कार्य स्थल पर महिला उत्पीडन रोकने लागू हुआ अधिनियम 2013.. बनेगी आंतरिक शिकायत समिति..

 प्रत्येक सरकारी, अर्धशासकीय कार्यालय में बनेगी आंतरिक शिकायत समिति

अशासकीय कार्यालयों, वाणिज्यिक कार्यालयों और उद्योगों सहित
सभी चिन्हांकित कार्य स्थलों में भी होगा समितियों का गठन

रायपुर, 24 दिसम्बर 2013

कार्यस्थल पर महिलाओं के प्रति यौन उत्पीड़न की घटनाओं की रोकथाम के लिए केन्द्र सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा महिलाओं का कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न ( निवारण, प्रतिषेध और प्रतितोष) अधिनियम 2013 बनाया गया है। इस अधिनियम के  तहत बनाए गए नियमों की अधिसूचना भारत सरकार के राजपत्र में नौ दिसम्बर 2013 को प्रकाशित किए जाने के साथ ही यह अधिनियम छत्तीसगढ़ सहित पूरे देश में प्रभावशील हो गया है। छत्तीसगढ़ सरकार के महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा  यहां नया रायपुर स्थित मंत्रालय (महानदी भवन) से राज्य के सभी विभागों के अतिरिक्त मुख्य सचिवों, प्रमुख सचिवों और सचिवों को परिपत्र के साथ इस अधिसूचना की प्रतियां भेजकर अधिनियम के सभी प्रावधानों का गंभीरता से पालन सुनिश्चित करवाने के निर्देश दिए गए हैं। अधिनियम के तहत केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा महिलाओं का कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न ( निवारण, प्रतिषेध और प्रतितोष) नियम 2013 बनाया गया हैं। इस नियम और अधिनियम की प्रतियां भी राज्य शासन के सभी विभागों को प्रेषित किया गया है।
राज्य सरकार के महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा नया रायपुर स्थित मंत्रालय से जारी परिपत्र के अनुसार महिलाओं का कार्य स्थल पर लैगिंक उत्पीड़न ( निवारण, प्रतिषेध और प्रतितोष) अधिनियम 2013 के तहत हर कार्यालय में महिलाओं को यौन उत्पीड़न मुक्त वातावरण प्रदान करने और इससे जुड़ी शिकायतों के निराकरण के लिए हर कार्यालय में एक आंतरिक शिकायत समिति का गठन किया जाएगा। यह समिति सभी शासकीय, अर्द्धशासकीय, अशासकीय, वाणिज्यिक कार्यालय और उद्योगों सहित सभी चिन्हांकित कार्य स्थलों में गठित किया जाना अनिवार्य है। सभी विभाग अपने नियंत्रण में आने वाले कार्यालयों, संस्थाओं, वाणिज्यिक निकायों और उद्योगों को सूचित करते हुए आंतरिक शिकायत समिति का गठन सुनिश्चित करेंगे। जहां महिला कर्मचारी कार्यरत न हो अथवा एक-दो की संख्या में महिला कर्मचारी हों,वहां समिति गठन के संबंध में प्रशासकीय विभाग या नियोक्ता समुचित निर्णय करते हुए आंतरिक शिकायत समिति की उपयुक्त व्यवस्था करेंगे।

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अधिनियम में आंतरिक शिकायत समिति को सुनवाई और आदेश हेतु अधिकार प्रत्यायोजित किए गए हैं। आंतरिक शिकायत समिति गठित नहीं किए जाने पर नियोक्ता पर 50 हजार रूपए तक के जुर्माने का प्रावधान है। नियम में आंतरिक समिति के सदस्यों के लिए फीस या भत्ते भी निर्धारित किए गए हैं, जिसके तहत गैर सरकारी संगठनों में नियुक्त सदस्य, आंतरिक समिति की कार्यवाहियों के आयोजन के लिए प्रतिदिन 200 रूपए भत्ते के हकदार होंगे और ये सदस्य थ्री टायर वातानुकुलन या वातानुकुलित बस से तथा आटो-रिक्शा या टैक्सी से अथवा यात्रा पर उसके द्वारा खर्च की गई वास्तविक राशि जो भी कम हो की प्रतिपूर्ति के हकदार होंगे। इन सदस्यों को भत्ता प्रदान करने के लिए नियोक्ता उत्तरदायी होगा। नियम के तहत लैंगिक उत्पीड़न से संबंधित मुद्दों से परिचित व्यक्ति ऐसा व्यक्ति होगा, जिसे लैगिंक उत्पीड़न से संबंधित मुद्दों पर विशेषज्ञता प्राप्त हो। समिति के अध्यक्ष समिति की कार्रवाइयों के आयोजन के लिए प्रतिदिन 250 रूपए के भत्ते के लिए हकदार होंगे। जबकि नियम के अधीन नाम निर्दिष्ट सदस्यों से भिन्न आंतरिक समिति के सदस्य समिति की कार्रवाइयों के आयोजन के लिए प्रतिदिन 200 रूपए के भत्ते के हकदार होंगे और रेलगाड़ी से थ्री टायर वातानुकुलन, वातानुकुलित बस, ऑटो-रिक्शा या टैक्सी से अथवा यात्रा पर उसके द्वारा खर्च की गई वास्तविक लागत जो भी कम हो, की प्रतिपूर्ति के हकदार होंगे।
इस नियम के अनुसार जहां व्यथित महिला अपनी शारीरिक असमर्थता के कारण शिकायत करने में असमर्थ है, वहां उसके नातेदार, मित्र, सहकर्मी, राष्ट्रीय महिला आयोग या राज्य महिला आयोग का कोई अधिकारी अथवा व्यथित महिला की लिखित सहमति से कोई ऐसा व्यक्ति जिसे घटना की जानकारी हो, लैगिंक उत्पीड़न की शिकायत कर सकते हैं, जहां व्यथित महिला अपनी मानसिक अक्षमता के कारण शिकायत करने में असमर्थ है, वहां उसके नातेदार, मित्र, कोई विशेष शिक्षक, कोई मनोविकार विज्ञानी, मनौवैज्ञानिक, संरक्षक या प्राधिकारी जिसके अधीन वह उपचार या देख-रेख प्राप्त कर रही हो अथवा उसके  नातेदार या दोस्त आदि के द्वारा शिकायत दर्ज की जा सकती है, जहां व्यथित महिला की मृत्यु हो जाती है, वहां एक शिकायत घटना के जानकार द्वारा उसके विधिक वारिस के सम्मति से लिखित रूप में फाईल की जा सकती है। शिकायत प्राप्त होने पर शिकायत समिति व्यथित महिला से प्राप्त शिकायत की प्रतियों में से एक प्रति सात कार्य दिवस की अवधि के भीतर प्रत्यर्थी को भेजेगी। शिकायत समिति नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों के अनुसार शिकायत की जांच करेंगी। इस नियम की विस्तृत जानकारी के लिए भारत सरकार के राजपत्र दिनांक 9 दिसम्बर 2013 का अवलोकन किया जा सकता है।