हजारों बीमारियां दूर करता हैं मिट्टी का घड़ा, लेकिन फिर भी लोग नही खरीद रहे, मुश्किल से निकल रहा कुम्हारों का खर्च

बिलासपुर. आज के इस आधुनिक युग में पुरानी चीज़ों की मांग कम हो रही हैं। लोग हाईटेक चीज़ों का यूज़ कर रहे हैं। बावजूद इसके दूसरे प्रदेश से आने वाले मिट्टी से बने मटकों की मांग हैं। जिसके चलते रेलवे स्टेशन क्षेत्र में मटके और सुराही का बाजार सजा हैं।

गर्मी की शुरुआत हो चुकी हैं, और लोग ठंडे पानी का सेवन करना शुरू कर चुके हैं। गर्मियों में प्यास बुझाने के लिए मिट्टी से बने घड़ो की जगह अब फ्रीज ने ले रखी हैं। लोगो ने अब मिट्टी के घड़ो को नकारते हुए आधुनिक फ्रीज़ का उपयोग शुरू कर दिया हैं। लेकिन, मिट्टी से बने मटकों की मांग भी बरकरार बिलासपुर के रेल्वे स्टेशन के पास चंदिया के मटके बिकने अब मार्केट में आ चुके हैं। ये मिट्टी के घड़े गर्मी में लोगो की प्यास तो बुझाते ही हैं। इनमे पानी पीने के कई सारे फायदे भी हैं। फ्रीज़ के पानी पीने से गैस, एसीडिटी समेत कई सारी समस्याएं आती हैं। लेकिन, मिट्टी के बर्तनों में पानी पीने से प्यास तो मिटती ही हैं। पेट से जुड़ी समस्या जैसे गैस, एसिडिटी और शरीर की कमजोरी भी दूर होती हैं।

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चंदिया से मटकों का व्यवसाय करने आये हुए कुम्हारो ने बताया, कि हम बहोत दूर से यह मिट्टी के बर्तनों और घड़ो का व्यवसाय करने आते हैं। लोगो ने अब इनका उपयोग करना बहुत कम कर दिया हैं। लोग अब स्टील के बर्तनों का उपयोग करना शुरू कर दिया हैं। पानी ठंडा करने के लिए रेफ़्रिजरेटर का उपयोग कर रहे हैं। ऐसे में चंदिया से लाये हुए मटको की बिक्री नही हो पा रही हैं। मार्केट में इन मटको की कीमत 120 रु से 180 रु के बीच हैं। इतने सस्ते होने के बाद भी लोगो ने लाल मटकों को खरीदना कम कर दिया है। कोरोना के समय थोड़ी बहुत बिक्री होती थी। लेकिन, अब बिक्री होनी कम हो चुकी हैं। ऐसे में इनके आने और जाने का किराया भी बहोत मुश्किल से निकल पा रहा हैं।

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