नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने बार-बार अरुण जेटली का नाम लिए जाने पर बीसीसीआई के निर्वासित अध्यक्ष एन श्रीनावसन के वकील कपिल सिब्बल को जमकर फटकार लगाई। नवाई के दौरान जज ने यह कहकर कपिल सिब्बल के रवैये पर गहरी आपत्ति जताई कि वह (कपिल सिब्बल) बार-बार उस व्यक्ति (अरुण जेटली) का नाम ले रहे हैं जिनका यहां कोई प्रतिनिधित्व ही नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि यह साबित करना बीसीसीआई के निर्वासित अध्यक्ष एन श्रीनिवासन की जिम्मेदारी है कि आईपीएल-6 की जांच के रास्ते में उनके हितों के टकराव नहीं आए थे। न्यायालय ने कार्यवाही के दौरान उनके वकील द्वारा ‘बार बार’ वित्त मंत्री अरुण जेटली का नाम लिए जाने पर कड़ी नाराजगी जाहिर की।
न्यायमूर्ति तीरथ सिंह ठाकुर और न्यायमूर्ति एफएमआई कलीफुल्ला की खंडपीठ ने कहा, ‘आप बार बार जेटली का नाम ले रहे हैं जिनका यहां प्रतिनिधित्व नहीं हो रहा है। वह इसमें पक्षकार नहीं हैं। ऐसे व्यक्ति के मत्थे कुछ मत मढ़िये जिसका यहां प्रतिनिधित्व नहीं हो रहा है।’
न्यायाधीशों ने यह टिप्पणी उस वक्त की जब श्रीनिवासन की ओर से वरिष्ठ वकील और कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने जोर देकर कहा कि इस प्रकरण की जांच के लिए बीसीसीआई ने जेटली के सुझाव पर ही एक समिति गठित की थी और उनका मानना था कि जांच बीसीसीआई के हस्तक्षेप से मुक्त होनी चाहिए।
सिब्बल ने कहा कि रिकॉर्ड में जेटली का दृष्टिकोण दिखता है और बाद में उनके कथन की पुष्टि करने के लिए कार्य समिति की 28 मई, 2013 की बैठक की कार्यवाही में भी इसका हवाला है। इस पर न्यायालय ने सुनवाई जारी रखते हुए कहा, ‘यदि आप नाम का जिक्र कर रहे हैं तो आपको संदर्भ भी बताना होगा क्योंकि उनका यहां पर प्रतिनिधित्व नहीं है। चूंकि आज की सुनवाई का अधिकांश हिस्सा श्रीनिवासन के हितों के टकराव के ईदगिर्द रहा।
इस पर न्यायाधीशों ने कहा, ‘हितों के टकराव के बारे में हमारी राय भिन्न है। आपको ही इससे पर्दा उठाना होगा।’ सिब्बल की दलील थी कि न्यायमूर्ति मुद्गल समिति या बंबई उच्च न्यायालय में श्रीनिवासन के हितों के टकराव के बारे में कोई निष्कर्ष नहीं है। सिब्बल ने कहा, ‘आप भले ही पर्दा उठा दें लेकिन आपको हितों के टकराव के बारे में कुछ नहीं मिलेगा और वे (विरोधी) तो सिर्फ उन्हें (बीसीसीआई से) हटाना चाहते हैं।