नई दिल्ली. संकट और लॉकडाउन के बीच कई राज्य सरकारों ने शराब की बिक्री शुरू कर दी है जिसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गयी थी. इस याचिका को कोर्ट ने शुक्रवार को खारिज कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह राज्यों का नीतिगत मामला है और वे होम डिलिवरी या ऑनलाइन व्यवस्था कर रहे हैं.
याचिका पर सुनवाई करते हुए पीठ ने कहा कि हम ऐसा कोई आदेश पारित नहीं करेंगे, लेकिन राज्यों को सामाजिक दूरियों के मानदंडों और मानकों को बनाये रखने के लिए शराब की होम डिलीवरी पर विचार करने की आवश्यकता है.
शराब को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर जनहित कहा गया था कि दुकानों में लंबी-लंबी लाइनें नजर आ रही हैं, जिसके कारण कोरोना संक्रमण का खतरा बढ़ रहा है. ऐसे में इन दुकानों को बंद कर देना चाहिए. याचिका की पैरवी कर रहे वकील जे साईं दीपक ने कहा कि शराब की दुकानों पर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं किया जा रहा है. सुनवाई के दौरान जस्टिस कौल ने कहा कि राज्य सरकारें शराब की होम डिलिवरी के बारे में सोच रही हैं. आर्टिकल-32 याचिका के जरिए आप हमसे क्या चाहते हैं ? जिसपर वकील साईं दीपक ने कहा कि मैं चाहता हूं कि आम आदमी की जिंदगी शराब की दुकानें खुलने के कारण प्रभावित न नहीं होनी चाहिए. इस पर जस्टिस भूषण ने कहा कि हम कोई आदेश नहीं करते हैं, लेकिन राज्य सरकारें लोगों को अप्रत्यक्ष बिक्री या होम डिलिवरी को लेकर सोचने को स्वतंत्र हैं. इससे सोशल डिस्टेंसिंग बनी रही रहेगी. यह राज्य सरकारों का नीतिगत मसला है.
छत्तीसगढ़ में राज्य सरकार ने शराब प्रेमियों की सहूलियत और शराब दुकान में भीड़ कम करने के लिए शराब की घर पर ही आपूर्ति के लिये सेवा शुरू की है. शराब के शौकीन अब मोबाइल ऐप और वेबसाइट के माध्यम से शराब खरीद सकते हैं. राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि छत्तीसगढ़ सरकार ने सोमवार चार मई से सामाजिक और व्यक्तिगत दूरी का पालन करते हुए राज्य की शराब दुकानों को संचालित करने का निर्देश जारी किया है.