आम आदमी पार्टी के 20 विधायक अयोग्य करार दिए गए है। लाभ के पद (ऑफिस ऑफ प्रॉफिट) के मामले में आप विधायकों को अयोग्य घोषित करने की चुनाव आयोग की याचिका को राष्ट्रपति ने स्वीकार कर लिया है। अब दिल्ली एक छोटा विधानसभा चुनाव देख सकती है, जिसमें 70 सदस्यीय सदन की 20 सीटों पर चुनाव होगा। दिल्ली सरकार में मंत्री गोपाल राय ने कहा, पार्टी राष्ट्रपति से मिलकर अपना पक्ष रखना चाह रहे थे, बीच में ही यह खबर आ गई। अब हम हाई कोर्ट जाएंगे, अगर जरूरत पड़ी तो सुप्रीम कोर्ट भी जाएंगे।
विधायकों की सदस्यता रद्द होने पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा, इन्होंने हमे खूब प्रताड़ित किया, हमारे विधायकों पर फ़र्ज़ी केस करवाये, मेरे ऊपर सीबीआई रेड करवाई ,लेकिन उन्हें कुछ नहीं मिला अंत में आज इन्होंने हमारे 20 विधायक अयोग्य करार कर दिए। वहीं दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन ने कहा कि बीजेपी और चुनाव आयोग ने मामले को 3 सप्ताह से ज्यादा फंसाकर रखा, इससे आम आदमी पार्टी को राज्यसभा चुनाव में फायदा हुआ।
आम आदमी पार्टी ने 13 मार्च 2015 को अपने 20 विधायकों को संसदीय सचिव बनाया था। इसके बाद 19 जून को एडवोकेट प्रशांत पटेल ने राष्ट्रपति के पास इन सचिवों की सदस्यता रद्द करने के लिए आवेदन किया। राष्ट्रपति की ओर से 22 जून को यह शिकायत चुनाव आयोग में भेज दी गई। शिकायत में कहा गया था कि यह ‘लाभ का पद’ है इसलिए आप विधायकों की सदस्यता रद्द की जानी चाहिए।
इससे पहले मई 2015 में इलेक्शन कमीशन के पास एक जनहित याचिका भी डाली गई थी। आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि विधायकों को संसदीय सचिव बनकर कोई ‘आर्थिक लाभ’ नहीं मिल रहा। इस मामले को रद्द करने के लिए आप विधायकों ने चुनाव आयोग में याचिका लगाई थी।
वहीं राष्ट्रपति ने दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार के संसदीय सचिव विधेयक को मंजूरी देने से इनकार कर दिया था। इस विधेयक में संसदीय सचिव के पद को लाभ के पद के दायरे से बाहर रखने का प्रावधान था।