आगरा। ताजनगरी के थाना एत्माद्दौला क्षेत्र में स्थित हड्डी के विशेषज्ञ ने एक मरीज का गलत इलाज कर दिया। मरीज के बाएं पैर का इलाज होना था, लेकिन डॉक्टर ने लापरवाही बरतते हुए दाएं पैर का इलाज कर दिया। परिजनों को जब इस बारे में पता चला तो उन्होंने अस्पताल में जमकर हंगामा किया। घटना की सूचना पर पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की टीम मौके पर पहुंची। जहां मरीज अब दर्द से कराह रहा है, वहीं स्वास्थ्य विभाग पूरे मामले में गोलमोल जवाब दे रहा है।
दरअसल, खंदौली क्षेत्र के शेर खां गांव के रहने वाले योगेंद्र सिंह का 23 फरवरी को एक्सीडेंट हुआ था, जिसके बाद उनके परिजनों ने उन्हें रामबाग चौराहे से 200 मीटर दूर स्थित डॉ. शशि पाल सडाना के सडाना फ्रैक्चर सेंटर में भर्ती कराया था। 24 तारीख को योगेंद्र का अस्पताल में ऑपरेशन किया गया, जिसके बाद योगेंद्र का दर्द फिर भी बंद नहीं हुआ। जब उन्होंने डॉक्टर से शिकायत की तो डॉक्टर ने कहा कि नस में खिंचाव है, इस वजह से दर्द हो रहा है। कुछ दिन में आराम मिल जाएगा। वहीं योगेंद्र अपने परिजनों के साथ छुट्टी करा कर घर वापस लौट गया।
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चोट बाएं पैर में लगी, ऑपरेशन दाएं पैर का किया
योगेंद्र के चाचा लोकेश ने बताया कि जब उन्हें फिर से दिक्कत हुई तो वह वापस अस्पताल में आए, लेकिन फिर से डॉक्टर ने टाल मटोल करना शुरू कर दिया। इस पर परिजन मरीज को लेकर दूसरे अस्पताल में पहुंचे, जहां पर मरीज का एक्स रे कराया गया। परिजन यह देख कर सकते में आ गए कि दूसरे डॉक्टर ने बताया कि योगेंद्र के बाएं पैर में चोट लगी है और उसका ऑपरेशन किया जाना था, लेकिन सडाना अस्पताल के डॉक्टर ने योगेंद्र के दाएं पैर का ऑपरेशन कर दिया। इसी की वजह से योगेंद्र अब भी दर्द से कराह रहा था और उसे कोई भी आराम नहीं मिल रहा था।
परिजनों का कहना है कि डॉक्टर ने इलाज के नाम पर उनसे 40 हजार ले लिए हैं, और अब दूसरा डॉक्टर यह कह रहा है कि आप के मरीज के ऑपरेशन में करीब एक लाख का खर्च आएगा। वहीं मरीज योगेंद्र अब भी सडाना अस्पताल में भर्ती है और दर्द से कराह रहा है। मरीज के परिजनों को जब यह बात पता चली तो उन्होंने अस्पताल पर हंगामा करना शुरू कर दिया। जिसके बाद पुलिस भी मौके पर पहुंच गई और सूचना के बाद एसीएमओ आरके अग्निहोत्री भी मौके पर आ गए।
एसीएमओ आरके अग्निहोत्री ने बताया कि पूरे मामले की जांच पड़ताल की जा रही है। इसके लिए एक उच्चस्तरीय टीम का भी गठन किया जाएगा। वहीं, मरीज के परिजनों से उनकी बात हुई है। जैसा वह कहेंगे, वैसा ही किया जाएगा। वहीं दूसरी तरफ एसीएमओ ने डॉक्टर की लापरवाही को मानने से कैमरे पर पूर्ण रूप से इंकार कर दिया और बार-बार बस जांच की ही बात दोहराते रहे। जबकि साफ तौर पर दिख रहा है कि मरीज का गलत ऑपरेशन किया गया है।