सतना: सांसद गणेश सिंह बीते दिनों, कुआं गांव में स्वास्थ्य केंद्र उन्नयन कार्यक्रम में गए थे,, एट्रोसिटी एक्ट को लेकर गांव के कुछ लोगों ने उन्हें काले झंडे दिखाकर विरोध प्रदर्सन किया,, यह सभी सर्व समाज के लोग थे, जो लगातार एट्रोसिटी एक्ट का विरोध कर रहे,, सतना सांसद कुआं गांव पहुंचे तो सर्व समाज के लोगों ने काला झण्डा हाँथ में लेलिया,, सतना सांसद वापस जाओ और मुर्दाबाद के नारे लगाने लगे,, जिस पर एफ.आई.आर. दर्ज कर ली गई,, और 6 लोगों को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया गया,, जहां से उन्हें जमानत मिल गई,, पर आगे का हुआ यह भी जान लीजिये !
एक नजर पूरी घटना पर:-
कानूनी तौर पर देखें तो लोकतंत्र में अपना विरोध करने के लिए हर कोई स्वतंत्र है,, किसी को काले झंडे दिखा देना और मुर्दाबाद के नारे लगा देना अपराध की श्रेणी में कतई नहीं आता है,, बताया जा रहा है कि, भाजपा के किसी बड़े नेता के इशारों पर पुलिस ने 6 लोगों के खिलाफ एफ.आई.आर. दर्ज कर सभी को गिरफ्तार किया,, उन सभी छह लोगों को पुलिस ने न्यायालय में पेश किया,, लेकिन, सवाल अभी खड़ा था,, आखिर इन लोगों का कुसूर क्या है? इस बाबत पुलिस का कहना है की, सतना सांसद की गाड़ी को रोका गया, जिसके तहत वाहन के सामने आकर रास्ता रोकना अपराध की श्रेणी में आता है,, लेकिन घटना के जो भी साक्ष अबतक सामने आयें उसमें कहीं पर भी सतना सांसद गणेश सिंह के वाहन के सामने आता कोई भी नहीं दिख रहा,, उन तस्वीरों में एक ही बात सामने आई है की, एट्रोसिटी एक्ट के विरोध करने वालों ने सतना सांसद को काले झंडे दिखाए साथ ही सतना सांसद मुर्दाबाद के नारे लगाए गए,, लिहाजा घटना के वीडियो को साक्ष माने तो स्पष्ट है,, कि यह सभी लोग बेकसूर थे,, जिन्हें आरोपी बनाकर गिरफ्तार किया गया !
लोगों ने क्यों किया उनका सम्मान:-
जमानत पर रिहा होकर लौटे सभी 6 आरोपियों को गांव वालों ने बहुत सराहा,, यही नहीं सतना के सर्व समाज के लोग आज सुबह कुआं गांव पहुंच गए गांव में स्थित एक हनुमान मंदिर में सभी इकट्ठा हुए,, और इन सभी छह लोगों को साल और श्रीफल देकर सम्मानित किया गया,, सर्व समाज के लोगों की माने तो यह सम्मान इस बात का नहीं की, इन्होंने सतना सांसद गणेश सिंह को काले झंडे दिखाए थे,, बल्कि यह सम्मान इस बात का था कि कहीं ना कहीं समाज में हो रहे अन्याय के खिलाफ इन लोगों ने आवाज उठाई थी,, और ऐसी आवाज जो समाज के हित में उठे उसे दबने नहीं देना चाहिए,, उस आवाज को कानून का भय दिखा कर दबाने की कोशिश तो की गई, लेकिन कहीं पर भी इनका हौसला नहीं टूटा और यह वह लोग हैं जो आगे भी अपने हक की लड़ाई लड़ते रहेंगे और ऐसे लोगों से समाज के अन्य लोग भी प्रेरणा ले सकेंगे।
गिरफ्तारी दमन का षड्यंत्र तो नहीं:-
लगातार एट्रोसिटी एक्ट का विरोध कर रहा सर्व समाज राजनीतिक दलों के माथे का पसीना बन गया है,, इतिहास पर नजर डालें तो हर चुनाव में यही वह लोग हैं जो गेम चेंजर की भूमिका निभाते है,, लिहाजा इस आंदोलन का दमन ही एक ऐसा रास्ता है जो उनके माथे पर आया पसीना पोंछ सकता है,, पुलिस एक सहारा है और कानून हथकंडा जिसमें उलझा कर लोगों में भय पैदा किया जा सके,, ताकि घरों से निकलकर सड़कों पर आए लोग डर से, अपने घरों को वापस लौट जाएं,, इस पूरी घटना में अब तक जोभी साक्ष सामने आये वे सभी तो इसी ओर इशारा करते है।