुराक लेना ओ0बी0सी0टी0 नामक बीमारी का संकेत है। इसके ईलाज के लिए खून का सेम्पल लेकर बहार भेजने पर सही बीमारी का पता लगाया जा सकता है और ईलाज करने से बीमारी पूरी तरह ठीक हो सकती है। जिले के चिकित्सा अधिकारी तो कह दिये कि ईलाज संभव है और सरकारी सुविधाये भी यही कहती है  बालक का ईलाज खून के जांच के बाद किया जा सकाता है जिससे उसका वजन कम हो सकता है।