बॉलीवुड
बॉलीवुड के ‘खिलाड़ी’ अक्षय कुमार जल्द ही बड़े पर्दे पर ‘एयरलिफ्ट’ लेकर आ रहे हैं। यह फिल्म पहले खाड़ी युद्ध के दौरान भारत के अब तक के सबसे सफल रेस्क्यू अभियान की सच्ची घटना पर आधारित है। अक्षय कुमार इस फिल्म में रंजीत कत्याल की भूमिका में हैं, जिन्होंने 1 लाख 70 हजार लोगों को कुवैत से सुरक्षित निकलने में मदद की थी। कुछ रिपोर्टों के अनुसार उस समय रंजीत कत्याल जैसा कोई शख्स था ही नहीं, जबकि अक्षय उन्हें सम्मानित करने की मांग कर रहे हैं। यही नहीं, ‘एयरलिफ्ट’ की तुलना 1991 में रिलीज हुई हॉलीवुड की फिल्म ‘सिंडलर्स लिस्ट’ से भी हो रही है।
पहले बात हॉलीवुड फिल्म ‘सिंडलर्स लिस्ट’ की…
‘सिंडलर्स लिस्ट’ की कहानी दूसरे विश्व युद्ध के समय की सच्ची घटनाओं पर आधारित है। इसमें ऑस्कर सिंडलर नाम का एक जर्मन व्यापारी है जो कई यहूदियों को नाजी सैनिकों के अत्याचार से बचा लेता है। हालांकि वह उन्हें अपनी फैक्ट्री में बंधुआ मजदूर बनाने के लिए बचाता है, लेकिन अपने इस लालच के बीच भी वह 1000 से ज्यादा लोगों को वहां से निकालने में सफल रहता है। दोनों ही फिल्मों में एक अमीर व्यापारी और लोगों को युद्ध के हालात से बचाकर निकालना, यही कारण है कि फिल्म ‘एयरलिफ्ट’ की इस फिल्म से तुलना हो रही है।
सिंडलर नाजी पार्टी का बहुत ही चालाक सदस्य था, जिसकी राजनीतिक हलकों और प्रशासन में गहरी पैठ थी। उसके पास एक लिस्ट होती है, जिन्हें वह अधिकारियों से मिलकर वहां से निकालना चाहता है। फिल्म के अंत में सिंडलर अपना सब कुछ खो देता है, लेकिन वह नाजियों के अत्याचार से 1000 से ज्यादा लोगों को बचाने सफल रहता है और ये सब उसके ही बंधुआ मजदूर थे।
‘एयरलिफ्ट’ की कहानी – इराक का कुवैत पर हमला
साल 1990 में जब इराक के तानाशाह सद्दाम हुसैन ने कुवैत पर हमला किया तो पूरा ‘अरब क्षेत्र’ हिल गया। रिपोर्टों के कुवैत का शाही परिवार तो रातोंरात सउदी अरब भाग गया, लेकिन लाखों लोग उस देश में फंसे रह गए। इनमें एक लाख 70 हजार भारतीय भी शामिल थे। भारतीयों ने वहां के भारतीय दूतावास से उन्हें बचाने की गुहार लगाई, लेकिन इतनी बड़ी संख्या में लोगों को बचाने की बात कोई भी नहीं सोच सकता था।
बाद में भारत सरकार ने 59 दिनों में सरकारी विमान सेवा एयर इंडिया की करीब 500 उड़ानें आयोजित करके इतनी बड़ी संख्या में लोगों को एयरलिफ्ट कराया। यह एक विश्व रिकॉर्ड है। इससे पहले बर्लिन एयरलिफ्ट में करीब 2 साल के अंदर 48,000 लोगों को इस तरह से रेस्क्यू किया गया था।
अब बात फिल्म ‘एयरलिफ्ट’ और रंजीत कत्याल की…
माना जाता है भारत के संबंध सद्दाम हुसैन से हमेशा अच्छे रहे थे, लेकिन भारतीय सरकार भी सद्दाम हुसैन से अपने लोगों को निकालने की बात करके दुनिया की नाराजगी मोल नहीं लेना चाहती थी। ऐसे में सरकार को कुवैत में फंसे अपने लोगों को निकालने के लिए अन्य रास्तों का सहारा लेना था।
फिल्म ‘एयरलिफ्ट’ के अनुसार उस समय कुवैत में भारतीय मूल का एक बहुत बड़े व्यापारी थे रंजीत कत्याल। रंजीत भी उस समय खुद को भारतीय कम और कुवैती ज्यादा मानने लगे थे। भारत सरकार ने उनसे वहां फंसे भारतीयों को निकालने के बारे में बात की। रंजीत की वहां की सरकार और प्रशासन में भी काफी पैठ थी, इसलिए भारतीयों को वहां से निकालने में रंजीत ने बड़ी भूमिका निभाई।
समय की रिपोर्टों के अनुसार सद्दाम हुसैन पश्चिमी देशों की बात बिल्कुल भी सुनने को तैयार नहीं थे, जिसके कारण अमेरिका ने उन पर हमला भी बोल दिया था। रिपोर्टों के मुताबिक असल में विदेश मंत्री इंद्र कुमार गुजराल के दखल के बाद उन्होंने भारतीयों को कुवैत से निकलने दिया।
हालांकि सरकार ने किसी रंजीत कत्याल से किसी भी तरह की मदद लेने की बात कभी स्वीकार नहीं की। रंजीत कत्याल असल में हैं या नहीं इस बारे में एनडीटीवी कोई पुष्टि नहीं करता। इसी रंजीत कत्याल को हीरो के तौर पर पेश करके ‘एयरलिफ्ट’ की कहानी बुनी गई है, जो भारत का अब तक का सबसे सफल रेस्क्यू अभियान रहा है।