सूरजपुर भैयाथान – (प्रकाश दुबे) .. कल देर शाम भाजपा नेतृत्व ने छत्तीसगढ़ में नया प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त कर दिया है..कांकेर के सांसद विक्रम उसेंडी को नया प्रदेश अध्यक्ष बनाया है. राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के दौरे के दूसरे दिन जब लोकसभा चुनाव की तैयारियां पूरे शवाब पर है ऐसे में अचानक नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति की भाजपा ने कर दी है..सूत्रों कि माने तो छत्तीसगढ़ भाजपा संगठन के अंदर खाने में सब कुछ ठीक नही चल रहा है।
बता दे कि विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद पार्टी के कई धड़ो में बात गई है.की पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह को इस करारी हार के लिए जिम्मेदार ठहराया जा रहा है.. ऐसे में उनके करीबी धरमलाल कौशिक को निशाने पर लेकर कई राजनीतिक टिप्पणियाँ की गई थी,
वही धरमलाल कौशिक के प्रदेश अध्यक्ष रहते पार्टी की प्रदेश में ऐतिहासिक हार के बाद नेता प्रतिपक्ष बनाये जाने के बाद तो दोनों खेमो में तलवार सी खीच गई थी। लेकिन अनुशासन के नाम पर जिस तरह आवाज को दबाया गया यह बात किसी से छुपी नही रही, लेकिन रही सही कसर धरमलाल के उस बयान ने पूरा कर दिया जब समीक्षा बैठक के बाद उन्होंने प्रदेश में हुए हार के लिए कार्यकर्ताओं को ही जिम्मेदार ठहरा दिया.. उसके बाद से ही नेता प्रतिपक्ष पूरे प्रदेश के साधारण कार्यकर्ताओं के निशाने पर आ गए, हालांकि बाद में उन्होंने इस मामले में अपनी सफाई भी दी थी.. लेकिन तब तक बात बिगड़ चुकी थी। इतना ही नही इस मामले ने इतना तूल पकड़ा की सोसल मीडिया में कद्दावर पूर्व मंत्री के करीबी ने तो उन्हें डॉ. रमन सिंह का गुलाम तक बता दिया था,..अब जबकि विधानसभा चुनाव के लगभग दो माह बीत चुके है और सत्ताधारी दल कांग्रेस के सत्ता एवं संगठन के मुखिया मुख्यमंत्री भूपेश बघेल काफी आक्रामक व सधे हुए अंदाज में अपने घोषणा पत्र के वादों को पूरा करते हुए समूचे प्रदेश का धुंआधार दौरा कर कांग्रेस के पक्ष में महौल तैयार करते दिख रहे है.. उनका ठेठ छत्तीगसगढ़ी अंदाज भी लोगो को खूब भा रहा है तो दूसरी ओर 15 साल से बेलगाम अफसरशाही पर जिस तरह से उन्होंने नकेल डाली है जनता व कार्यकर्ताओं में इसका अच्छा खासा संदेश गया है..अब चुनाव की तैयारियों में जुटी कांग्रेस भाजपा से काफी आगे दिखाई दे रही है.. अब जबकि एक दो दिन में किसी भी वक्त चुनाव आचार संहिता प्रभावशील हो सकती है। तब भाजपा ने ऐसे मौके पर अपने प्रदेश अध्यक्ष बदल दिया है। अगर राजनीतिक जानकारों की माने तो विक्रम उसेंडी काफी सौम्य व मिलनसार व्यक्ति तो है लेकिन संगठन का कोई खासा अनुभव नही है..लेकिन प्रदेश उपाध्यक्ष रहते उन्होंने पूरे छत्तीसगढ़ का कभी दौरा नही किया और न ही वन मंत्री के रूप में भी उनकी खास उपलब्धि रही हो.. उनके ऊपर कार्यालयीन सहयोगियों के इशारों पर चलने के आरोप लगते रहे है..ऐसे में जब छत्तीसगढ़ भाजपा को एक अनुभवी व आक्रामक प्रदेश अध्यक्ष की जरूरत कार्यकर्ता महसूस कर रहे थे तब विक्रम उसेंडी की नियुक्ति भाजपा की उम्मीदों को कितना परवान चढ़ा पाती है यह देखना दिलचस्प होगा?…