क्या जांजगीर चांपा लोकसभा में भाजपा लगा पायेगी जीत की हैट्रिक, या हाथी की चाल से बिगड़ेगी कांग्रेस का समीकरण…?


जांजगीर चांपा । छत्तीसगढ़ के एक मात्र रिजर्व सीट जांजगीर चांपा लोकसभा में इस बार मुकाबला काटंे की है। जांजगीर चांपा लोकसभा मे मतदान के कुछ ही दिन बचे हैं । इस सीट में तीसरे चरण में 23 अप्रैल को मतदान होना हैं, देखा जा रहा सभी प्रत्याशी अपने पक्ष मे माहौल बनाने जी तोड़ मेहनत कर रहे है। जनता भी उस दिन का इंतजार कर रही है। लोकतंत्र के महापर्व में लगातार क्षेत्र मे महौल गरमाने लगा है। सभी पार्टी अपने -अपने वादे इरादे के साथ जनता से जनसंपर्क कर मिल रहे है। क्या इस बार भाजपा जांजगीर चांपा लोकसभा सीट पर हैट्रिक लगा पायेगी या हाथी की चाल से बिगडेगी कांग्रेस की समीकरण यह बड़ा सवाल हैं ? इस बार मुकाबला दिलचस्प हो गया है। जिले में सभी पार्टीयां दो -दो विधानसभा मे काबीज हैं। सक्ती व चन्द्रपुर मे कांग्रेस के विधायक है तो जांजगीर चांपा , अकलतरा मे भाजपा है. वही जैजैपुर व पामगढ़ में बसपा की जनाधार मजबूत है। हांलाकि जांजगीर चांपा लोकसभा क्षेत्र की बात करे तो दो अन्य जिले के विधानसभा सीट में कसडोल व भिलाईगढ़ मे कांग्रेस के विधायक हैं। जांजगीर चांपा मे इस तीनो पार्टीयो ंको एक दूसरे से कड़ी चुनौती मिल रही है। सभी पार्टीयों के स्टार प्रचारको का दौरा इस लोकसभा में हो रहा हैं। लेकिन जांजगीर चांपा लोकसभा की जनता खामोस है. किसी प्रकार का माहौल किसी एक पक्ष मे मजबूूत नही दिख रहा हैं । एक ओर जहां देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का तावड़ तोड़ सभा छत्तीसगढ़ में हो रहा जिससे लगता है कि अभी लोगो के मन मे मोदी मैजिक बरकरार हैं. तो दूसरे ओर सुबे के मुख्या भुपेश बघेल भी सभा करने मे कोई कमी नही कर रहे है। हर उस लोकसभा में पहुंच रहे है जहां कांग्रेस कमजोर लग रही है। बसपा सुप्रीमो मायावती की भी सभा जांजगीर मे होने से माहौल बसपा के पक्ष मे थोड़ा मजबूत हुआ है। ग्रामीण इलाको की बात करे तो भाजपा का मोदी मैजिक अभी लोगो के मन मे बरकरार है पर शहरी क्षेत्रो मे भाजपा थोड़ा कमजोर दिख रहा हैं। बसपा अपने परंपरागत वोटरो को साध लेती हैं तो फैसला समान्य व ओबीसी वर्ग के वोटर ही जीत व हार की फैसला करेगें। जांजगीर चांपा लोकसभा मे देखा जा रहा है कि प्रचार प्रचार मे भाजपा थोड़ी कमजोर दिख रहा है पर मोदी फेक्टर के कारण ग्रामीण इलाको में भाजपा समान्य व ओबीसी वोटरो मे सेेंट लगाने मे कामयाब होते दिख रही है। बसपा भी अपने दो विधायको के बदोलत लोकसभा में मजबूती के साथ अपना उपस्थिति दर्ज करा रही है। बसपा भले ही भाजपा,कांग्रेस की तरह सोशल मिडिया मे एक्टीव नही दिख रही है पर डोर टू डोर प्रचार में मजबूत है। वही कांग्रेस में कार्यकर्ता अपने प्रत्याशी के लिए ईमानदारी से मेहनत करे तो कुछ बात बन सकती है, नही तो इन दिनो कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता अपने प्रत्याशी व वरिष्ठों के सामने बाहर से अपने आप को कुछ और दिखा रहे हैं पर अंदर ही अंदर गुटबाजी में लगे हैं। यहां कांग्रेस पार्टी अति उत्साह में तो है पर पार्टी के गुटबाजी के कारण उन्हे पराजय का सामना न करना पड़ जाये. क्योकि यही हाल विधानसभा मे देखने को मिला था। सभी पार्टी के कार्यकर्ता अपने प्रत्याशी के प्रति ईमानदारी दो दिखा रहे थे. अंदर ही अंदर उनके विरोध भी कर रहे थे। अब जांजगीर चांपा लोकसभा चुनाव मे सभी पार्टी के विरिष्ठ नेताओ की नजर है कि जीत किसकी होगी और हारेगा कौन।