रायपुर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह 45 दिन के लिए राज्यभर की विकास यात्रा पर हैं. वहीं एक दर्जन से ज्यादा विभागों के कर्मचारी वेतन भत्तों में बढ़ोतरी और नौकरी पक्की करने की मांग को लेकर बेमियादी हड़ताल पर हैं. इससे सरकारी दफ्तरों की स्थिति खस्ताहाल है, लेकिन सबसे बुरा हाल सरकारी अस्पतालों का है, जहां नर्सों और पैरा मेडिकल स्टाफ की हड़ताल की वजह से मरीजों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.
27 जिलों में बेमियादी हड़ताल
छत्तीसगढ़ के सभी 27 जिलों में सरकारी कर्मचारियों की हड़ताल जारी है. राज्य के लगभग 1.80 लाख शिक्षाकर्मियों को उम्मीद है कि सरकार सामान काम, समान वेतन की मांग को स्वीकारते हुए उन्हें सरकारी शिक्षक मान लेगी. इससे उन्हें सरकारी शिक्षकों के अनुरूप वेतनमान और सुविधा मिलेगी. यही सोच लगभग 10 हजर नर्स और पैरा मेडिकल स्टाफ की है. कर्मचारियों का कहना है कि सरकारी अस्पतालों में उनका शोषण हो रहा है. उन्हें रोजाना दस घंटे नौकरी करनी पड़ती है जबकि वेतन मात्र 4,600 रुपये प्रति महीना मिलता है.
समान वेतनमान की मांग
यही हाल पंचायत विभाग के कर्मचारियों और महिला बाल विकास से जुड़ी आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं का है. उन्हें प्रति महीने 2,400 रुपये मिलते हैं. राज्य के 12 सरकारी विश्वविद्यालयों में गैर शैक्षणिक कर्मचारी सातवें वेतनमान की मांग कर रहे हैं. इसी तरह महिला बाल विकास, शिक्षा, आगनबाड़ी, सिचाई, पंचायत, समान्य प्रशासन समेत एक दर्जन से ज्यादा छोटे बड़े विभागों के कर्मचारी बेमुद्द्त हड़ताल पर हैं. आंदोलित कर्माचारियों की मांग है कि उनकी नौकरी पक्की की जाए. उनका वेतनमान और भत्ते भी सरकारी कर्मचारियों के अनुरूप किया जाए.
मरीजों का हाल बेहाल
अचानक एक दर्जन से ज्यादा विभागों के कर्मचारियों के हड़ताल पर चले जाने से लोगों के सामने मुसीबत खड़ी हो गई है. कलेक्टर का दफ्तर हो या फिर तहसील कार्यालय छोटे मोटे कामों के लिए लोगों को भटकना पड़ रहा है. वहीं सरकारी अस्पतालों में भर्ती मरीज बेसब्री से हड़ताल के खत्म होने का इंतजार कर रहे हैं. नर्सों और पैरा मेडिकल कर्मचारियों की हड़ताल से उन्हें कठिनाई हो रही है.