सतना: बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ जैसे स्लोगन देकर सरकार शिक्षा ब्यवस्था में सुधार लाने की लाख कोशिश करे मगर सतना जिले में शिक्षा व्यवस्था मानो पटरी मे चढने का नाम ही नही ले रही है. जिस गांव को सतना सांसद गणेश सिंह ने गोद लेकर सर्वागीण विकास का लिखित अनुबंध किया था. उसी गाँव के छात्र छत्राए अपने शिक्षा के अधिकार के लिए पिछले दिनो सड़कों पर उतरने को मजबूर हुए थे. लेकिन स्थानीय प्रशासन छात्र छात्राओं की मांग अनसुनी कर दी. पर थाने में उनके खिलाफ मुकदमा जरूर दर्ज कर लिया गया. आलम ये है कि बच्चे अगर स्कूल जा रहे हैं तो दहशत मे नही तो स्कूल जाने से भी कतरा रहें है. क्योकि छात्र छात्राओ को ये भय सता रहा है कि कहीं पुलिस उन्हे गिरफ्तार न कर ले.
क्या है पूरा मामला
अबेर जिले का वह गांव है जिसको भाजपा से सांसद गणेश सिंह ने गोद लिया है. लेकिन सांसद के पालने मे पलने की जगह गांव राजनीति का अखाड़ा बन गया है. दरअसल गांव मे कई साल पहले यंहा के शासकीय स्कूल में वाणिज्य संकाय की कक्षाएं तो शुर कर दी गई. लेकिन स्थाई शिक्षक का प्रबंध शिक्षा विभाग द्वारा नही किया गया. स्थिती ये है कि पिछले एक वर्ष से वाणिज्य संकाय के लिए यहां एक भी शिक्षक नही है. और तो और स्कूल मे स्थायी प्राचार्य की पदस्थापना भी नहीं है. भगवान भरोसे चल रहे अबेर के इस शासकीय स्कूल के छात्र छात्राओं और अभिवावको ने मामले की शिकायत कई बार संत्री से लेकर मंत्री तक को की लेकिन बात नही बनी . लिहाजा छात्र छात्राओ ने बीते 21 अगस्त को आंदोलन की राह पकड ली और सडक पर उतर गए. उस दौरान मौके पर पहुंचे प्रशासनिक अधिकारियो ने कोरा अश्वासन देकर आंदोलन तो खत्म करा दिया. पर समस्या का स्थायी समाधान आज तक नही हो सका. उलटा शिक्षा के अधिकार की लडाई लडने वाले अबेर के छात्र छात्राओ को अब थाना पुलिस का भय सताने लगा है.
पुलिस आती है स्कूल और बच्चे नही आते स्कूल
शिक्षा के अधिकार अधिनियमो की अगर बात की जाए तो स्कूली छात्र छात्राओ की मांग जायज है. लेकिन शिक्षको की जायज मांग करने पर प्रशासन ने अब छात्राओं और छात्रों पर थाने में मामला दर्ज कराया है. हालांकि जानकारी के मुताबिक अभी तक किसी के नाम से अपराध मुकदमा दर्ज नही हुआ है. लेकिन कोटर पुलिस मामले की जांच के लिए स्कूल जरुर पहुंच रही है. जिससे छात्र छात्राओ मे खौफ का माहौल है. उधर आंदोलन में भाग लेने वाली छात्राओं ने तो मुकदमा दर्ज होने के डर स्कूल आना ही छोड़ दिया है.. और तो और कई छात्र मानसिक तनाव के दौर से गुजर रहें हैं. इधर कोटर थाने में मामला दर्ज होने पर बच्चों के अभिभावक भी काफी परेशान है. ऐसे मे स्थानिय लोग अपनी मांगो को लेकर आर पार की लड़ाई लडने मन बना रहें हैं .
पुलिस का कहना
सांसद आदर्श गांव की हायर सेकेंडरी स्कूल में आस पास के बारह गांव के बच्चे ने दाखिला लिया है. मगर यहां अध्यापन कार्य महज औपचारिकताही है. स्थाई शिक्षक और प्राचार्य न होने से छात्र छत्राये अपने भविष्य को लेकर चिंतित है. और अपने हक के लिए सड़क पर उतरे तो उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज हो गया. हांलाकि पुलिस की माने तो कोटर थाने में अज्ञात लोगो के खिलाफ मामला दर्ज हुया है जिसकी जांच की जा रही .
ये कैसी बिडम्बना
इसे विडंबना कहे या शासन की लापरवाही पर जब सतना भाजपा सांसद के गोद लिए गाँव की ये कहानी है तो अन्य सूदूर क्षेत्र के हालात क्या होंगे. आप खुद समझ सकते हैं. वही अब इस पूरे घटनाक्रम के बाद प्रशासन और पुलिस दोनो की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे कि क्या अपनी समस्याओं के निदान के लिए हल्ला बोलने वाले छात्र छात्राओ पर मुकदमा लगा देना कितना उचित था ? वैसे तो जिले में आय दिन धरना प्रदर्शन और सड़के जाम होती है. लेकिन कुछ ही मामला पुलिस की डायरी मे लिखा जाता है. ऐसे मे छात्रों के शांति पूर्ण प्रदर्शन पर तत्काल सख्ती दिखाना कितना जरूरी था ? बहरहाल स्थिती परिस्थिती को देखकर तो मामले में राजनीति की बू आ रही. कही ये उस छवि को धूमिल होने की प्रतिक्रिया तो नही जो गोद लिए गांव की वजह से धूमिल हुई है. तभी तो हमने हेडिंग मे कहा “गणेश” पर उंगली उठी तो अब “शिव” की भांजी जाऐंगी जेल …..