ठोस अपशिष्ट प्रबंधन में कीर्तिमान बनाने के बाद अब तरल अपशिष्ट की कवायद हुई तेज

नगर को स्वच्छ रखने प्रशासन प्रतिबद्ध

द्रव अपषिष्ट केन्द्र का कलेक्टर ने किया औचक निरीक्षण

 

अम्बिकापुर

 

कलेक्टर भीम सिंह के मार्गदर्षन में नगर को स्वच्छ रखने के विषेष प्रयास किये जा रहे हैं। स्वच्छ अम्बिकापुर मिषन सहकारी समिति मर्यादित के सदस्यों द्वारा घर-घर जाकर कचरा संग्रहित करने एवं नागरिकों द्वारा दिये जा रहे यूजर चार्ज का सतत् निरीक्षण कलेक्टर नियमित रूप से कर रहें हैं। ठहरे हुये पानी को हानिरहित एवं स्वच्छ रखने के उद्देष्य से द्रव अपषिष्ट प्रबंधन केन्द्र का संचालन नगर पालिक निगम अम्बिकापुर क्षेत्राअंतर्गत आने वाले मैरिन ड्राईव में किया जा रहा है। भीम सिंह ने आज द्रव अपषिष्ट प्रबंधन केन्द्र का औचक निरीक्षण करते हुये केन्द्र के संचालन के विभिन्न घटकों की जानकारी प्राप्त की। निगम आयुक्त डॉ. एल.के. सिंगरौल ने बताया कि केन्द्र के संचालन हेतु सर्वप्रथम बिलासपुर से बतख लाये गये थे। इसके पष्चात् लाये गये बतख के अण्डे से ही चूजे निकलते गये और उन्हीं बतखों से यह केन्द्र संचालित है। केन्द्र के बतखों द्वारा मैरिन ड्राईव में स्थित मच्छर के लार्वा एवं अन्य कीटाणुओं को खा लिया जाता है। जिससे लोगों के लिए पानी हानिरहित हो जाता है, किन्तु सीवेज से आने वाली गन्दगी को बतख साफ करने में सक्षम नही है। कलेक्टर ने कहा कि नगर के कालोनाइजर को सीवर ट्रीटमेंट प्लांट लगाने के निर्देष दें, ताकि तालाबां में गंदा और विषैला पानी एकत्रित न हो। गौरतलब है कि शहर के लगभग 14 तालाबों में द्रव अपषिष्ट प्रबंधन केन्द्र का संचालन किया जाना है।

 

पषु चिकित्सक डॉ. सी.के. मिश्र ने बताया कि अपषिष्ट प्रबंधन केन्द्र में खाकी कैम्पेल एवं व्हाईट पेचिंग किस्म के बतख उपलब्ध हैं।  अपषिष्ट प्रबंधन केन्द्र में वर्तमान में लगभग 150 बतख उपलब्ध हैं एवं लगभग 35 बतख प्रतिदिन अण्डे दे रहे हैं। इन्हें प्रतिदिन 2 बार भोजन दिया जाता है। प्रातःकाल बाजार से क्रय किया गया भोजन दिया जाता है तथा सायंकाल मछली, मटन एवं सब्जी मार्केट से प्राप्त अपषिष्ट पदार्थो को भोजन के रूप में दिया जाता है। उन्होंने बताया कि बाजार में इनके अण्डो की मांग भी है, किन्तु केन्द्र द्वारा अण्डे न बेचकर उसकी हैचिंग कराई जाती है, जिससे केन्द्र को नियमित रूप से लगभग 50 चूजे प्राप्त हो रहे हैं। बतख की उम्र लगभग 2 वर्ष की होती है तथा 6 महीने के होते ही अण्डे देना प्रारंभ कर देते हैं। ये बतख डेढ़ वर्ष तक अण्डे देते हैं। इसके पष्चात् उन्हें मांस खाने वालों को बेच दिया जाता है। इस प्रकार अपषिष्ट प्रबंधन केन्द्र को नियमित आय प्राप्त हो रही है। कलेक्टर ने अपषिष्ट प्रबंधन केन्द्र के संचालन में होने वाले व्यय एवं आमदनी की गणना करने के निर्देष दिये हैं। वर्तमान में अपिषष्ट प्रबंधन केन्द्र का संचालन मां महामाया स्व सहायता समूह द्वारा किया जा रहा है।

कलेक्टर ने अपषिष्ट प्रबंधन केन्द्र में कार्य कर ही महिला बड़े नान से केन्द्र की आवष्यकताओं के बारे में जानकारी प्राप्त की। बड़े  नान ने बताया कि केन्द्र में अतिरिक्त शेड् निर्माण तथा अलमारी, कुर्सी एवं टेबल आदि की आवष्यकता है। भीम सिंह ने निगम आयुक्त को केन्द्र की आवष्यकताओं को पूर्ण करने के निर्देष दिये। कलेक्टर ने निगम आयुक्त को द्रव अपषिष्ट प्रबंधन केन्द्र तक पहुंच मार्ग बनाने के निर्देष दिये हैं।

राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिषन के प्रबंधक षिव सोनी ने बताया कि बलरामपुर-रामानुजगंज जिले के जिला प्रषासन, कृषि विकास केन्द्र अम्बिकापुर तथा राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिषन की ओर से बतख आपूर्ति करने की मांग है। इस अवसर पर निगम के कार्यपालन अभियंता प्रमोद दुबे सहायक अभियंता सुनील सिंह, योगेष्वर उपाध्याय, दुष्यंत बजाज सहित अन्य कर्मचारी उपस्थित थे।