अदानी की कोयला खदान तीसरे दिन भी बंद : ग्रामीण हुए लामबंद

Adani Coal Block
Adani Coal Block

अम्बिकापुर

परसा केते ओपन कास्ट अदानी कोल माईन्स तीसरे दिन भी बंद रही। प्रबंधन और विस्तापित गांवो के बीच गहरी हो चुकी खाई को प्रशासन भी नही भर पाया है। दरअसल ग्रामीण शिक्षा, स्वास्थ, पानी और पुनर्वास जैसी उन तमाम बुनियादो आवश्कताओ की मांग कर रहे है। जो अदानी कोल ब्लाक प्रबंधन को तीन साल पहले ही मुहैया करा देनी थी। फिलहाल तीसरे दिन परसा, केते समेत पांचो प्रभावित गांवो के लोगो ने खदान के मुख्य मार्ग मे अपना आंदोलन किया। और परिवहन मे लगे सभी वाहनो को गांव की सीमा से बाहर खदेड दिया।

Started protest against Adani coal block.
Started protest against Adani coal block.
Protest
Adani opposed

दरअसल तीन वर्ष पूर्व अदानी कंपनी ने परसा और केते गांव के आस पास की भूमि अधिग्रहण कर उत्खन्न तो शुरु कर दिया। लेकिन नियमो के अनुरुप भूमि हीन हो चुके गांव वालो को ना ही बुनायादी सुविधाए दी। और ना ही आदर्श पुनर्वास निती का पालन किया।  आमल ये है कि गांव के पढे लिखे बेरोजगारो को भी श्रमिक की नौकरी करनी पड रही है। और पगार के नाम पर न्यूनतम मजदूरी से भी कम राशि दी जा रही है। जिससे गांव के लोगो का जीवन यापन करना मुश्किल हो गया है।

पुनर्वास निती के तहत किसी उद्योग की शुरुआत के साथ ही प्रभावित गांवो के लोगो को माकान और जीवन यापन के लिए रोजगार देने की बाध्यता होती है। लेकिन अभी तक किसी भी तरह से पुनर्वास नीति का पालन नही किया गया है। जिसकी वजह से तीन साल तक अपनी बेहतरी का इंतजार करने वाले ग्रामीण अब कंपनी की खिलाफत करने लगे है। और कंपनी के संपूर्ण कारोबार को तब तक के लिए बंद करा दिया है। जब तक कि उनके अधिकार और वाजिब हक उन्हे नही मिल जाता।

जानकारी के मुताबिक शनिवार को प्रशासन ने गांव वालो और अदानी प्रबंधन के बीच तालमेल बनाने का प्रयास किया। और चर्चा भी कराई लेकिन तीन वर्षो के लंबे इंतजार के दौरान उनके खेत बाडी और घरो की जगह खदान ने तो ले ली। लेकिन उनको घर और सुविधा मुहैया नही हुई। लिहाजा अब खिलाफत की चिंगारी भडक गई है। औऱ पूरे पांच गांवो के लोग अदानी के खिलाफ अपने विचारो को तख्तियो मे लिख कर खदान क्षेत्र मे इसलिए पहरा कर रहे है कि खदान खुले ना ।