कलेक्टर ने कांगेर नाला मिनी वाटर शेड परियोजना का किया अवलोकन

जगदलपुर

जिला कलेक्टर श्री अंकित आनंद और जिला के मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने कल दरभा विकासखण्ड के कांगेर नाला मिनी वाटर शेड परियोजना का अवलोकन किया और यहां के किसानों द्वारा सामूहिक अपने खेतों के चारों ओर फेंसिंग करके की जा रही खेती का अवलोकन किया तथा किसानों से रू-ब-रू होकर जल ग्रहण क्षेत्र के विकास करने के अन्य सुझाव पर भी विचार किया।
उल्लेखनीय है कि इस मिनी जल क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले ग्राम डोडरेपाल, अलवा, कुंदरागुड़ा और चीतापुर के किसानों ने यहां की बंजर भूमि का न केवल उपजाऊ बनाया है, बल्कि यहां सब्जी, मक्का, रामतिल के साथ-साथ धान की फसल ली जा रही है। इन किसानों ने बताया कि अगर उन्हें सिंचाई हेतु विद्युतीकरण सिंचाई पंप और किसानों के सामूहिक खेत के चारों ओर फेंसिंग की सुविधा मिल जाये तो वे अधिक फसल भी ले सकेंगे। कलेक्टर श्री अंकित आनंद ने किसानों से कहा कि उनके द्वारा खेतो के सामूहिक फेंसिंग कराने का कार्य को स्वीकृति करायी जाएगी। इसी तरह उनके खेती को बढ़ावा देने के लिए उनके सामूहिक खेतों तक विद्युत लाईन लाने के लिए खंबो को स्वीकृति दी जाएगी और सिंचाई पम्प भी स्वीकृत किये जाऐंगे।
वर्ष 2008-09 से प्रारंभ कांगेर नाला वाटर शेड मिशन की सफलता की कहानी केवल खेती -किसानी तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके द्वारा होने वाले फायदों ने रोजी-रोटी के तलाश में राज्य से बाहर हैदराबाद तक जाने वाले युवा कुदशो जैसे नौजवानों को गांव की धरती में वापस आये हैं। यहां की फिजा सफलता की कहानी खुद ब खुद कहती है। गांव के युवा कुदशो अब गांव में ही किराना के दुकान प्रारंभ करके अपने परिवार की आजीविका का साधन उपलब्ध करा रहा है। यहां ग्राम पंचायत अलवा में युवाओं के लिए अधोसंरचना विकास निधि से टेªनिंग सेंटर भी प्रारंभ किया गया है। कलेक्टर श्री अंकित आनंद  ने इस प्रशिक्षण के केन्द्र के नवनिर्मित भवन का अवलोकन किया। उन्होंने (आईएपी इंटीग्रेटेड एप्सन प्लान) के अंतर्गत इस केन्द्र के लिए प्रशिक्षण हेतु दस सिलाई मशीन स्वीकृत किया। उन्होंने ग्राम पंचायत के मद से युवाओं के प्रशिक्षण हेतु दो कम्प्यूटर स्वीकृत करने के निर्देश भी दिये।
गांव के किसान श्री देवी तथा जनपद पंचायत सदस्य श्री बलीराम मांझी ने बताया कि पहले यहां के पहाड़ों में बरसात का पानी बहकर बेकार हो जाता था, लेकिन अब इस नैसर्गिक पानी को रोकने से सिंचाई नालों का निर्माण किया गया है। जिससे बड़े क्षेत्र में सिंचाई हेतु पानी मिल रहा है। इन किसानों ने यह भी बताया कि एकत्रित जल स्टाप डेम में भी जमा होता है। इससे मिलने वाले जल से जहां मक्का की खेती की जा रही है वहीं रामतिल, धान और सब्जियां भी उगाई जा रही है। बंजर खेत अब फसलों से लहलहाने लगे है। गांव में बढ़े समृद्धि से यहां के बुनकरों को भी आय का अतिरिक्त साधन भी मिला है। यहां गांव के 12-13 बुनकरों ने अपनी बुनकरी का कार्य फिर से प्रारंभ किया। कलेक्टर ने कहा कि वे अब हथकरघा के उन्नत उपकरणों से तथा अच्छे कौशल को अपनाने के लिए तैयार रहें। इसके लिए मांग किये जाने पर प्रशिक्षण की व्यवस्था भी की जाएगी।
किसानों ने इस अवसर पर गांव के सारे किसानों के लिए एक सामूहिक टेªक्टर की मांग भी की और बताया कि टेªक्टर के मिल जाने से जोताई में काफी लाभ मिलेगा। उन्होंने बताया कि किसान सहकारी समिति मेें पंजीयन भी कराया गया है। कलेक्टर ने उन्हें बताया समिति के फंड में पर्याप्त राशि होने पर बैंक के माध्यम से उन्हें ऋण उपलब्ध कराया जा सकता है।
जिला कलेक्टर ने इस अवसर पर कांगेर घाटी के तीन गांवों में किसानों के फेंसिंग, डीजल पंप, विद्युतीकरण के लगभग 30 लाख रूपए की राशि स्वीकृत किया जाएगा। कलेक्टर ने किसान नानीराव के खेत पर पहुंचकर ड्रिप एरीकेशन (टपक सिंचाई) के माध्यम से ली जा रही मिर्च की खेती का भी अवलोकन किया। कलेक्टर ने गांव के ऐसे 100 किसानों को टपक सिंचाई योजना से लाभान्वित करने के निर्देश दिये। इसमें एक इकाई पर केवल 32 हजार रूपए की लागत आती है और 100 किसानों को लाभान्वित करने पर 32 लाख रूपए की स्वीकृति दी जाएगी। कलेक्टर ने वहां उद्यानिकी विभाग द्वारा सब्जियों के भण्डारण एवं रखरखाव के लिए बनाये गये पेक हाउस का भी अवलोकन किया और उसकी सराहना की।