जिला पंचायत CEO से नहीं संभल रही राज्य सरकार की योजनाए…AC कमरों में बैठकर कर रहे मॉनिटरिंग…योजनाएं सिर्फ कागजों तक ही सीमित…सरकार की महत्वकांक्षी नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी योजना जिले में फ्लॉप…

जांजगीर-चांपा…जिले में राज्य सरकार की दर्जनों योजनाएं चल रही हैं। सरकार ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार लाने के लिए एवं लोगों को लाभ देने अनेकों योजनाएं चला रही हैं। लेकिन, जिला पंचायत सीईओ योजना को संभालने एवं मॉनिटरिंग करने में असफल साबित हो रही हैं। जिसका नतीजा हैं कि, दर्जनों ग्राम पंचायत में राज्य सरकार की योजनाएं अधूरी पड़ी हुई हैं। ग्रामीण इसकी शिकायत लिखित में कई बार कर चुके हैं। इसके बावजूद समस्या का हल नहीं हो पा रहा हैं। सिर्फ कागजों पर जिला पंचायत सीईओ मॉनिटरिंग एवं दिशा निर्देश देते नजर आते हैं। सरकार की महत्वकांक्षी योजना नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी पूरी तरह जिले में फ्लॉप होते दिख रही हैं। वही सरकार की अन्य योजनाओं का लाभ सीधा लोगों को नहीं पहुँच पा रहा हैं। अफसरशाही के चलते ग्रामीण जिले के अधिकारियों तक अपनी समस्याओं को पहुंचाने में नाकाम साबित हो रहे हैं या कुछ ग्रामीण अपनी समस्याओं को लेकर अधिकारी तक पहुंच भी रहे हैं। तो उन्हें सिर्फ आश्वासन ही मिल पा रहा हैं। समस्या का हल नहीं हो पा रहा हैं। जिले में कई ऐसे उदाहरण मौजूद हैं। जहां जिला पंचायत सीईओ की गैर जिम्मेदाराना कार्य देखने को मिल रहा हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में बने रीपा सेंटर का हाल बुरा हैं। यह सिर्फ कागज पर ही सरकार की योजनाएं चलती दिख रही हैं। इसका सबसे मुख्य कारण जिला पंचायत सीईओ का अडयल रवैया हैं।

सरकार की योजनाओं को लाभ अगर आम जनता को नहीं मिल पाएगा तो इसका असर आने वाले समय में चुनाव में जरूर दिखेगा।क्योंकि, जिस समस्या को दूर करने के लिए सरकार कटिबद्ध हैं। उसका पलीता लगाने में जिला पंचायत सीईओ लगे हुए हैं। सिर्फ ए सी कमरे में बैठकर अपने अधीनस्थ कर्मचारियों को दिशा निर्देश दे रहे हैं। मौके पर जाकर बहुत कम समस्याओं को सुन रहे हैं। जिले में बहुत सी ऐसी सरकार की योजनाएं हैं जो पे पटरी नजर आ रही हैं। पंचायतो में हो रहे निर्माण कार्यो में गुणवत्ता हो, या सरकार के योजना, सभी में अव्यवस्था एवं लापरवाही दिख रही हैं। जिला पंचायत के कई ऐसे विभाग हैं जहां लाखों, करोड़ों के भ्रष्टाचार भी सामने आए हैं। लेकिन, अभी तक शिकायत के बाउजूद इन पर किसी प्रकार की कार्यवाही तो दूर जांच तक नहीं हुई हैं। पंचायतों में करोड़ों के निर्माण कार्यों में भ्रष्टाचार की बात सामने आ चुकी हैं।लेकिन, अभी तक इन पर किसी प्रकार की जांच नहीं हो पाई हैं।लगातार शिकायत के बावजूद पंचायत स्तर पर अधिकारी भ्रष्टाचार को अंजाम दे रहे हैं। वही कुछ अधिकारियों के शह पर पंचायत के प्रतिनिधि भी इनका साथ दे रहे हैं। उन्हें किसी प्रकार का डर नही हैं।

इस तरह जिले में पंचायत स्तर के कार्यों में भारी लापरवाही सामने आई हैं। जिसके चलते ग्रामीणों को सरकार की योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा हैं। जिला पंचायत की अधिकारी सिर्फ अखबारों में खबर छपवा कर सरकार की आंखो में धूल झोंक रहे हैं। वही झूठी सुर्खियां बटोर रहे हैं। मौके पर जाकर देखने से जमीनी हकीकत कुछ और नजर आता हैं।