ऐसा क्या हुआ की?..प्रदेश के सांस्कृतिक कला की धानी में आयोजित चक्रधर समारोह का..कलेक्टर ने बन्द करा दिया सीधा प्रसारण..

रायगढ़..प्रदेश की सांस्कृतिक कला की राजधानी और महाराज चक्रधर की नगरी रायगढ़ में हर साल आयोजित होने वाला चक्रधर समारोह इस बार 13 सितंबर से 22 सितंबर तक चलेगा..लेकिन राज्य सरकार द्वारा आयोजित यह समारोह अब विवादों के घेरे में है..और यह वजह थोड़ी दिलचस्प भी है..क्योकि इस सरकारी आयोजन में भीड़ नही होने के चलते कलेक्टर ने इस कार्यक्रम की लाईव कवरेज को ही बन्द करा दिया है..

बता दे की चक्रधर समारोह का अपना ऐतिहासिक महत्व भी है.. आजादी के पहले रायगढ़ एक स्वतंत्र रियासत थी.. जहां सांस्कृतिक एवं साहित्यिक गतिविधियों का फैलाव बड़े पैमाने पर हुआ करते थे.. प्रसिद्ध संगीतज्ञ कुमार गंधर्व और हिंदी के पहले छायावादी कवि मधुकर पांडेय रायगढ़ से ही थे..सरदार वल्लभ भाई पटेल के प्रयासों से जब रियासतों के भारत में विलीनीकरण की प्रक्रिया शुरू हुई तो रायगढ़ के राजा चक्रधर विलीनीकरण के सहमतिपत्र पर हस्ताक्षर करने वाले पहले राजा थे..

 

राजा चक्रधर की याद में आयोजित की जाती है..चक्रधर समारोह!..

राजा चक्रधर एक कुशल तबला वादक एवं संगीत व नृत्य में भी निपुण थे.. उनके प्रयासों और प्रोत्साहन के फलस्वरूप ही यहां संगीत तथा नृत्य की नई शैली विकसित हुई.. स्वतंत्रता पूर्व से ही गणेशोत्सव के समय यहां सांस्कृतिक आयोजन की एक समृद्ध परंपरा विकसित हुई, जिसने धीरे-धीरे एक बड़े आयोजन का रूप ले लिया.. यह आयोजन इतना वृहद था कि राजा चक्रधर जी के देहावसान के बाद उनकी याद में “चक्रधर समारोह” के नाम से यहां के संस्कृतिकर्मियों तथा कलासाधकों ने वर्ष 1985 से दस दिवसीय सांस्कृतिक उत्सव की शुरुआत की जिसके माध्यम से देश के सांस्कृतिक मानचित्र में छत्तीसगढ़ को स्थापित करने में बड़ी मदद मिली..

वही आज चक्रधर समारोह के शुरू हुए तीन दिन ही हुए थे..जहाँ ब्यूरोक्रेसी की तलवार खींच गई..कलेक्टर शम्मी आबिदी ने उक्त समारोह में उम्मीद से कम भीड़ जुटने को लेकर नाराजगी जाहिर करते हुए..समारोह के सीधे प्रसारण पर रोक लगा दी है..

दरसल चक्रधर समारोह में देश के विभिन्न हिस्सों के कलाकार अपने कला का जौहर दिखाने रायगढ़ पहुँचते है..जिसका सीधा प्रसारण लोकल केबल नेटवर्क के जरिये हर वर्ष किया जाता है..पर कलेक्टर के फरमान के बाद अब सीधा प्रसारण बन्द करवा दिया गया है..