पेयजल की समुचिक व्यवस्था के लिए तरसता मनेन्द्रगढ

कोरिया

(J.S.ग्रेवाल की रिपोर्ट)

मनेंद्रगढ़ नगर पालिका क्षेत्र में पर्याप्त पीने के पानी की आपूर्ति के लिए राज्य शासन द्वारा स्वीकृत जलावर्धन योजना के निर्माण में लापरवाही बरतने के कारण ….एक ओर जहां लोगों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है…. तो दूसरी ओर इसकी लागत दोगुना से अधिक हो गई है। 
नगर पालिका के लिए जलावर्धन योजना 2007-08 में 8.94 करोड़ की लागत से स्वीकृत की गई थी आज इसकी लागत बढ़कर 17.85 करोड़ रुपए हो गई है। इस राशि का 30 प्रतिशत नगर पालिका के लिए कर्ज होगा जो इसे आसान किश्तों में ब्याज सहित जमा करना होगा। ठेकेदारों को लाभान्वित करने प्रयास: जलावर्धन योजना के तहत नगर में पाइप लाइन बिछाने के साथ इंटकवेल, फिल्टर प्लांट टंकी बनाने का काम प्रस्तावित था। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग ने टंकी बनाने व इंटकवेल को प्राथमिकता देने के बजाय पाइप लाइन बिछाने को प्राथमिकता दी। इसलिए दूसरे काम अधूरे रह गए।

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घटिया टंकी बनाई:
 जलावर्धन योजना के तहत् मौहारपारा में बनी पानी टंकी का काम घटिया ढंग से कराया इसका खुलासा पानी टंकी के टेस्ट के दौरान हुआ। पानी भरने के साथ ही टंकी से लीकेज शुरू हो गया व आसपास के नागरिकों में हड़कंप मच गया। इसके बाद ठेकेदार से इसकी मरम्मत कराई तो गई पर टेस्ट के दौरान पाइप में भी लीकेज मिलना चिंता का विषय बना रहा।।

ट्रांसफार्मर ही मुख्य बाधा
मनेंद्रगढ़ व झगराखांड में निर्माणाधीन जलावर्धन योजना को दिसंबर 2015 तक पूरा कर लेने का लक्ष्य रखा गया है। इसके पूरा होने में ट्रांसफार्मर लगाना मुख्य बाधा है। दिसंबर के अंत तक इस योजना का परीक्षण कर लिया जाएगा। -रजनीकांत शर्मा, सहायक यंत्री पीएचई
नदी पार टंकी बनाने का काम अभी तक शुरू नहीं
जलावर्धन योजना के तहत् नदी पार क्षेत्र में टंकी बनाने का काम अभी शुरू नहीं हो पाया है। पूर्व में इसके लिए भूमि आवंटन नहीं हो सका। भूमि आवंटन के बाद विवाद बने रहने व भूमि माफिया के दबाव में ठेकेदार ने काम करने से इनकार कर दिया। पेट्रोल पंप के पास आवंटित भूमि के बाद अब नाके के पास भी टंकी बनाने के लिए भूमि आवंटन की प्रक्रिया चल रही है। इनमें से एक स्थान पर टंकी व दूसरी जगह प्रस्तावित कर्मचारी आवास बनाया जाएगा इसके लिए दोबारा निविदा आमंत्रित की जाएगी।
झगराखांड जलावर्धन योजना भी अटकी
नगर पंचायत झगराखांड में पेयजल की आपूर्ति के लिए भी राज्य शासन ने जलावर्धन योजना की स्वीकृति 2008 में दी। इसकी लागत 3 करोड़ 26 लाख 52 हजार रुपए थी। काम में विलंब होने से इसकी लागत बढ़कर 6 करोड़ 45 लाख 70 हजार हो गई है। यहां सात साल में सिर्फ टंकी ही बन पाई है, 90 प्रतिशत पाइप लाइन बिछ पाई है। झगराखांड में इंटकवेल व फिल्टर प्लांट अब तक 40 प्रतिशत हो पाया है। फिल्टर प्लांट व फिल्टर प्लांट से टंकी तक पाइप लाइन का टेंडर भी प्रक्रिया में है।
तीन में से दो जोनों में पाइप लाइन बिछाई गई
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा कराए जा रहे जलावर्धन योजना के पाइप लाइन विस्तार के लिए नगर को तीन जोन में विभक्त किया गया था इसमें से दो जोन नदी पार व मौहारपारा में पाइप लाइन बिछाई जा चुकी है। बाजार जोन में पाइप लाइन बिछाने का काम प्रक्रिया के अंतर्गत है। इसके साथ ही इंटकवेल का निर्माण अंतिम चरण में है इसे दो माह में पूरा होने की संभावना है। फिल्टर प्लांट व मौहारपारा में टंकी पूरी कर नगर पालिका को हस्तांतरित कर दी गई है जिसका उपयोग भी किया जा रहा है।

 
इनका कहना है –
जलावर्धन योजना पूरी कराने के लिए नगर पालिका कृत संकल्पित है। मेरे कार्यकाल में यह योजना पूरी हो जाएगी। -राजकुमार केशरवानी, अध्यक्ष नपा