महिला विक्षिप्त या मानवीय संवेदनाए ? खुला आसमान घर और मासूम जीने का सहारा…….

सूरजपुर 
  • समाज के ठेकेदार नदारद
  • पेड के नीचे तीन साल से मासूम के साथ महिला
  • खुले आसमान मे दिन-रात रहती है महिला
  • किसी कि नजरे ईनायत हो जाती तो अच्छा होता
सूरजपुर जिले के भैयाथान क्षेत्र मे पिछले तीन साल से एक पेड के नीचे अपनी बच्ची के साथ जीवन यापन कर रही मानषिक विक्षिप्त महिला पर आज तक शायद किसी की नजर नही पडी, और उन लोग भी उसकी मदद के लिए आगे नही आए, जो समाज के ठेकेदारी करते है, और जो मानव अधिकारो की बात कर बखेडा खडा कर देते है। 5
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दरअसल भैयाथान विकासखण्ड मुख्यालय मे एक पेड के नीचे पिछले तीन साल से निवास कर रही एक महिला को लोग मानषिक विक्षिप्त कहते है, लोगो का कहना है कि इस महिला को ना अपनी सुध है और ना ही अपनी बेटी की।  लेकिन जिस महिला को लोग विक्षिप्त कहते है, महिला लाचारी और मजबूरी मे भले ही विक्षिप्त हो , लेकिन दीन दुनिया से बेखबर इस महिला को इतना तो जरुर याद है कि उसने अपनी बेटी का नाम यशोदा रखा है, और उसके लिए उसे रोज खाना बनाना है।

क्षेत्र के लोग इस महिला से जुडे कुछ किस्से और उसके साथ बीती दर्द भरी दास्तांन बताते तो जरुर है, लेकिन कुछ एक्के दुक्के लोगो को छोड दिया जाए तो किसी ने इस महिला की मदद नही की है। जिसने की भी वो प्रशासनिक पहल की कछुआ और मनमानी चाल के पीछे बेबस हो गए है।

हांलाकि महिला उत्थान और सुरक्षा के लिए जिले मे कई विभाग और समाजिक संगठन काम कर रहे है, लेकिन ना जाने वक्त के साए तले लाचार इस महिला और उसकी मासूम बच्ची पर किसी की नजरे क्यो ईनायत नही होती है। प्रशासनिक पहल के इंतजार और महिला के उत्थान के सवाल पर जवाब के इंतजार मे इतनी देर होती जा रही है कि अब तो इस विक्षिप्त महिला के साथ उसकी बच्ची का भी वही हाल होता जा रहा है।

विकसित समाज के अमानवीय व्यवहार से उपेक्षित इस महिला का उसकी मासूम बच्ची के सिवाय शायद कोई नही, आलम ये है कि सामाजिक और महिला सुरक्षा के तमाम दावे करने वाली सरकार की योजनाएं और सामाजिक संगठन के मुखौटो की परछाई भी इससे मदद के लिए नही दिखाई दे रही है। और दुनिया से अंजान इस महिला और बच्ची को शायद इंतजार है किसी के मदद की………..