Surya Grahan 2024: साल 2024 का पहला सूर्य ग्रहण 8 अप्रैल को लगने जा रहा है। यह ग्रहण बेहद खास माना जा रहा है क्योंकि ये एक पूर्ण सूर्य ग्रहण होगा और इसका समय काल लगभग 5 घंटे 10 मिनट का रहेगा। भारत के समय के अनुसार ये ग्रहण कब से कब तक रहेगा, इसका सूतक काल भारत में मान्य होगा या नहीं, और ग्रहण वाले दिन क्या आपको करना चाहिए क्या नहीं आइए जानते हैं विस्तार से।
सूर्य ग्रहण का समय और सूतक काल
भारत के समयानुसार ग्रहण रात्रि 9 बजकर 12 मिनट से शुरू होगा और देर रात 2 बजकर 22 मिनट पर समाप्त होगा। जब यह सूर्य ग्रहण लगेगा तब भारत में रात्रि होगी इसलिए सूर्य ग्रहण का सूतक काल भारत में मान्य नहीं होगा। हालांकि सूर्य ग्रहण से जुड़ी सावधानियां इस दिन आपको बरतनी चाहिए। साल का यह पहला सूर्य ग्रहण अमेरिका, कनाडा, कोलंबिया, वेनेजुएला, आयरलैंड, पुर्तगाल, नॉर्वे, पनामा, रूस, बहामास आदि देशों में देखा जाएगा। इस सूर्य ग्रहण की समयावधि 5 घंटे से भी अधिक है और लगभग 7 मिनट से ज्यादा समय तक सूर्य का प्रकाश पृथ्वी तक नहीं पहुंच पाएगा। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस तरह का सूर्य ग्रहण आज से 54 साल पहले लगा था। आइए अब जानते हैं कि, धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन आपको क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए।
सूर्य ग्रहण के दिन क्या न करें
- साल के पहले सूर्य ग्रहण का सूतक काल भारत में मान्य नहीं होगा लेकिन फिर भी इस दिन आपको कोई भी नया काम शुरू नहीं करना चाहिए। सूर्य ग्रहण का सूतक काल 12 घंटे पहले शुरू हो जाता है यानि भारत के समय के अनुसार सूतक काल सुबह 9 बजकर 12 मिनट से शुरू हो जाएगा।
- सूर्य ग्रहण वाले दिन आपको भगवान की प्रतिमा या तस्वीर को छूने से बचना चाहिए।
- गर्भवती महिलाओं को सूर्य ग्रहण के दिन नुकीली वस्तुएं जैसे सुई, चाकू, कैंची, ब्लैड आदि नहीं छूनी चाहिए। इसके साथ ही गर्भवती महिलाओं को ग्रहण खत्म होने तक घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए।
- ग्रहण के सूतक काल के दौरान भोजन न बनाएं।
सूर्य ग्रहण के दिन करें ये काम
- सूर्य ग्रहण के दिन आपको मंत्रों का जप करने से लाभ मिलता है। इससे आप मानसिक रूप से खुद को सशक्त पाते हैं। मंत्र जप से ग्रहण के नकारात्मक प्रभाव भी दूर होते हैं।
- इस दिन ध्यान करने से मानसिक शांति की प्राप्ति होती है।
- ग्रहण से पहले कर लें भोजन।
- इस दिन धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन करने से मिलता है लाभ। इस दिन आप गीता, रामचरितमानस आदि धार्मिक पुस्तकों का अध्ययन कर सकते हैं।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। फटाफट न्यूज एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)