द्वारका

Dwarka,Gujarat Tourism
Dwarka,Gujarat Tourism

भगवान श्रीकृष्ण की स्तुति पूरे भारत में किसी न किसी रूप में की जाती है। ऐसे ही एक जगह है गुजरात राज्य के पश्चिमी सिरे पर समुद्र के किनारे स्थित हिंदुओं का पवित्र स्थल द्वारका। यह वह जगह है जहां द्वारकाधीश भगवान श्रीकृष्ण ने कई साल राज किया। यहीं पर रहकर उन्होंने पांडवों को सहारा दिया तथा दुर्योधन जैसे अधर्मी राजाओं का नाश करवाया।

द्वारका को चार धामों में एक तथा सात पुरियों में से एक पुरी के रूप में जाना जाता है। सुंदर और मंत्रमुग्ध कर देने वाले यहां के मंदिर इस जगह की खास पहचान हैं। यहां भगवान शिव का नागेश्वर ज्योतिर्लिग भी है जो बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। जन्माष्टमी के अवसर पर भक्तजन इस जगह पर आना नहीं भूलते।

द्वारका का इतिहास

विष्णु पुराण के अनुसार प्राचीन कुशावती के स्थान पर भगवान श्रीकृष्ण ने पौराणिक राजधानी द्वारका बसाई थी। कहा जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने अपने यादव परिवारों सहित मथुरा से पलायन के बाद इसकी स्थापना की थी। श्रीमद् भागवत गीता में भी द्वारका का वर्णन है। इसमें भी द्वारका को 12 योजन के परिमाण का कहा गया है तथा इसे यंत्रों द्वारा सुरक्षित तथा उद्यानों, विस्तीर्ण मागरें एवं ऊंची अट्टालिकाओं से विभूषित बताया गया है।

द्वारका में मुख्य मंदिर गोमती क्रीक पर स्थित है जो जगत मंदिर या त्रिलोक सुंदर के नाम से विख्यारत है। माना जाता है कि इसका मूल निर्माण भगवान श्रीकृष्ण के प्रपौत्र वज्रनभ द्वारा 2500 वर्ष से अधिक समय पूर्व कराया गया था। यह एक भव्यर संरचना है जो अरब सागर के जल से उदय होती प्रतीत होती है। इस मंदिर से द्वारका के इतिहास के बारे में पता चलता है। द्वारका आक्रमणकारियों के नजर में भी रहा। आक्रमणकारी न सिर्फ मंदिरों की अतुल धन संपदा को लूट लेते थे बल्कि भव्य मंदिरों व मूर्तियों को भी तोड़ कर नष्ट कर देते थे।

द्वारका का आकर्षण

द्वारिकाधीश मंदिर-यह मंदिर कांकरोली में राजसमंद झील के किनारे पाल पर स्थित है। मंदिर सात मंजिला है। भीतर चांदी के सिंहासन पर काले पत्थर की श्रीकृष्ण की चतुर्भुजी मूर्ति है। माना जाता है कि यह मूल मूर्ति नहीं है। मूल मूर्ति डाकोर में है। द्वारिकाधीश मंदिर से लगभग 2 किमी दूर एकांत में रुक्मिणी का मंदिर है। मान्यता है कि दुर्वासा के शाप के कारण उन्हें एकांत में रहना पड़ा। आज द्वारका की पूरे देश में महिमा है। यह चार धामों में एक है। सात पुरियों में एक पुरी है।

लाइटहाउस-मंदिरों के अलावा द्वारका स्मारक और किले के लिए भी प्रसिद्ध है। यहा का लाइटहाउस शानदार वास्तुकला का नमूना है। इस लाइटहाउस का निर्माण 19वीं शताब्दी में किया गया। वर्तमान में यह लाइटहाउस लगभग 43 मीटर ऊंचा है जिसका 1960 में जीर्णोद्धार किया गया था। पर्यटकों के लिए यह लाइटहाउस 16 से 18 घंटे के लिए खोला जाता है।

नागेश्वर ज्योतिर्लिग-भारत के 12 ज्योतिर्लिगों में से एक नागेश्वर ज्योतिर्लिग गुजरात राज्य के बाहरी क्षेत्र में द्वारिकापुरी से 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह हिंदुओं का पवित्र तीर्थ स्थल है। सावन के महीने में इस जगह पर भारी भीड़ उमड़ती है। इस ज्योतिर्लिग की शास्त्रों में अद्भुत महिमा कही गई है। धर्म शास्त्रों के अनुसार भगवान शिव को नागों के देवता के रूप में जाना जाता है। नागेश्वर का पूण्र्दा अर्थ नागों का ईश्वर है। भगवान शिव का एक अन्य नाम नागेश्वर भी है।

समुद्र तट

तीर्थ और पर्यटक स्थल द्वारका समुद्रतट के किनारे बसा हुआ है। यहां से समुद्र का नजारा खूबसूरत है। यहां आप कई तरह के पक्षियों के अलावा समुद्री कछुवे, ऑक्टोपस व स्टारफिश देख सकते हैं। यहां समुद्रतटों में चोरवाड़, गोपनाथ, बेट द्वारका और वेरावल भी छुट्टियां बिताने के लिए उत्कृष्ट हैं।

द्वारका के बाजार

द्वारका में खरीददारी करने वाले लोगों को यह महसूस नहीं होता है कि वह दूसरे शहर में खरीददारी कर रहे हैं। यहां उन्हें अपनापन जैसा लगेगा। मंदिरों का शहर होने के वजह से यहां के अधिकतर बाजार मंदिर के निकट ही हैं। यहां आने वाले पर्यटकों और तीर्थयात्रियों को उचित कीमत पर हर तरह की चीजें उपलब्ध मिलेंगी। यहां के बाजार को देखकर ऐसा लगता है मानो गुजरात की संस्कृति एक जगह सिमट गई हो। वैसे तो द्वारका में पूरे साल रौनक रहती है लेकिन जन्माष्टमी के समय इस शहर की छटा देखते ही बनती है। पूरा शहर फूलों और बंदनवार से सजा दिए जाते हैं।

पंहुच मार्ग

  • हवाई मार्ग-जामनगर (137) सबसे नजदीकी हवाई अड्डा है। यहां से आप दूसरे साधन के जरिए द्वारका पहुंच सकते हैं।
  • रेल मार्ग-द्वारका स्टेुशन अहमदाबाद-ओखा ब्रॉडगेज रेलवे लाइन पर है। यहां से जामनगर (137 किमी), राजकोट (217 किमी) और अहमदाबाद (471 किमी) के लिए रेलगाडियां है। रोजाना यहां के लिए कई ट्रेनें चलाई जाती हैं। वड़ोदरा, सूरत, मुंबई, गोवा, कर्नाटक से लेकर भारत के दक्षिणी छोर केरल से भी द्वारका के लिए रेलगाडियां आती हैं।
  • सड़क मार्ग- द्वारका, जामनगर से द्वारका जाने वाले राजमार्ग पर है। यहां के लिए अहमदाबाद और जामनगर से सीधी बसें मिल सकती हैं।