मौत की पुष्टि के लिए एक घंटे इंतजार.. वाह रे धरती के भगवान

ड्यूटी डाक्टर रहे नदारत, बिना देखे ही कर दी पुष्टि

अम्बिकापुर(दीपक सराठे की रिपोर्ट) 

जिला अस्पताल में चिकित्सकों की मनमानी का आज एक और ताजा उदाहरण देखा गया। जहर सेवन से गंभीर विवाहिता को जब परिजन जिला अस्पताल लेकर पहुंचे तो उसकी मौत हो चुकी थी, परंतु उसकी पुष्टि करने वाला अस्पताल में कोई भी चिकित्सक नहीं था। पुलिस सहायता केन्द्र के सामने चिकित्सक ड्यूटी कक्ष के सामने परिजन विवाहिता का शव लेकर रोते बिलखते एक घंटे तक बैठे रहे। ड्यूटी डाक्टर का कोई अता पता नहीं रहने से एक घंटे तक विवाहिता की मौत हुई है या नही इसकी पुष्टि करने वाला कोई जिम्मेदार चिकित्सक नहीं था। पुलिस सहायता केन्द्र ने वहां वार्ड व्याय को बुलाकर चिकित्सक के बारे में जानकारी ली तो पता चला की ड्यूटी डाक्टर अपने निजी काम से कहीं चले गये है। एक घंटे बाद स्थिति बिगड़ती देख वार्ड व्याय ओपीडी में बैठे चर्म रोग विषेषज्ञ डाॅ. पीके सिन्हा से एक कागज में हस्ताक्षर करवाकर पुलिस को दे दिया। इसके बाद पुलिस ने अपनी कार्यवाही प्रारंभ की। इस पूरे मामले में सबसे ज्यादा सोचनीय तथ्य यह है कि जिस चिकित्सक ने मात्र एक कागज में हस्ताक्षर कर विवाहिता के मौत की पुष्टि कर दी। उसने विवाहिता के शरीर को छू कर भी नहीं देखा था। अपने केबिन में बैठे-बैठे ही उसने उसे मृत घोषित कर दिया।

