- उदयपुर मतरिंगा से हुआ है रेड नदी का उद्गम
अम्बिकापुर/ लखनपुर
लखनपुर ब्लॉक के ग्राम पंचायत बगदर्री के बस्ती के किनारे बह रही विशाल रेड़ नदी पहली बार इस भीषण गर्मी में सूख गई है। इस नदी के सूखने से निस्तार के लिये ग्रामीणों एवं पशु पक्षियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। जल स्तर भी काफी नीचे चले जाने की बात सामने आई है।
लखनपुर विकासखण्ड के अंतर्गत कई ग्राम पंचायतों की जीवनदायी रेड नदी के पूरे सूख जाने से पोड़ी, ससकालो, जजगा, तराजू, जमगला, लटोरी, बगदर्री, निम्हा, लैंगा, जैसे सैकड़ों ग्रामों के ग्रामीणों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। विशाल रेड नदी इस भीषण गर्मी में पहली बार पूरी तरह से सूख गई है। रेणुका के नाम पर इस नदी का नाम रेड नदी पड़ा, इसका उद्गम उदयपुर के पहाड़ी क्षेत्र ग्राम मतरिंगा से हुआ है। यह नदी सरगुजा जिले के प्रसिद्ध नदी के रूप में जाना जाता है। पुराने लोगों एवं जानकारों के अनुसार इस वर्ष भीषण गर्मी में पहली बार रेड नदी के सूखने की बात बताई जा रही है। इस तरह से विशाल रेड नदी के सूखने से सरगुजा जिला एवं आसपास सटे जिलो सूरजपुर की तट पर बसी गांव पूरी तरह से प्रभावित हो रही है, जिससे फसलों की सिंचाई, जहां तक बहुत से गांव में इसे पीने के पानी में भी उपयोग किया जाता है तथा इस रेड नदी के पानी से पूरे क्षेत्र में निस्तार, मानव, पशु, पक्षी, मवेशी को इस भीषण गर्मी में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
गर्मी के तेवर से नदी तालाबों में सूखे का मंजर
गर्मी के तेज तेवर से जल स्त्रोतों पर भी सीधा असर होने के कारण नदी, तालाब, कुंआ, ढोढी सूखने लगे हैं। क्षेत्र के चारों तरफ सुखे का नजारा नजर आने लगा है। ग्राम पंचायतों में कई लाख रूपये खर्च करने के बाद नवीन तालाबों का निर्माण या तालाब गहरीकरण का कार्य बीते कई सालों से मनरेगा योजना के तहत कराया गया। शासकीय राशि बेशुमार खर्च किये गये इसके बाद क्षेत्र के तालाबों में बूंद भर भी पानी नहीं है। पशु पक्षियों तक को भी पानी के लिये तरसना एवं भटकना पड़ रहा है। बनाये गये तालाब केवल तालाब होने का एहसास करा रहे हैं। कई गांवों में मवेशियों को पिलाने के लिये हैण्डपम्पों के पानी का सहारा लिया जा रहा है। तेज गर्मी के कारण हैण्डपम्पों ने भी दम कई स्थानों पर तोड़ दिया है। परिस्थिति को देखते हुये प्रशासन ने बांधों से पानी छोडने की बात कही गई है, जिससे नहर क्षेत्र के लोगों, पशु-पक्षियों को राहत मिल सकता है। जल स्तर के घटने से बांधों में भी अपेक्षाकृत पानी बहुत कम है।