रायपुर
मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने आज यहां विधानसभा में अपनी सरकार के आगामी वित्तीय वर्ष 2017-18 के बजट भाषण को शेरो-शायरी से और भी अधिक दिलचस्प बना दिया। उन्होंने शायरी की पंक्तियों के जरिए गरीबों के प्रति अपनी सरकार के संवेदनशील नजरिए को स्पष्ट किया। बजट भाषण की शुरूआत में मुख्यमंत्री ने कहा-
“ज़मीर जिन्दा रख, कबीर जिन्दा रख, दिल में फकीर जिन्दा रख”
“हौसले के तरकश में कोशिश का वो तीर जिन्दा रख”
डॉ. सिंह ने बजट भाषण के अंतिम चरण में कहा-ये बजट ए.सी. कमरे में बैठकर नहीं बनाया गया है, बल्कि धूप में घूमकर और गांव-गांव जाकर लोगों की जरूरतों का पता लगाकर इसे तैयार किया गया है। उन्होंने बजट भाषण का समापन इन पंक्तियों से किया-
“हद-ए-शहर से निकली तो गांव-गांव चली, कुछ यादें मेरे संग पांव-पांव चली”
“सफर जो धूप का किया तो तजुर्बा हुआ, वो ज़िन्दगी ही किया, जो छांव-छांव चली”
मुख्यमंत्री द्वारा पढ़ी गई शायरी की इन पंक्तियों का सभी सदस्यों ने मेज थप-थपाकर स्वागत किया।