भारत रत्न डॉ. भीमराव आंबेडकर की मौत कैसे हुई थी? पुण्यतिथि के मौके पर जानें ये अहम बात

Dr. Ambedkar Death Anniversary 2023: भारतीय संविधान के वास्तुकार और शोषित-कमजोर तबकों के संरक्षक डॉ भीमराव आंबेडकर की आज पुण्यतिथि है। 6 दिसंबर साल 1956 को उन्होंने आखिरी सांस ली थी। उनका जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश के महू में हुआ था। वह अपने माता-पिता की 14वीं संतान थे। उनका उपनाम सकपाल था, जिसे ब्राह्मण शिक्षक की मदद से बदलकर उन्होंने आंबेडकर रखा।

जातिगत भेदभाव को दूर करने में अहम भूमिका

देश का संविधान लागू करने में अहम भूमिका निभाने वाले बाबा साहेब को जातिगत भेदभाव की दिशा में काम करने के लिए जाना जाता है। दरअसल उन्होंने खुद भी अपने बचपन में जातिगत भेदभाव को बहुत करीब से देखा और अनुभव किया था। उनके पिता सेना में थे और जब वो रिटायर हो गए तो वह महाराष्ट्र के सतारा में बस गए। यहां जब भीमराव का एडमिशन एक स्कूल में करवाया गया तो उन्हें अछूत जाति कहकर स्कूल के एक कोने में बिठाया जाता था।

ऐसे में भीमराव ने ठान लिया कि वह अपनी शिक्षा को जारी रखेंगे और इस कुरीति के लिए लड़ेंगे। भीमराव ने अमेरिका और लंदन में उच्च शिक्षा हासिल की और बैरिस्टर बने। देश जब आजाद हुआ तो पंडित नेहरू के मंत्रिमंडल में भीमराव को कानून मंत्री बनाया गया। इसके बाद भीमराव ने संविधान मामलों में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने अपने जीवन में दलितों, पिछड़ों और महिलाओं को न्याय दिलवाने की दिशा में तमाम काम किए। वह समानता के पक्षधर थे।

कैसे हुई मौत?

डॉ भीमराव आंबेडकर को डायबिटीज, ब्लडप्रेशर, न्यूराइटिस और आर्थराइटिस जैसी बीमारियां थीं। डायबिटीज की वजह से वह काफी कमजोर हो गए थे और गठिया की वजह से वह दर्द से परेशान रहते थे। 6 दिसंबर साल 1956 को दिल्ली स्थित आवास पर नींद के दौरान ही उनकी मौत हो गई थी। मरणोपरांत साल 1990 में उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया था। हर साल 6 दिसंबर को बाबा साहेब की पुण्यतिथि को मनाया जाता है। डॉ भीमराव आंबेडकर की पुण्यतिथि को पूरे देश में ‘महापरिनिर्वाण दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।