सतना
सतना जिला अस्पताल नवजात शिशुओं की कब्रगाह बनता जा रहा है, यह हम नहीं खुद जिला अस्पताल द्वारा जारी आंकड़े बता रहे है, नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई (SCNU) में पिछले ग्यारह माह में 2500 में 300 से ज्यादा नवजात शिशुओं की मौत हो गयी, सनसनी फैला देने वाले इन आँकड़ो के जारी होने के बाद जिला स्तर पर समीक्षा की रश्म अगयागी भी कर ली गयी, SCNU की प्रभारी डॉक्टर की माने तो नवजात शिशुओं की मौत इन मौतों में अधिकतर बच्चे कुपोषित माताओं से कम वजन के पैदा नवजात शिशु है, SCNU की प्रभारी डॉक्टर के इस बयान से प्रदेश के स्वाथ्य महकमे में हड़कंप मच गया है ।
सतना जिला अस्पताल स्थित नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई मौत की इकाई बनकर रह गयी है, ग्यारह माह में 300 से ज्यादा बच्चो की मौत के भयावह आंकड़े आने से पूरे सतना जिले में भय का आलम है, अब तो लोग जिला अस्पताल में गर्भवती का प्रसव कराने और नवजात शिशुओं का ईलाज कराने से कतराने लगे है, SCNU में नवजातो बड़ी तादात में मौतो में दो तिहाई (कुपोषित माताओं से जन्मे कम वजन लगभग कुपोषित) नवजात की मौत होने के खुद SCNU प्रभारी डॉक्टर द्वारा खुलासे वाले बयान से जिला प्रशासन ही नहीं प्रदेश का स्वास्थ्य महकमे के माथे पर बल पड़ गया है, हैरानी की बात यह है कि यह आकड़ा केवल जिला अस्पताल के SCNU का है अगर पूरे जिले का अकड़ा निकाला जाये तो सचमुच सतना जिला नवजात बच्चो की कब्रगाह बनता जा रहा है ।
सरकार के सैकड़ो करोड़ हर माह स्वास्थ्य सेवाओं, गर्भवती प्रसूताओं, नवजात शिशुओं के ईलाज हेतु विभिन्न योजनाओं के जरिये खर्च करती है, लेकिन जमीनी हकीकत आपके सामने है, मौका पाते ही कांग्रेसी मौजूदा सरकार पर हमला करने से नहीं चूक रहे है । पूरे भारत में कुपोषण का कलंक सतना के माथे पर पहले ही लग चुका है, अतीत से नसीहत सीख या सुधार करने की बजाय नवजात शिशु मृत्यु दर में गुणोत्तर बढ़त देखी जा रही है, मासूमो की मौत का दोषी कौन, जिम्मेदार कौन, अरोपी कौन, किसे सजा मिलनी चाहये सवाल बहुत है जवाब नदारत है ।
डॉ. डी.एन. गौतम – सीएमएचओ सतना
रोंगटे खड़े कर देने वाली इतनी बड़ी तादात में बच्चो की मौत की सच्चाई सामने आने के बाद सतना सीएमएचओ. द्वारा बेबाकी से स्वीकारने पर हैरानी हुयी, इस हालत को चिंताजनक बताते हुये बच्चो की मौत की जिम्मेदारी मैदानी अमले की चूक को बताते हुये कार्रवाई करने की बात कह रहे है ।