अंबिकापुर. जिले के शासकीय कर्मचारियों के मेडिकल बिल को पास करने लेन-देन की पुष्टि हो गई है। पिछले दिनों जांच में पहुंची 3 सदस्यीय राज्य स्तरीय टीम ने मेडिकल बिल पास करने के एवज में रिश्वतखोरी की पुष्टि कर दी है। इसी रिपोर्ट के आधार पर सरगुजा कलेक्टर ने सिविल सर्जन सह मुख्य अस्पताल अधीक्षक कार्यालय में मेडिकल बिल से संबंधित कामकाज देखने वाले तत्कालीन सहायक ग्रेड तीन आनंद सिंह यादव को नोटिस जारी कर जबाब मांगा हैं। रिश्वतखोरी के इस मामले में स्वास्थ्य संचालक रितु राज रघुवंशी भी सख्त हैं। उन्होंने यहां के सिविल सर्जन डॉक्टर जेके रेलवानी को भी नोटिस जारी कर जबाब मांगा हैं। इस कार्रवाई से स्वास्थ्य महकमे में जबरजस्त खलबली मची हुई हैं। मामला सामने में आने के बाद स्थानीय प्रबंधन इसे दबाने की पूरी कोशिश में लगा हुआ था। लेकिन, छत्तीसगढ़ प्रदेश स्वास्थ्य कर्मचारी संघ ने तथ्यों के साथ अपनी बात रखी थी। आखिरकार सिविल सर्जन और सहायक ग्रेड -3 इस मामले में पूरी तरह से फंस चुके हैं।
सरगुजा कलेक्टर विलास भोसकर ने सहायक ग्रेड तीन आनंद सिंह यादव को जारी नोटिस में उल्लेख किया हैं कि, मेडिकल बिल पास करने के एवज में लेन-देन की शिकायत पर स्वास्थ्य संचालक ने जांच टीम का गठन किया था। राज्य स्तरीय समिति की जांच में चिकित्सा प्रतिपूर्ति देयक को स्वीकृत कराने के एवज में पैसों की मांग किए जाने के संबंध में राशि लेन-देन में दोषी पाया गया हैं। छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (आचरण) के विपरीत कार्यव्यवहार पर लिपिक को तीन दिवस के अंदर जबाब प्रस्तुत करने कहा गया हैं। निर्धारित समयावधि में उत्तर प्राप्त नही होने पर एकपक्षीय कार्रवाई की चेतावनी दी गई हैं।
वहीं, मेडिकल बिल के एवज में रिश्वत लेने की शिकायतों के बाद भी सिविल सर्जन डॉक्टर जेके रेलवानी ने कार्रवाई तो दूर जांच भी नहीं कराई थी। इसे स्वास्थ्य संचालक रितु राज नागवंशी ने लापरवाही माना और घोर नाराजगी जाहिर की हैं। सिविल सर्जन को प्रेषित नोटिस में उन्होंने लिखा हैं कि, सिविल सर्जन कार्यालय में आनंद सिंह यादव द्वारा पैसों का लेन-देन किया जाता रहा हैं एवं उनके उक्त कृत्यों के संबंध में संबंधित तथा अन्य विभाग के कर्मचारी के द्वारा अनेक शिकायतों के बाद भी सिविल सर्जन द्वारा संज्ञान नहीं लिया गया और न ही आनंद सिंह यादव को शिकायत के संबंध में किसी प्रकार का कोई स्पष्टीकरण जारी नहीं किया गया। इससे यह मालूम होता हैं कि, सिविल सर्जन के संज्ञान में होते हुए भी उनके द्वारा आनंद सिंह यादव के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की गई।
इधर, स्वास्थ्य संचालक ने सिविल सर्जन को जारी नोटिस में कड़ी टिप्पणी की हैं। उन्होंने सिविल सर्जन को जारी नोटिस में कहा हैं कि, उनकी संवेदनहीनता से आज शासन-प्रशासन में विभाग की छवि धूमिल हुई हैं। सिविल सर्जन का यह कृत्य छत्तीसगढ़ सिविल सेवा नियम का खुला उल्लंघन हैं। इसके साथ ही उनके द्वारा पदीय दायित्वों का निष्ठापूर्वक पालन नही किया गया हैं। यह कृत्य घोर लापरवाही का द्योतक हैं। सिविल सर्जन के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई को लेकर जबाब मांगा गया हैं।
आपको बता दें कि, शासकीय सेवकों के मेडिकल बिल पारित करने कमीशनखोरी की शिकायतें आम थी। लेकिन, कार्रवाई नहीं हो रही थी। छत्तीसगढ़ प्रदेश स्वास्थ्य कर्मचारी संघ ने शिकायत की तो स्थानीय स्तर पर पदस्थ सभी जिम्मेदार अधिकारियों ने शिकायत को दबाने पूरी ताकत लगा दी। शिकायतकर्ताओं को दबाने हर स्तर पर प्रयास हुआ। इसमें स्वास्थ्य विभाग के साथ चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधिकारी भी शामिल रहे। हालांकि, कलेक्टर के पत्र पर स्वास्थ्य संचालक ने पहल की। संचालनालय में पदस्थ उप संचालक डॉक्टर डीके तुरें, डॉक्टर टीके टोंडर तथा डॉक्टर जीजे राव की समिति बनाकर जांच के लिए अंबिकापुर भेजा गया। राज्य स्तरीय टीम की जांच में आरोपों की पुष्टि हो गई।
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