भूखे पेट बच्चे की धूप और लू की चपेट से मौत

अम्बिकापुर 

छत्तीसगढ का शिमला कहे जाने वाले मैनपाट के मूल निवासी माझी समुदाय के लोग न केवल गरीबी और तंगहाली में जीने को मजबूर है बल्कि अपने बच्चो की रक्षा करना भी अब इनके लिए दूभर हो गया है.. इसे महज संयोग कहे या इनकी मजबूरी, माझी समुदाय के एक मासूम ने भूख से दम तोङ दिया ,, घर में खाली बिखरे बर्तन ,टूटेफुटे घर और खाने के नाम पर सरकार की ओर से मिलने वाला अनाज,,अगर ये अनाज भी मिलना बंद हो जाए तो जरा सोचिए क्या होगा,, अपने पिता से बिछङ कर तीन दिनो तक जंगल की खाक छानते रहे तीन बच्चो में एक शिवकुमार अब इस दुनिया में नही रहा,, झुलसा देने वाली गर्मी में भूखे प्यासे रह कर चार दिनो तक पल – पल मौत को देखते आखिरकार शिवकुमार की मृत्यू भूख से हो गई ,,

कभी मैनपाट को अपनी परम्पराओ से पहचान दिलाने वाले माझियो की जिंदगी अब धीरे – धीरे कुछ बस्तियो मे सिमट कर रह गई हैं ,इनके पास न तो पेट भरने के लिए पैसा है और न तो रहने के लिए  आशियाना , दूसरी तरफ रोजगार की कमी के कारण इस समुदाय के लोग unnamed (8)मैनपाट से पलायन करने को भी मजबूर हो गए है,, कभी प्रकृतिक आपदा इनका आशियाना छीन लेती है तो कभी भूख के कारण इस समुदाय के लोगो को अपनी जान गवानी पङती है,शिवकुमार की मौत भी जिंदगी की तमाम परेशानियो से घिरे इस समुदाय की परिस्थितियो को बयॉ करती है, सरकार की तमाम योजनाए किस तरह समाज के निचले स्तर तक पहुंच रही हैं ये भी शिवकुमार  की मौत से स्पष्ट होता हैं या यू कह ले की लोक सूराज की तस्वीर दिखाता है,सबसे बङा सवाल यही है कि बरसों से गरीबी की मार झेल रहे इस समुदाय के लोगो की ऐसी स्थिति आखिर क्यो बनी हुई है,,,, दरअसल पूरा मामला मैनपाट के नर्मदापुर का हैं जहां संगत राम माझी का परिवार अपने तीन बच्चो के साथ रहता है, संगत राम माझी के पास जीवन यापन के लिए कोई सहारा नही है पत्नि भी स्वर्ग सिधार चुकी है ,,शायद पत्नि का स्वर्गवासी हो जाना ही संगत राम के लिए अभिशॉप बन गया है,, काम के सिलसिले मे संगत राम अपने बच्चो के साथ सीतापुर गया था जहां से वापस लौटते वक्त उसके बच्चे रास्ते में ही उससे बिछङ गए ,, इधर बच्चो की खोजबीन करने के बाद भी वह नही मिले ,,तीन दिनो के बाद अचानक कतकालो और डूमरपारा के बीच खेत मे एक बच्चे की लाश मिलि जिसकी छान -बी न के बाद पता चला की बच्चे ने भोजन के अभाव मे दम तोङ दिया हैं ,,

इधर घटunnamed (9)ना की जांच कर रहे पुलिस के अधिकारी भी स्पष्ट न सही पर दबी जुबान मे भुख को ही मौत का कारण मान रहे है  बच्चे का पीएम करने वाले डॉक्टर ने भी लम्बे समय तक भूखे रहने को ही मौत का करण बताया है, मृतक के पीएम रिपोर्ट से भी इस बात की पुष्टि हुई है कि बच्चे की मौत काफी घंटो तक भूखे रहने के कारण हुईं ,

मृतक की घरेलू परिस्थितियां ,तमाम डॉक्टरी परीक्षण ,और उसके जानकारो की बातो से स्पष्ट हैं कि मासूम की मौत भूख से ही हुई है,, ये भी साफ है कि अगर मृतक से पिता के पास गांव में ही रोजगार उपलब्ध होता तो उसे काम के तलाश मे सीतापुर नही जाना पङता और न मासूम शिवकुमार को भूखे अपनी जान से हाथ धोना पङता ,, इन सारी बातो के पीछे सवाल यही हैं कि आखिर कब तक माझियों की परिस्थितियां सुधरेगीं और कब तक उन्हे इस तरह अपने मासूमो को खोते रहना पङेगा,,