बालोद. जिले के एक आरटीआई कार्यकर्ता राजेश चोपड़ा ने बालोद नगर पालिका में फ़र्ज़ी डिग्री के माध्यम से नौकरी कर रहे इंजीनियर संतोष चौधरी के ख़िलाफ़ कार्यवाही की मांग को लेकर हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. जिसपर हाई कोर्ट ने मामले को गंभीरता से लेते हुए मामले की जांच के आदेश दिए थे. लेकिन ऐसा लगता है कि हाई कोर्ट का आदेश रसूख़ के सामने फीका पड़ गया और मजाक बन कर रह गया.
आरटीआई कार्यकर्ता ने आरोप लगाया है कि बालोद नगर पालिका परिषद में बालोद शहर के बुधवारी बाजारपारा निवासी संतोष चौधरी फ़र्ज़ी इंजीनियरिंग की अंकसूची प्राप्त करके नगर पालिका बालोद से संरचना इंजीनियर अनुबंध हासिल करके शहर के अनेक आवेदकों के भवन, कार्यालय के नक्शे गैरकानूनी तरीके से स्वीकृत करता है. संतोष चौधरी ने जिस अंकसूची के माध्यम से पद हासिल किया है. वह अंकसूची मूल अंकसूची नही है. उन्होंने बताया कि मई-जून 1991 में संतोष चौधरी ने धमतरी के भोपाल राव तकनीकी शिक्षा महाविद्यालय रुद्री में डिप्लोमा इन सिविल आरएनसी की अंतिम वर्ष की परीक्षा में भाग लिया था. जहां वास्तविक परिणाम के साथ छेड़छाड़ कर नकली अंकसूची तैयार कर पद लिया है. और नगर पालिका बालोद में अवैधानिक तरीके से राजनीतिक पहुंच के चलते अपने आप को अधिकृत कराकर कई लोगों के घरों के नक्शे स्वीकृत किये हैं.
राजेश चोपड़ा ने बताया कि महाविद्यालय से मिली सूचना अधिकार की कॉपी में इस बात का पटाक्षेप हो चुका है कि अंकसूची में मूल विषयों के दहाई के अंक को बढ़ा चढ़ाकर दिखाया गया है. इसकी पुष्टि उस वक्त हुई जब संबंधित कॉलेज से आरटीआई के तहत परीक्षाफल की रिपोर्ट मांगी गई. उनके द्वारा नगर पालिका से भी उस आरटीआई कि अंकसूची प्राप्त की है. जो संतोष चौधरी द्वारा नगर निगम में जमा की गई थी. दोनों के नंबरों में बहुत फर्क है. नगर पालिका द्वारा दस्तावेजों की बिना जांच किये ही संतोष चौधरी को अधिकृत किया जाना भी अनेक सवालों को जन्म देता है.
बता दें, इस मामले को लेकर आरटीआई कार्यकर्ता ने हाई कोर्ट से इस मामले पर कार्रवाई की मांग की थी. जिसपर हाई कोर्ट ने जाँच के आदेश दिए थे. जिसके बाद आरटीआई कार्यकर्ता ने हाई कोर्ट के आदेश की कॉपी के साथ बालोद थाने में उक्त इंजीनियर के ख़िलाफ़ कार्रवाई की मांग की थी. लेकिन एक साल बीतने को है. अब तक कोई कार्रवाई नही हो सकी है.