देश को आर्थिक आधार देने वाली परिकल्पना दें विश्वविद्यालय – उमाषंकर गुप्ता
सतना
प्रदेश के उच्च शिक्षा तकनीकी शिक्षा एवं कौशल विकास मंत्री उमाशंकर गुप्ता ने कहा कि गरीबो के उत्थान और जनकल्याणकारी योजनाओ को बनाने के साथ ही इन योजनाओ के पात्र हितग्राहियो को लाभ लेने लायक भी बनाया जाना चाहिये। उन्होने कहा कि शिक्षा के अभाव में
हितग्राही योजनाओ का पूरा लाभ नही ले पाते इसके प्रसार का कार्य विश्वविद्यालय बखूबी कर सकते है। देष को आर्थिक आधार देने वाली परिकल्पना भी विश्वविद्यालय के माध्यम से आनी चाहिये। उच्च षिक्षा मंत्री शुक्रवार को सतना जिले के महात्मा गाँधी चित्रकूट ग्रामोदय विष्वविद्यालय द्वारा ग्रामीण विकास में उच्च शिक्षा की भूमिका विषय पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम में प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा जे0एन0कंसोटिया, ग्रामोदय विष्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 नरेशचन्द्र गौतम, रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय के प्रो0 बी0पाण्डेय, डायरेक्टर डाँ0 कपिलदेव मिश्रा, कुलसचिव डाँ0 आंनद काम्बले, सदगुरू सेवा संघ ट्रस्ट जानकीकुण्ड के डाँ0 बी0के0जैन, एस.डी.एम. शैलेन्द्र सिंह भी उपस्थित थे।
उच्च शिक्षा मंत्री उमाषंकर गुप्ता ने कहा कि भारत एक कृषि प्रधान देष है। ब्यापक औद्योगिकीकरण होने के बाद भी हमारी अर्थब्यवस्था और देष का आधार कृषि तथा गाँव ही है। उन्होने कहा कि पुरातन कलाओ और प्राचीन हुनर के विकास के लिये कौषल विकास केन्द्र के माध्यम से सषक्तिकरण किया जा रहा है। गाँवो को आत्मनिर्भर बनाकर शहरो की ओर पलायन रोकना होगा। उन्होने कहा कि ग्रामीण विकास मे षिक्षा की बहुत बडी आवष्यकता है और सबसे ज्यादा ध्यान षिक्षा पर ही दिया जाना चाहिये। ग्रामोदय विश्वविद्यालय चित्रकूट की चर्चा करते हुये उन्होने कहा कि भगवान राम की तपोभूमि और राष्ट्रऋषि नानाजी की कर्मस्थली चित्रकूट में देश का पहला ग्रामोदय विष्वविद्यालय खोला गया। ग्रामीण विश्वविद्यालय ग्रामीण परिवेश मे ही होना चाहिये। उन्होने कहा कि इस विष्वविद्यालय की प्रगति पर पूरे देष की निगाह रहती है। विश्वविद्यालय की उत्तरोत्तर प्रगति और शिक्षा की गुणवत्ता के लिये सभी विद्वतजन की जिम्मेदारी है कि सरकार के माध्यम से बेहतरी के ज्यादा से ज्यादा काम करवाये। संस्थान की चिंता हमे अपने घर और परिवार की तरह करनी चाहिये। उन्होने चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय के विकास और संसाधनो की पूर्ति के लिये मुक्त हस्त से सहयोग देते हुये कहा कि ग्रामोदय विष्वविद्यालय से ग्रामीण विकास की परिकल्पना पूर्ण होकर सबके लिये प्रेरणा बनेगी।
प्रमुख सचिव उच्च षिक्षा जे0एन0कंसोटिया ने कहा कि ग्रामीण अर्थब्यवस्था को बढाये बिना देष का सर्वागींण विकास नही किया जा सकता। देष की कृषि आधारित ब्यवस्था में कृषि सहयोगी उपक्रम कुटीर उद्योग पषुपालन भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। सबसे ज्यादा पशुधन हमारे यहां है लेकिन उत्पादकता कम है जबकि डेयरी सहित अन्य क्षेत्रो मे उत्पादकता बढाने की प्रचुर संभावनाए है। उच्च शिक्षा में ग्रामोदय विश्वविद्यालय ग्रामीण क्षेत्र की आत्मनिर्भरता और स्वावलम्बी ग्रामीण स्व-रोजगार के विशेष उद्देश्यो को लेकर ही स्थापित किया गया है।
कुलपति प्रो0 नरेषचन्द्र गौतम ने कहा कि 70 प्रतिषत कृषि आधारित आबादी में लगभग 30 प्रतिषत आबादी मूलभूत सुविधाओ से वंचित है कृषि के माध्यम से इन्हे आगे बढाया जा सकता है। हमारा किसान अपना बीज खुद पैदा करे और स्थानीय जलवायु के अनुसार उन्नत खेती करे इसके लिये डिग्री देने की आवश्यकता नही बल्कि उनके हुनर को विकसित करने और परम्परिक कौषल को दक्ष बनाने की जरूरत है।
रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय के प्रो0 बी0पाण्डेय ने कहा कि 21 वी शताब्दी मे भारत दुनिया की महाषक्ति बनने की दिषा मे अग्रसर है। भारत महाशक्ति तभी बनेगा जब गाँव स्वावलम्बी बनेगा तथा स्वरोजगार उत्पादक षिक्षा का निर्माण कर इसे पाठ्यक्रम में शामिल किया जाये। उच्च शिक्षा को गाँव से जोडने पर गाँव कुटीर उद्योग और कृषि के क्षेत्र में स्वावलम्बी बनेगा। गाँवो में चरित्रवान नागरिको को बनाने की षिक्षा दी जाये तो देश मे जातिवाद स्वार्थवाद भ्रष्टाचार और आंतकवाद का समापन इन नीति परख शिक्षा से ही किया जा सकता है। कार्यक्रम के प्रारंभ मे शोध संकाय के डायरेक्टर डाँ0 कपिलदेव मिश्रा ने राष्ट्रीय संगोष्ठी की भूमिका पर प्रकाश डाला। इस मौके पर उच्च षिक्षा मंत्री ने ग्रामोदय विश्वविद्यालय की स्मारिका तथा ग्रामोदय संदेश न्यूजलेटर का विमोचन भी किया। कार्यक्रम के प्रारंभ मे उच्च शिक्षा मंत्री ने विश्वविद्यालय के प्रषासनिक भवन विस्तार कार्य का भूमिपूजन और शिलान्यास तथा नवीन कला भवन के नवनिर्मित भवन का फीता काटकर लोर्कापण किया।