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डाक्टर की खाली कुर्सी

जानकारी के अनुसार लखनपुर थाना क्षेत्र के ग्राम झाबर निवासी श्रीमती सिया केवट का विवाह बीते वर्ष ही लखनपुर क्षेत्र के पोकेन नाला निवासी अषोक केवट के साथ हुआ था। शादी के कुछ दिन बाद से विवाहिता बार-बार अपने मायके आने के बाद ससुराल जाने के लिए कतराती थी। वह एकादषी के समय मायके आई थी और काफी दिनों तक अपने ससुराल वापस नहीं लौटी थी। जिस पर ससुराल पक्ष के लोग रविवार के दिन उसे लेने पहुंचे थे। इस बीच विवाहिता अपनी भाभी के साथ महिला समूह की मीटिंग में चली गई थी। उसको मायके में न पाकर ससुराल पक्ष के लोग यह करकर लौट गये कि अगर वह आती हैं तो उसे पहुंचा देना। आज सुबह विवाहिता ने मायके में ही कीट-नाषक दवा का सेवन कर लिया। जिसकी जानकारी लगने पर परिजन तत्काल उपचार के लिए लखनपुर स्वास्थ्य केन्द्र में भर्ती कराया जहां डाक्टरों ने उसकी गंभीर हालत को देखते हुये जिला चिकित्सालय ले जाने की सलाह दी। लगभग 11 बजे परिजन उसे लेकर जिला अस्पताल पहुंचे परंतु उसकी मौत हो चुकी थी। मृतिका के बडे़ भाई श्रीराम ने आरोप लगाया है कि सिया का संबंध गांव के ही एक युवक के साथ था। जिसके कारण वह ससुराल जाने से मना करती थी। सम्भवतः उसी के कारण उसने जहर का सेवन किया है। ओपीडी के पांच नम्बर कक्ष में बैठे एक चिकित्सक ने उसे मृत बताकर जाने को कहा। चुंकि मामला जहर सेवन का था। इस कारण से परिजन पुलिस सहायता केन्द्र के सामने विवाहिता की शव को लेकर पहुंचे। मौत की कोई लिखित पुष्टि नहीं होने पर पुलिस ने मर्ग कायम करने से मना दिया। उस वक्त आपात कालीन चिकित्सा कक्ष में ड्यूटी में तैनात डाॅ. अभिजीत जैन के नदारत रहने से परिजन लगभग एक घंटे तक शव के पास रोते बिलखते रहे। परंतु अस्पताल में न तो ड्यूटी डाक्टर वापस आये और न ही कोई जिम्मेदार अधिकारी मौजूद था। एक घंटे बाद वार्ड व्याय ओपीडी में बैठे चर्मरोग विषेषज्ञ डाॅ. सिन्हा से एक कागज में मौत की पुष्टि लिखवाकर ले आया। चिकित्सक ने बिना जांच किये ही विवाहिता के मौत की पुष्टि कर दी। इस पूरी घटना ने जिला अस्पताल में कार्यरत चिकित्सकों की कार्यप्रणाली पर कई सवालिया निषान खड़े कर दिये है। कुछ दिन पहले भी इस प्रकार की एक घटना सामने आई थी। जिसमें एक चिकित्सक ने प्रसूता के पेट में पल रहे षिषु को मृत बताकर भर्ती करने से मना कर दिया। बाद में एक निजी अस्पताल में प्रसूता ने स्वस्थ्य षिषु को जन्म दिया। मामले की जांच अभी भी चल रही है। आज घटित इस घटना ने ड्यूटी से नदारत रहने वाले चिकित्सक व बिना जांच किये मौत की पुष्टि करने वाले चिकित्सक को कटघरे में लाकर खड़ा कर दिया है।

इस पर भी सवाल
जहर सेवन करने वाली विवाहिता को लेकर परिजन जिला अस्पताल 11 बजे पहुंचे थे। उसी दौरान बिजली गुल हो जाने की वजह से पर्ची काउंटर में जब परिजनों ने पर्ची बनवाई तो कर्मचारी ने हाथ से लिखकर पर्ची दे दी। परंतु उसमें समय का जिक्र नहीं किया। उस समय से लेकर ड्यूटी डाक्टर की तलाष में लगभग 12.30 बज गये। अंततः जिस डाक्टर ने अपने कक्ष में बैठे-बैठे मौत की पुष्टि कर दी। उसने भी पुष्टि करने का समय 11 बजे लिखकर दे दिया। चिकित्सकों की लापरवाही उजाकर करती यह बात जांच में सामने आ सकती है।
मौत से पहले डाल दिया मरच्यूरी कक्ष में
आज घटित इस घटना के बाद कई लोग चिकित्सकों के इस लापरवाह रवैये को लेकर आक्रोष में दिखे। अस्पताल के ही एक कर्मचारी ने नाम नहीं छापने के शर्त पर बताया कि कुछ दिन पहले एक अज्ञात व्यक्ति दुर्घटना में घायल होकर अस्पताल पहुंचा था। जिसे चिकित्सक ने बिना जांच किये ही मौत की पुष्टि कर दी थी। इसके बाद उसे मरच्यूरी में रखवा दिया गया था। उसकी षिनाख्त नहीं होने से दो दिनों तक घायल मरच्यूरी में पड़ा रहा। दो दिन बाद जब उसका पोस्टमार्टम चिकित्सक करने पहुंचे तो उन्हे जब जानकारी हुई कि यह दो दिनों से मरच्यूरी में पडा है तो उन्होने इस बात की जानकारी दी कि उसकी मौत हुये कुछ ही घंटे हुये है। हालांकि यह बात सामने नहीं आ सकी जिस कारण से मामला दब गया था।