हाथियो की दहशत मे रात भर सहमा रहा रघुनाथपुर : वन विभाग रहा बेखबर

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अम्बिकापुर 

अम्बिकापुर से रायगढ जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग 43 मे बसे रघुनाथपुर बस्ती के लिए कल की रात दहशत भरी रात रही । क्योकि दहशतगर्द हाथी उनकी बस्ती मे और वो अपने घरो से बाहर रतजगा करने पर मजबूर हो गए थे। लेकिन ग्रामीणो के लाख कोशिशो के बाद भी आज तडके तक 25 सदस्यीय हाथियो का दल रघुनाथपुर बस्ती के इर्द गिर्द ही घूमता रहा। इस दौरान हाथियो ने गन्ने और धान की फसल को तबाह कर दिया । साथ ही एक घर के अहाते को भी अपने आक्रोश का शिकार बनाया। लेकिन हैरत कि बात है कि इस दहशत भरे माहौल की खबर मिलने के बाद भी वन अमला रात भर नदारद रहा।

सोमवार की शाम सूरज ढलते ही पुरकेला के जंगलो से बाहर निकल कर 25 हाथियो का दल राष्ट्रीय राजमार्ग 43 के बगल मे बसे रघुनाथपुर बस्ती पंहुच गया। रुक रुक हो रही बारिश के बीच जैसे ही ग्रामीणो को हाथियो के बस्ती मे आने की खबर लगी। लोग पुराने हाथी उपद्रव की कल्पना कर अपने अपने घरो से बाहर आ गए। आमल ये था कि घर की

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महिलाए अपने दुधमुहे बच्चो और जरुरी सामान को लेकर घरो से बाहर रतजगा करने लगी। तो गांव के ग्रामीण हाथियो को गांव से खदेडने के कवायद मे जुट गए। लेकिन इंसान और हाथियो के बीच रात भर हुई रस्साकसी के बाद 25 हाथियो का दल कभी गांव के गन्ना बाडी की ओर तो कभी धान के खेत मे चहलकदमी करता रहा। इतना ही नही कभी कभी हाथी राष्ट्रीय राजमार्ग पर ट्राफिक जाम कर रहे थे। तो कभी इंसान के प्रयासो को कमजोर साबित करने के लिए बस्ती की ओर बढ रहे थे।

मनुष्य और जंगली

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हाथियो के बीच रात भर जारी जंग के दौरान हाथियो की झुंड कई बार बस्ती की ओर तो कई बार बस्ती के इंग्लिश मीडियम के स्कूल की तरफ बढा। लेकिन तभी हाथियो को रघुनाथपुर बस्ती के एक-दो ग्रामीणो के बाउंड्रीवाल को गिराने मे सफलता मिल गई। इधर हाथियो की बढती नाराजगी गांव के लोगो ने मुसीबत बनती जा रही थी। कि तभी सुबह होते ही ग्रामीणो को अपने प्रयासो मे सफलता मिली। और 25 हाथियो के दल मे 20 हाथी फिर से पुरकेला के जंगल मे चले गए। तो उनमे से 5 हाथी दल से भटक कर दूसरी दिशा मे चले गए है।

लेकिन जब हाथियो के दल दो भागो मे बंट गए है। तो ऐसी स्थिती मे हाथियो के उपद्रव की संभावना और बढ गई है। लेकिन भरी बरसात मे हाथियो के उपद्रव के कारण दहशत के साए मे जीने वाले रघुनाथपुर बस्ती के लोगो को वन विभाग की कोई मदद नही मिली। और ग्रामीण रात भर कभी वाहनो की लगी कतार के हार्न की मदद से हाथियो को खदेडने मे लगे रहे ,, तो कभी गांव मे उपल्बध अपर्याप्त संसाधनो के बलबूते वो विशालकाय हाथियो से अपने गांव की सुरक्षा का प्रयास करते रहे।