कांग्रेस जिलाध्यक्ष डॉ चैलेश्वर चंद्राकर को बदलने की सुगबुगाहट.. संगठन में आपसी गुटबाजी बनी रही वजह… नये जिलाध्यक्ष मंहत गुट के होने के संकेत..

जांजगीर-चांपा। जांजगीर चांपा जिले के कांग्रेस कमेटी के जिलाध्यक्ष डॉ. चैलेश्वर चन्द्राकार को बदलने की सुगबुगाहट होने की चर्चा है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार संगठन के साथ तालमेल बैठाने मेें नकाम रहे डॉ चैलेश्वर चन्द्राकार की पद छिना जा सकता हैं। बताया जा रहा है कि जिले के शीर्ष नेताओं व संगठन के साथ तालमेल नही होना ही मुख्य वजह है। जिले मे मंहत गुट के कार्यकार्ताओ का संख्या संगठन में ज्यादा हैं जिसके कारण कार्यकर्ताओ में हमेशा मतभेद बना रहता हैं. आये दिन पार्टी के कार्यक्रमों में यह नजारा देखा गया है। पूर्व मे भी जिलाध्यक्ष की शिकायत कई बार प्रदेश स्तर के नेताओं से की गई हैं। इसलिए कहा जा सकता की जल्द जांजगीर चांपा जिले के कांग्रेस संगठन मे बड़ा बदलाव देखा जा सकता हैं। जिलाध्यक्ष द्वारा कई स्थानीय नेताओं को मंच में नजरअंदाज करना भी जिलाध्यक्ष के लिए मुसीबत बनते जा रहा हैं। जिले में मंहत गुट की चलती चलवा होने के कारण जिलाध्यक्ष हमेशा विवादों मे रहतेे हे।

दरअसल बताया जाता है कि जिलाध्यक्ष डॉ. चैलेश्वर चन्द्राकार भूपेश बघेल खेमे के है, वही भूपेश बघेल के काफी करीबी बताये जाते हैं। इसलिए जांजगीर-चांपा जिले में जिस प्रकार चर्चा होती हैं कि जिले में संगठन के उच्च पद पर डॉ. मंहत के ही करीबियों का ही दखल माना जाता हैं। जिले में किसी भी कार्यकर्तााओं को पद मिलने का पहला मापदंड होना चाहिए की वह डां मंहत के करीबी हो, तभी जाकर उसें कोई उच्च पद जिले मे मिल सकता हैं नही तो वह सिर्फ कार्यकर्ता के तौर पर कार्य कर सकता हैं, ऐसा चर्चा अक्सर चौक चौराहो मे सुनने को मिल जाता है।

चूकिं प्रदेश मे कांग्रेस सरकार के दो वर्ष पूरे हो गये हैं अब आने वाले समय मे जिले मे संगठन को मजबूत करना होगा जो बिना किसी विवाद के और तीन वर्ष चल सके. इसलिए प्रदेश संगठन मे चर्चा चल रही है कि जिस जिलें मे जिलाध्यक्ष को लेकर कार्यकर्ताओं में गुटबाजी व खींचतान चल रही है उसे समय रहते सुलझा लें। बताया जा रहा है कि नये जिलाध्यक्ष डॉ चरण दास मंहत के करीबी होने के साथ-साथ संगठन मे तालमेल बैठाने व पार्टी को मजबूत करने की क्षमता हो उसी को यह पद दिया जा सकता है। जांजगीर चांपा जिले मे देखा गया है अभी तक जो भी सख्स को इस पद मे बैठाया गया है वह डां मंहत के करीबी रहा हैं। वर्षो से चली आ रही यह परंपरा इस बार जरूर टुटी थी, लेकिन दो वर्ष बाद फिर से यह होने जा रहा है कि डां मंहत खेमें के ही कोई भी सख्स को यह पद दिया जा सकता हैं।